डीएनए हिंदी: नोबेल पुरस्कार (Nobel Prize) दुनिया का सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार और सम्मान माना जाता है. हर साल अक्टूबर महीने में इसका ऐलान किया जाता है. छह दिनों में छह अलग-अलग कैटगरी में पुरस्कारों का ऐलान किया जाता है. मुख्य तौर पर वैज्ञानिकों, लेखकों, अर्थशास्त्रियों और मानवाधिकार से जुड़े महान व्यक्तियों को उनके अभूतपूर्व योगदान के लिए सम्मानित किया जाता है. इस पुरस्कार के साथ-साथ 9 लाख डॉलर यानी लगभग 7.35 करोड़ रुपये भी दिए जाते हैं.
भारत में रवींद्र नाथ टैगोर, अमर्त्य सेन, सी वी रमन, हर गोबिंद खुराना, मदर टेरेसा, सुब्रमण्यन चंद्रशेखर, अभिजीत बनर्जी और कैलाश सत्यार्थी इस पुरस्कार से सम्मानित हो चुके हैं. ये पुरस्कार भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान, फिजियोलॉजी और मेडिकल, अर्थशास्त्र, साहित्य और शांति की कैटगरी में दिया जाता है. आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं:-
कैसे शुरू हुआ नोबेल पुरस्कार?
अल्फ्रेड नोबेल स्वीडन के एक मशहूर उद्योगपति थे. उन्हें डायनामाइट जैसे विस्फोटक की खोज के लिए जाना जाता है. नोबेल पुरस्कार, अल्फ्रेड नोबेल के नाम और उन्हीं की याद में दिया जाता है. खास बात यह है कि इस पुरस्कार के लिए जो पैसे दिए जाते हैं उनका कनेक्शन भी अल्फ्रेड नोबेल से ही है. अल्फ्रेड नोबेल की मौत साल 1896 में हो चुकी थी लेकिन पहली बार नोबेल पुरस्कार साल 1901 में दिए गए.
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कैसे तय होते हैं नोबेल पुरस्कार के विजेता?
इन पुरस्कारों के लिए दुनियाभर के वैज्ञानिक, लेखक, प्रोफेसर और सामाजिक कार्यकर्ता आवेदन करते हैं. हालांकि, किसने नामांकन किया है, इसे अगले 50 सालों तक रहस्य ही रखा जाता है. कुछ आवेदनकर्ता खुद ही इस बात की जानकारी सार्वजनिक कर देते हैं. किंग ऑफ काउंसिल की एक टीम इन नामों पर विचार और चर्चा करती है. इन जजों को सख्त हिदायत दी जाती है कि वे नामों के बारे में की गई चर्चा को बाहर किसी को भी नहीं बताएंगे. यही वजह है कि फैसला लेने का तरीका सार्वजनिक नहीं है.
नोबेल पुरस्कारों की बाकी पांच कैटगरी के अवॉर्ड स्वीडन में दिए जाते हैं लेकिन सबसे प्रतिष्ठित नोबेल पीस प्राइज़ नॉर्वे में दिया जाता है. कई बार वैज्ञानिकों को अपने किसी खास काम के लिए दशकों बाद इस पुरस्कार से नवाजा गया है. अल्फ्रेड नोबेल की वसीयत के मुताबिक, यह पुरस्कार उसी व्यक्ति को दिया जाना चाहिए जिसने मानवता के हित में शानदार काम किया हो.
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कहां से आता है नोबेल पुरस्कार का पैसा?
अल्फ्रेड नोबेल काफी रईस कारोबारी थे. उन्होंने अपनी मौत से पहले अपनी वसीयत तैयार की थी. वसीयत में ही नोबेल पुरस्कारों की रूपरेखा और उसके लिए पैसों का इंतजाम किया गया था. अल्फ्रेड नोबेल के पैसों को ही स्वीडिश बैंक में जमा किया गया है. नोबेल फाउंडेशन इसे मैनेज करता है. बैंक में रखे इन पैसों से मिलने वाले ब्याज से ही इन पुरस्कारों के लिए दी जाने वाली राशि का इंतजाम हो जाता है.
डाइनामाइट का आविष्कार करके पछताते रह गए अल्फ्रेड नोबेल
जब अल्फ्रेड नोबेल ने डाइनामाइट की खोज की थी, तब तक खनन के क्षेत्र में चट्टानों को तोड़ने का काम काफी मुश्किल होता था. अपने आविष्कार पर नोबेल को गर्व था. उन्हें भरोसा था कि इससे माइनिंग के क्षेत्र में क्रांति आएगी. ऐसा ही हुआ भी. लेकिन कुछ ही समय बाद डाइनामाइट के गलत इस्तेमालों ने दुनिया में तबाही मचानी शुरू कर दी. इस बात का अल्फ्रेड नोबेल को खूब पछतावा होता रहता था. जीवन के आखिरी दिनों में अल्फ्रेड नोबेल ने नोबेल पुरस्कारों की घोषणा करने के साथ अपने 'पापों का प्रायश्चित' करने की कोशिश की.
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नोबेल पुरस्कार में मिलने वाले करोड़ों रुपये कहां से आते हैं? जानिए सब कुछ