डीएनए हिंदी: दक्षिण पश्चिम मानसून (Southwest Monsoon ) अगले दो से तीन दिनों के दौरान केरल (Kerala) में दस्तक दे सकता है. मई के अंतिम सप्ताह में मानसून केरल में दस्तक देगा. मानसून की शुरुआत केरल से होती है फिर देश के दूसरे हिस्सों में भी मानसून पहुंचता है.
मानसून जून से लेकर सितंबर तक देश के कुछ हिस्सों में रहता था. मानसून शब्द पुर्तगाली भाषा के मान्सैओ (Mocao) से मिलकर बना है. अरबी में इसे मावसिम कहा जाता है. कुछ लोगों का मानना है कि मानसून इसी शब्द का विस्तार है.
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कैसे बनते हैं मानसून?
गर्मी के मौसम में हिंद महासागर में सूर्य विषुवत रेखा के ठीक ऊपर होता है तभी मानसून बनता है. इस दौरान समुद्र में तापमान का स्तर 30 डिग्री तक बढ़ जाता है. सतह पर गर्मी 45 से 46 डिग्री तक पहुंच चुका होता है. यही भौगोलिक विक्षोभ हिंद महासागर के दक्षिणी हिस्से में मानसूनी हवाएं एक्टिव हो जाती हैं. हवाएं एक-दूसरे को क्रॉस करते हुए विषुवत रेखा को पार कर जाती हैं और तेजी से एशिया की तरफ बढ़ने लगती हैं.
समुद्री विक्षोभ की वजह से समुद्र में संघनन होने लगता है. इसी प्रक्रिया के दौरान बादल बनने लगते हैं. हवाएं विषुवत रेखा पार करने लगती हैं और बंगाल की खाड़ी और अरब सागर की ओर तेजी से बढ़ने लगते हैं. यह वही वक्त होता है जब देश के मैदानी इलाकों में भीषण गर्मी पड़ती है. इस दौरान तटों का तापमान समुद्र दल के तापमान से ज्यादा होने लगता है. तभी हवाएं समुद्र से जमीनी हिस्सों की ओर आगे बढ़ती हैं. ये हवाएं जैसे ही धरती से ऊपर उठती हैं बारिश होने लगती है.
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बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में पहुंचते ही मानसूनी हवाएं अलग-अलग दिशाओं की ओर आगे बढ़ जाती हैं. अरब सागर की ओर से मुंबई, गुजरात और राजस्थान की ओर बढ़ती हैं. बंगाल की खाड़ी से मानसूनी हवाएं पश्चिम बंगाल, बिहार, पूर्वोत्तर के रास्ते आगे बढ़कर हिमालय से टकराती हैं और मैदानी क्षेत्रों की ओर मुड़ जाती हैं.
जून से लेकर जुलाई तक के बीच तक अलग-अलग क्षेत्रों से आने वाली हवाएं जमकर बारिश कराती हैं. सबसे पहले मानसून मई में ही अंडमान निकोबार द्वीप समूह में दस्तक देता है. यह 1 जून को केरल में पहुंच जाता है. केरल में आने के बाद से ही 15 जून तक मानसून देश के दूसरे हिस्सों में दस्तक देता है.
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15 जून तक देश के अलग-अलग हिस्सों में होने लगती है बारिश
15 जून तक अरब सागर से बहने वाली हवाएं सौराष्ट्र, कच्छ और मध्य भारत तक पहुंच जाती है. इन इलाकों में बारिश की शुरुआत इसी के बाद होती है. बंगाल की खाड़ी और अरब सागर हवाएं फिर साथ होकर बहने लगती हैं. इसी की वजह से पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, पूर्वी राजस्थान में 1 जुलाई से तेज बारिश की शुरुआत हो जाती है.
दिल्ली में बारिश बंगाल की खाड़ी से उठी हवा की वजह से होती है. दूसरी तरफ बौछार अरब सागर के ऊपर से बहने वाली धारा का हिस्सा बनकर दक्षिण दिशा से आती है. जुलाई में लगभग देश के हर हिस्से में भारी बारिश होती है.
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