डीएनए हिंदी: कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2023 का चुनाव भारतीय जनता पार्टी (BJP) हार रही है. कांग्रेस के पास स्पष्ट बहुमत है. 113 से ज्यादा सीटों पर जीत के करीब कांग्रेस ने बीजेपी को उसी के जाल में फंसाकर हरा दिया है. कांग्रेस के किसी भी सवाल का बीजेपी के पास काउंटर अटैक नहीं था. यह पहली बार था जब बीजेपी पर कांग्रेस अटैक कर रही थी और बीजेपी कांग्रेस का जवाब नहीं दे पा रही थी. मोदी मैजिक भी बेअसर हुआ और कांग्रेस के टीम वर्क की रणनीति काम आई. 

सिर्फ बीजेपी ही नहीं जनता दल सेक्युलर (JDS) के पांव सिमटे हैं. किंग मेकर बनने का ख्वाब देख रहे कुमारस्वामी, अब संयोग से मुख्यमंत्री नहीं बन पाएंगे. एग्जिट पोल्स के नतीजे सच साबित हुए हैं और बीजेपी हार गई है. 224 विधानसभा सीटों से बीजेपी को बहुत उम्मीद थी लेकिन लाभ कुछ नहीं हुआ. आइए जानते हैं कुछ वजहें, जिनकी वजह से बीजेपी की हार हो गई.

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1. कमीशन का कंलक ले डूबा बीजेपी को

कर्नाटक में बीजेपी कमीशन से कलंक से उबर नहीं पाई. कांग्रेस ने कमीशन कल्चर को मुद्दा बना दिया. कांग्रेस ने दावा किया कर्नाटक में कोई भी काम बिना 40 फीसदी कमीशन के नहीं हो सकता है. स्कूल, टेंडर, शिक्षकों, इंजीनियर, मरीज और धार्मिक मठों से भी कमीशन वसूला गया. कांग्रेस के आरोपों के जवाब में बीजेपी के पास कुछ भी नहीं था. बीजेपी अपनी स्वच्छ छवि जनता के मन में नहीं बिठा पाई.

2. सीएम पद तक भ्रष्टाचार की आंच, बीजेपी को नहीं सूझा जवाब

बीजेपी सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे तो पार्टी बचाव करने में फेल रही. कांग्रेस की कैंपेनिंग शानदार रही और बीजेपी कोई भी काउंटर नैरेटिव तैयार नहीं कर पाई. कांग्रेस के '40 प्रतिशत कमीशन की सरकार' नारे ने बीजेपी के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी का माहौल तैयार कर दिया. कांग्रेस ने दावा किया कि बीजेपी में मुख्यमंत्री पद भी बिकाऊ है, जिसे 2,500 करोड़ रुपये देकर खरीदा जा जा सकता है. जब सीएम पद तक भ्रष्टाचार की आंच आई तो जनता ने बीजेपी से किनारा कर लिया.

3. बीजेपी के पास नहीं था सीएम फेस

बीजेपी नरेंद्र मोदी फैक्टर पर चुनाव जीतना चाहती थी. बीजेपी के पास कोई मजबूत चेहरा राज्य में नहीं था. बीएस येदियुरप्पा और सीएम बोम्मई महज कठपुतली समझे गए. कांग्रेस के पास दो मजबूत चेहरे थे. पहला चेहरा सिद्धारमैया का और दूसरा चेहरा डीके शिवकुमार का. दोनों अपने-अपने क्षेत्र में बेहद लोकप्रिय रहे हैं. दोनों की जमीन पर मजबूत पकड़ रही. पीएम मोदी बाहरी समझे गए और चुनवा उनके हाथ से निकल गया. 

4. अखबारों में बीजेपी के खिलाफ कांग्रेस का करप्शन रेट कार्ड

कांग्रेस ने चुनावों के दौरान करप्शन का रेट कार्ड जारी किया. रेट कार्ड में इस बात का जिक्र था कि बीजेपी हर पोस्ट के लिए कमीशन लेती है. कांग्रेस ने कर्नाटक में भ्रष्टाचार का एक रेट कार्ड प्रकाशित कराया. मुख्यमंत्री से लेकर ग्रेड 3 के कर्मचारी तक हर अनुबंध और नियुक्ति के लिए रिश्वत का जिक्र हुआ. यह रेट कार्ड भी बीजेपी के खिलाफ चला गया.
 
5. लिंगायतों को बीजेपी ने समझा वोट बैंक, मिल गया धोखा 

लिंगायतों के बारे में कहा जाता था कि ये बीजेपी के वफादार वोटर हैं. राज्य में 17 फीसदी आबादी लिंगायतों की है. लिंगायत प्रभावी वोटर है. बीजेपी ने बीएस येदियुरप्पा को हटाया और बसवराज बोम्मई को मुख्यमंत्री बनाया. येदियुरप्पा की नाराजगी, लिंगायतों की नारजगी में बदल गई. उन्होंने बीजेपी के साथ होने का दावा तो किया लेकिन 4 साल बाद उनका निष्कासन उनके समाज को ठीक नहीं लगा. जगदीश शेट्टार जैसे नेताओं का बीजेपी से जाना भी यह इशारा कर गया कि अब लिंगायत बीजेपी नहीं, कांग्रेस के साथ हैं. 

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6. दूसरी जातियों को रिझाने में फेल हुई बीजेपी

बीजेपी दूसरी जातियों को भी रिझाने में फेल रही है. कर्नाटक में वोक्कालिगा 15 फीसदी, ओबीसी 35 फीसदी, एससी-एसटी 18 फीसदी, मुस्लिम करीब 12.92 फीसदी और ब्राह्मण करीब तीन फीसदी हैं. बीजेपी से हर समुदाय सत्ता विरोधी लहर की वजह से नाराज रहा. बीजेपी डैमेज कंट्रोल करने में फ्लॉप रही. नतीजा यह निकला कि सूबे की सत्ता से बीजेपी की विदाई हो गई.

7. ध्रुवीकरण नहीं आया काम, कांग्रेस की बनी सरकार

बीजेपी ने चुनाव में कांग्रेस को बजरंगबली के खिलाफ बताने की कोशिश की. वजह यह थी कांग्रेस ने अपने मेनिफेस्टो में वादा किया कि बजरंग दल समेत कट्टरपंथी संगठनों पर बैन लगाया जाएगा. बीजेपी ने कांग्रेस को हिंदू विरोधी बताकर खूब तालियां पिटवाई. पीएम मोदी भी जय बजरंग बली का नारा लगाकर अपने भाषण की शुरुआत करते थे. कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार ने इस रणनीति का तोड़ निकाल लिया. उन्होंने कहा कि वे खुद बजरंगबली का मंदिर बनवाएंगे. अब यह रणनीति बीजेपी पर भारी पड़ी. धार्मिक ध्रुवीकरण भी काम नहीं आया.

8. कांग्रेस को कमजोर समझकर बीजेपी से हुई चूक

कर्नाटक विधानसभा चुनावों के दौरान बीजेपी का पूरा चुनावी कैंपेन उन मुद्दों को समर्पित रहा, जिससे कर्नाटक की जनता ने जुड़ाव ही महसूस नहीं किया. बीजेपी ने राष्ट्रवाद, धर्म से लेकर पीएम मोदी पर हुए सियासी हमलों तक को मुद्दा बनाने की कोशिश की. जनता ने उन सभी मुद्दों को नकार दिया. बीजेपी कांग्रेस को कमजोर बताती रही और सही ताकत पहचानने में नकाम रही. यही वजह है कि कांग्रेस ने इतनी सधी रणनीति से काम किया कि बीजेपी की जड़ें हिल गईं.

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Karnataka Election Results 2023 BJP lose in Karnataka big margin by Congress Rahul Kharge Modi Key Pointers
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कर्नाटक में 'कमजोर' कांग्रेस से कैसे हार गई मजबूत 'बीजेपी?' जानिए 5 वजहें 
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Karnataka assembly elections 2023 Results live updates.
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Karnataka Election Results 2023: कर्नाटक में 'कमजोर' कांग्रेस से कैसे हारी मजबूत 'बीजेपी?' जानिए 8 वजहें