डीएनए हिंदी: इंडियाज मोस्ट वांटेड क्रिमिनल दाऊद इब्राहिम (Dawood Ibrahim) की D-Company के देश में दोबारा सक्रिय होने की जानकारी मिलने के बाद जांच एजेंसियां इसका नेटवर्क खंगालने में जुट गई हैं. इसके चलते रोजाना कोई न कोई चौंकाने वाली जानकारी सामने आ रही है. अब देश में बड़े पैमाने पर होने वाली स्मार्ट फोन्स की चोरी और D-कंपनी का भी एक खास लिंक सामने आया है. ये भी कहा जा सकता है कि आपका स्मार्ट फोन चोरी होने के बाद D-कंपनी की कमाई का बड़ा जरिया बन रहा है.
पढ़ें- Dawood Ibrahim पर 29 साल में पहली बार 25 लाख का इनाम, NIA ने क्यों किया ऐसा, जानिए पूरी बात
दरअसल एक महीने पहले मुंबई पुलिस (Mumbai Police) ने महाराष्ट्र में मोबाइल फोन चोरी करने वाले एक बड़े गिरोह का भंडाफोड़ किया था. इस दौरान 480 मोबाइल फोन जब्त किए गए थे. इसी छापे में हुई गिरफ्तारियों ने दाऊद गिरोह के नेटवर्क में चोरी के मोबाइल फोन की अहमियत का पर्दाफाश कर दिया है.
पढ़ें- पाकिस्तान से हर महीने भाई-बहनों को 10 लाख रुपये भेजता है डॉन दाऊद इब्राहिम
भारत में चोरी कर नेपाल और बांग्लादेश भेजे जाते हैं स्मार्ट फोन
मुंबई क्राइम ब्रांच (Mumbai Crime Branch) के अधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, पूरे देश में चोरी होने वाले स्मार्ट फोन नेपाल (Nepal) और बांग्लादेश (Bangladesh) भेजे जाते हैं. इसके लिए पूरे देश के बड़े मोबाइल चोर गिरोह आपस में लिंक बनाए हुए हैं. सूत्रों के मुताबिक, ये मोबाइल फोन नेपाल-बांग्लादेश से पाकिस्तान (Pakistan) में D Company के पास भिजवाए जाते हैं. D कंपनी के टेक्नो एक्सपर्ट्स इन मोबाइल नंबर्स के IMEI नंबर को सॉफ्टवेयर की मदद से हटा दिया जाता है. इसके बाद एक ही IMEI नंबर को चोरी किए गए 40 से 50 मोबाइल फोन में एक्टिव कर दिया जाता है.
पढ़ें- Vladimir Putin ने तय की यूक्रेन पर रूस के कब्जे की तारीख, उनकी पार्टी ने की है ये खास घोषणा
रंगदारी से लेकर हवाला तक में होता है इनका इस्तेमाल
IMEI नंबर बदलने के बाद इन मोबाइल फोन का इस्तेमाल D कंपनी की गैरकानूनी गतिविधियों में किया जाता है. D कंपनी के गुर्गे इन मोबाइल फोन्स की मदद से ही रंगदारी, Narco Terrorism, Terror Funding, Terror operations, Arms Dealing, Fake Currency, Hawala जैसे धंधों को चलाते हैं और जांच एजेंसियों की नजर में भी नहीं आते हैं.
पढ़ें- क्रिप्टो करेंसी से कितनी अलग होगी डिजिटल करेंसी, क्या यह है कैशलेस भारत की ओर एक बड़ा कदम?
पुलिस के लिए मुश्किल हो जाता है सही लोकेशन जानना
मुंबई पुलिस के पूर्व ACP इकबाल शेख (Iqbal Shaikh) के मुताबिक, एक ही IMEI नंबर के 40 से 50 मोबाइल फोन में चलने के कारण पुलिस या अन्य जांच एजेंसी D कंपनी के गुर्गों को ट्रेस नहीं कर पाती हैं. दरअसल ये सभी फोन अलग-अलग लोकेशन दिखाते हैं. ऐसे में पुलिस के लिए यह ट्रेस करना मुश्किल हो जाता है कि जिस फोन करन वाले की वे तलाश कर रही हैं, वो असल में किस लोकेशन पर एक्टिव है.
पढ़ें- पाकिस्तान का इंग्लैंड जितना हिस्सा पानी में डूबा, हर 7 में 1 नागरिक प्रभावित, क्यों हुआ ऐसा हाल?
इससे निपटने के लिए एक हुईं भारतीय एजेंसियां
हाल ही में गृह मंत्रालय ने एक मल्टी इंटेलिजेस यूनिट मीटिंग ऑर्गनाइज की थी, इसमे इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB), NIA, DRI, Customs, Military Intelligence, State Intelligence एजेंसियों के साथ मुंबई पुलिस भी शामिल थी. इस इंटेलिजेंस शेयरिंग मीटिंग के दौरान भी चोरी के मोबाइल फोन्स का आतंकी व देशविरोधी गतिविधियों में इस्तेमाल करने को लेकर चर्चा हुई थी. इसे बाद तय किया गया कि अब इंटेलिजेंस एजेंसियां मुंबई पुलिस की तरफ से पकड़े गए केसों के डाटा को भी कलेक्ट करेगी.
पढ़ें- बाइडेन प्रशासन में एक और भारतीय, पहले जिस कोर्ट में क्लर्क थे, अब वहीं जज बनेंगे अरुण
कितने फोन गए हैं D कंपनी के पास, इसकी होगी जांच
मीटिंग में तय किया गया कि अब तक ऐसे कितने फोन D कंपनी के पास पहुंचे हैं, इसकी जांच कर सूची बनाई जाएगी. इसके बाद उन लोगों की पहचान की जाएगी, जो लैपटॉप्स और मोबाइल फ़ोन्स के IMEI नंबर्स को मैनिपुलेट करते हैं. ये काम ज़्यादातर नेपाल, बांग्लादेश और पाकिस्तान में किया जाता है, क्योंकि वहां एक अलग नंबर से operations होते हैं और भारत का SIM वहाँ इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है.
पढ़ें- यूपी में पकड़ी गई 10 करोड़ रुपये की एम्बरग्रीस, क्यों इतनी महंगी होती है व्हेल की उल्टी?
मोबाइल फोन आने से पहले भी ऐसी ही थी D कंपनी मॉड्स ऑपरेंडी
दरअसल D कंपनी की चोरी के फोन से अपना ऑपरेशन चलाने की मॉड्स ऑपरेंडी (modus operandi) नई नहीं है. D कंपनी मोबाइल फोन आने से पहले लैंडलाइन फोन के दौर में भी कुछ ऐसे ही तरीके इस्तेमाल करती थी. तब टेलिकॉम विभाग के Lineman को घूस खिलाकर किसी भी आम आदमी के landline फ़ोन की लाइन में सेंध लगा दी जाती थी. इसके बाद उस फोन से ही पूरा धंधा चलाया जाता था. ऐसे फोन 2 या 3 दिन चलाने के बाद बदल दिए जाते थे. इससे पुलिस यदि फोन टेप भी करती थी तो D कंपनी के गुर्गे तक पहुंचने के बजाय निर्दोष आम आदमी के घर तक पहुंचती थी, जहां गिरफ्तारी के बाद भी उसके हाथ कुछ नहीं लगता था.
देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगल, फ़ेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर.
- Log in to post comments
D Company के काम आता है आपका चोरी हुआ फोन, जानिए कैसे इससे चल रहा Dawood Ibrahim का नेटवर्क