How Lucknow Get this Name: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ को कभी गोल्डन सिटी, कभी सिराज-ए-हिंद, कभी भारत का कांस्टेंटिनोपल कहा गया तो आज अधिकतर लोग नवाबों का शहर या तहजीब का शहर कहकर बुलाते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि अवध के नवाबों के कारण चर्चा में रहे इस ऐतिहासिक शहर का पौरोणिक नाम क्या है? पुराणों में इस शहर का जिक्र किस नाम से आता है? भगवान राम और लक्ष्मण से इस शहर का क्या नाता है? यदि आप इन सवालों का जवाब जानते हैं तो निश्चित ही आप इस शहर के दीवाने हैं, लेकिन यदि आप नहीं जानते हैं तो कोई बात नहीं. चलिए हम आपको बताते हैं कि यह शहर कई नाम बदलने के बाद किस तरह लखनऊ के नाम से प्रसिद्ध हुआ.
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भगवान राम के आदेश पर बसा शहर
लखनऊ का इतिहास (History Of Lucknow) करीब 7,000 साल पहले रामायण के दौर से जुड़ा हुआ है. मान्यता है कि लंका से लौटकर अयोध्या का राजा बनने पर भगवान राम ने यह क्षेत्र लक्ष्मण को सौंपा था. श्रीराम के आदेश पर लक्ष्मण ने इस क्षेत्र में कौशल राज्य की स्थापना की, जिसकी राजधानी के लिए गोमती नदी किनारे एक नगर बसाया. इस नगर को लक्ष्मणपुर के नाम से जाना गया. बाद में यह नाम बदलकर लक्ष्मणावती हो गया और फिर करीब 11वीं सदी में इसे लखनपुर कहा जाने लगा. इस इतिहास को लखनऊ शहर (Lucknow City) की आधिकारिक वेबसाइट lucknow.nic.in पर भी दिया गया है.
लक्ष्मण टीला देता है राम से जुड़ाव की गवाही
पुराने लखनऊ में एक ऊंचा टीला मौजूद है, जिसे 'लक्ष्मण टीला' कहा जाता है. इस टीले के नाम को लखनऊ के लक्ष्मणपुर होने के सबूत से जोड़ा जाता है. दरअसल इस टीले की खुदाई में भारतीय पुरातत्व विभाग (ASI) को वैदिक कालीन अवशेष मिल चुके हैं. इस टीले पर एक मस्जिद मौजूद है. दावा किया जाता है कि टीले पर भगवान लक्ष्मण का पौरोणिक मंदिर था, जिसे तुड़वाकर Mughal औरंगजेब ने यहां मस्जिद बनवाई थी.
राजा लाखन और लक्ष्मावती की भी है कहानी
लखनऊ के पुरातन नामों को लेकर एक कहानी यह भी है कि इस शहर को राजा लाखन ने बसाया था. राजा लाखन की पत्नी का नाम लक्ष्मणावती था. इस शहर का नाम उसी के नाम पर लक्ष्मणावती रखा गया था, जो बाद में बदलता चला गया. इस कहानी को सही मानने वाले किला लाखन और लखनावती वाटिका का उदाहरण देते हैं, जिनकी मौजूदगी लखनऊ में रही है.
लखनपुर कैसे बन गया लखनऊ?
लखनऊ शहर के इतिहास के मुताबिक, लखनऊ शहर को 11वीं सदी के आसपास लखनपुर कहा जाने लगा था. यह नाम फिर लखनवती हो गया. फिर यह नाम बदलकर लखनौती कहा जाने लगा. 1775 में अवध के नवाब आसफ-उद-दौला के यहां अपनी राजधानी बनाए जाने के बाद लखनौती बदलकर लखनौ हो गया, जिसे बोलते समय लोग लखनऊ कहते थे. यही नाम प्रचलित हो गया.
भारत के सांस्कृतिक शहरों में से एक
लखनऊ को उन चुनिंदा शहरों में शुमार किया जाता है, जो भारत के सांस्कृतिक शहरों में गिने जाते हैं. यहां की बोलचाल की नफासत, साहित्य और संगीत से जुड़ाव, कपड़ों में चिकनकारी और दर्जनों तरह के अनूठे भोजन की तहजीब लखनऊ की असल आत्मा दिखाती हैं. भले ही लखनऊ में नवाबों का शासन 1850 में अवध के आखिरी नवाब वाजिद अली शाह के ब्रिटिश आधीनता स्वीकार करने पर खत्म हो गया, लेकिन आज भी यहां की बोलचाल और व्यवहार में ऐसी नफासत है, जो इसे 'तहजीब का शहर' या 'नवाबों का शहर' कहने को मजबूर करती है.
बेहतरीन वास्तुकला वाली अनूठी इमारतों का शहर
लखनऊ महज खानपान या बोलचाल के लिए ही प्रसिद्ध शहर नहीं है. यहां के उद्यानों से लेकर इमारतों तक ने इसे अनूठा बनाया है. लखनऊ में खास वास्तुशैली वाली अनूठी इमारतों की भरमार है. इनमें बड़ा इमामबाड़ा भूलभुलैया, हुसैनाबाद इमामबाड़ा, घंटाघर, जामी मस्जिद, मोती महल, देवाशरीफ, रूमी दरवाजा, लखनऊ रेजिडेन्सी, सआदत अली का मकबरा, कॉन्स्टेंटिया कॉन्स्टेंटिया (ला मार्टिनियर स्कूल), छतर मंजिल, इंदिरा गाँधी तारामंडल, लखनऊ जंक्शन और सतखंडा शामिल हैं.
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Lucknow Special: 'नवाबों का शहर' ही नहीं, क्या आप जानते हैं लखनऊ का ये प्रसिद्ध नाम