डीएनए हिंदी: वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद विवाद से चर्चा में आए उपासना स्थल कानून-1991 (Places of Worship Act 1991) पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केंद्र सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है. कोर्ट ने केंद्र सरकार को इस कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर जवाब दाखिल करने के लिए 2 सप्ताह का समय दिया है. 

डेढ़ साल में जवाब नहीं दे पाई है सरकार

चीफ जस्टिस यूयू ललित (Chief Justice of India U U Lalit) की अध्यक्षता वाली बेंच ने सुनवाई के दौरान यह भी नोट किया कि कोर्ट ने इस मुद्दे पर पहले भी नोटिस जारी किया है. कोर्ट ने 12 मार्च, 2021 को नोटिस जारी किया था, लेकिन डेढ़ साल बाद भी केंद्र सरकार ने इसका जवाब नहीं दिया है. 

पढ़ें- Pakistan के F-16 फाइटर जेट्स को अपडेट करेगा USA, कहीं ये भारत के रूस से दूर नहीं रहने का रिजल्ट तो नहीं

चीफ जस्टिस के साथ इस बेंच में जस्टिस एस. रविंद्र भट (Justice S Ravindra Bhat) और जस्टिस पीएस नरसिम्हा (Justice P S Narasimha) भी शामिल रहे. बेंच ने कहा, इस मामले में शामिल मुद्दे से सहमति जताते हुए हमारा मानना है कि इस मामले को तीन जजों की बेंच द्वारा ही सुना जाए. इसके बाद बेंच ने  सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री को यह मामला 11 अक्टूबर को लिस्टेड करने का निर्देश दिया.

पढ़ें- बिप्लब को हरियाणा, रुपाणी को पंजाब, संबित को उत्तर पूर्व का जिम्मा, क्या लोकसभा चुनाव के लिए बदला भाजपा ने संगठन

क्या था कानून बनाने का मकसद

पूजा स्थल कानून (Pooja Sthal Kanoon, 1991) को साल 1991 में भारतीय संसद ने पारित किया था. तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव (PV Narsimha Rao) के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने यह कानून पेश किया था. इस कानून को लाने का मकसद धर्मस्थलों को लेकर चल रहे विवादों को खत्म करना था. हालांकि अयोध्या (Ayodhaya) के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद के अदालत में होने के कारण उस मामले को इससे अलग रखा गया था.

पढ़ें- झोपड़ी में खुला है पार्टी का ऑफिस, चंदे में मिल गए 90 करोड़ रुपये, इनकम टैक्स विभाग भी हैरान

जानिए क्या है उपासना स्थल कानून

इस कानून में कहा गया है कि 15 अगस्त, 1947 को यानी देश की आजादी के दिन जिस धर्म की पूजा किसी धर्मस्थल में हो रही थी, वह धर्मस्थल उसी धर्म का रहेगा. उसे किसी दूसरे धर्म के पूजा स्थल में नहीं बदला जा सकता है. ऐसी कोशिश करने पर 1 से 3 साल तक की जेल और जुर्माने का प्रावधान किया गया है. आइए आपको बताते हैं कि इसकी किस धारा में क्या प्रावधान किया गया है.

धारा-2 में प्रावधान किया गया था कि यदि स्वतंत्रता के समय मौजूद किसी धर्म स्थल में बदलाव को लेकर कोई याचिका अदालत में लंबित है तो इस कानून के बाद उसे बंद कर दिया जाएगा.

धारा-3 सुनिश्चित करती है कि एक धर्म का पूजा स्थल को दूसरे धर्म के पूजाघर में किसी भी तरीके से नहीं बदला जाए. यहां तक कि उसे एक ही धर्म की किसी दूसरी शाखा के रूप में भी नहीं बदला जा सकता है.

धारा-4(1) के मुताबिक,15 अगस्त, 1947 को जो पूजा स्थल जिस धर्म से जुड़ा था, उसे वैसा ही बरकरार रखा जाएगा. 

धारा-4(2) में इस कानून के लागू होने के समय अदालत में लंबित सभी विवाद और कानूनी कार्यवाहियां रोकने का प्रावधान किया गया है.

धारा-5 के जरिए अयोध्या के रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद के अदालत में लंबित विवाद को इस कानून के दायरे से बाहर रखा गया था.

अब क्या है इस कानून को लेकर विवाद

उपासना स्थल कानून को लेकर दो पक्ष बन गए हैं. एक पक्ष इस कानून को असंवैधानिक बता रहा है. उसके हिसाब से यह कानून आजादी से पहले करीब 1000 साल के दौरान विदेशी आक्रमणकारियों ने जिन धर्मस्थलों की जगह मस्जिद या चर्च बनाकर किए कब्जे को वैधता देता है. इन लोगों का कहना है कि यह कानून हिंदू, सिख, जैन और बौद्ध धर्म के अनुयायियों को उनके संवैधानिक अधिकारों से वंचित करता है.

दूसरे पक्ष का कहना है कि इस कानून को खारिज करने पर देश में उन्माद और दंगे का माहौल बन सकता है. इससे देश में 900 से ज्यादा ऐसे धर्मस्थलों के लेकर आपस में हिंसा शुरू हो सकती है, जिन्हें मंदिर तोड़कर बनाए जाने का दावा किया जाता रहा है. 

पढ़ें- Urbanization increase Flooding: क्यों शहरों में घुसता चला आ रहा है बाढ़ का पानी?

900 से ज्यादा मंदिर हैं, जिन्हें तोड़ा गया था

इस मामले को लेकर भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय (Ashwini Upadhyay) ने याचिका दाखिल की हुई है. उनका दावा है कि साल 1192 से 1947 के बीच देश में 900 से ज्यादा मशहूर मंदिर तोड़कर मस्जिद या चर्च में बदले गए. इनमें से 100 से ज्यादा मंदिरों का जिक्र हिंदू धर्म के 18 महापुराणों में भी मिलता है. उपासना स्थल कानून के कारण इन मंदिरों को वापस हिंदू धर्म को देने की राह बंद होती है, जो संवैधानिक अधिकारों का हनन है.

देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर.

Url Title
Latest News Supreme Court updates Centre have 2 weeks to clear Places of Worship Act validity
Short Title
Places of Worship Act पर सुप्रीम कोर्ट ने 2 सप्ताह में मांगा केंद्र से जवाब
Article Type
Language
Hindi
Page views
1
Embargo
Off
Image
Image
pooja sthal kanoon
Date updated
Date published
Home Title

Places of Worship Act पर सुप्रीम कोर्ट ने 2 सप्ताह में मांगा केंद्र से जवाब, जानिए क्या है ये कानून और क्यों बना था