डीएनए हिंदी: भारत में पीने का साफ पानी पहुंचाने के लिए जल जीवन मिशन (Jal Jeevan Mission) तेजी से चल रहा है. भारत में हल साल दूषित पानी पीने से लाखों लोगों की जान चली जाती है. जाने-अनजाने में दूषित पानी (Contaminated Water) पीने से लाखों लोग बीमार होते हैं अस्पतालों के चक्कर काटते हैं. इन्हीं समस्याओं का समाधान करने के लिए जल जीवन मिशन के तहत 'हर घर नल जल' (Har Ghar Nal Jal) योजना शुरू की गई है. इस योजना के अब तक के डेटा के मुताबिक, देश के 54 प्रतिशत घरों में पीने के साफ पानी का कनेक्शन पहुंचाया जा चुका है. देश के कुछ राज्य ऐसे भी हैं, जहां के हर घर में पीने का पानी पहुंच गया है.
एक रिपोर्ट के मुताबिक, जब हर घर में जल पहुंचाने की योजना पूरी तरह से काम करने लगेगी तो हर साल लगभग सवा लाख बच्चों की जान बचाई जा सकती है. इसमें, सबसे ज़्यादा बच्चे पांच साल से कम उम्र की होंगे. इस मिशन के लिए सबसे अहम यह है कि पीने के लिए पहुंचाया जा रहा पानी साफ-सुथरा और स्वास्थ्य के पैमानों पर खरा उतरे. पानी में आर्सेनिक, फ्लोराइड और नाइट्रेट जैसी चीजें बेहद खतरनाक और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है.
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सबसे पहले बच्चों तक पहुंच रहा साफ पानी
बच्चों को पीने का साफ पानी दिलाने के लिए सरकारी स्कूलों और आंगनबाड़ी में टैप वाटर कनेक्शन लगाए जा रहे हैं. 2 अक्टूबर 2020 से शुरू हुए इस खास मिशन की बदौलत अब मार्च 2022 तक 8.52 लाख (83 प्रतिशत) स्कूलों और 8.76 लाख (78.4 प्रतिशत) आंगनबाड़ी केंद्रों तक पीने के पानी का कनेक्शन पहुंचा दिया गया था. इस योजना में केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकारें भी काम कर रही हैं.
जमीन से निकलने वाला पानी कई बार हमें साफ तो लगता है, लेकिन वह पीने लायक नहीं लगता. हम जिस पाने को पी रहे होते हैं उसी से हमें तमाम समस्याएं शुरू हो जाती हैं और हम उसका कारण नहीं समझ पाते हैं. भारत में खुली नालियां, केमिकल युक्त सीवेज वाटर और प्रदूषण की वजह से जमीन के नीचे मौजूद पानी भी गंदा हो रहा है. कई बार यह पानी बोरवेल और मोटर पंप के स्रोत तक पहुंच जाता है और पानी को गंदा कर देता है.
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गंदे पानी ने भारत में फैलाई महामारी
दूषित पानी की वजह से ही भारत में 1940 में हैजा और 1994 में प्लेग जैसी महामारियां फैल चुकी हैं जिनसे देश को हजारों करोड़ का नुकसान हुआ. इसके अलावा, इन बीमारियों की वजह से लाखों लोग बीमार पड़े और अपनी जान गंवाई. साल 2016 में सिर्फ़ डायरिया की वजह से भारत में लगभग एक लाख लोगों ने जान गंवाई. साल 2020, में भारत सरकार की ओर से लोकसभा में दि गए जवाब के मुताबिक, देश के लगभग 3 करोड़ ग्रामीण नागरिक दूषित पानी पीते हैं.
वाटर फोरम की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की नदियों और अन्य जल स्रोतों में हर दिन 40 लाख लीटर गंदा पानी बहाया जाता है. यही कारण है कि भारत में सतह पर मिलने वाला 70 प्रतिशत पानी पीने के लायक नहीं है. नीति आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक, देश के लगभग 60 करोड़ लोगों को पीने का साफ पानी नहीं मिलता है. इस वजह से हर साल लगभग तीन लाख लोगों की जान चली जाती है.
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साल 2019 में इकोनॉमी का नोबेल जीत चुके माकल क्रेमर ने अपने एक रिपोर्ट में उम्मीद जताई है कि भारत का जल जीवन मिशन हर साल 1.36 लाख बच्चों की जान बचा सकता है. उन्होंने इस क्षेत्र में भारत के साथ काम करने की इच्छा भी जताई है. साफ पानी पहुंचने से दूषित पानी से होने वाली बीमारियों में तेजी से कमी आने की उम्मीद है. इससे, मरने वाले लोगों की संख्या में भी कमी आएगी. खदानों के आसपास के इलाकों में पीने के पानी में आयरन और मैगनीज जैसे तत्व भारी मात्रा में पाए जाते हैं जो इंसानों के लिए बेहद हानिकारक होते हैं. इन इलाकों में ट्रीटेड वाटर पहुंचने से लोगों की समस्याएं दूर हो जाएंगी.
गंदे पानी से कौन-कौन सी बीमारियां होती हैं?
दूषित पानी पीने से डायरिया, उल्टी, दस्त, डिहाइड्रेशन और पेट दर्द जैसी समस्याएं हो सकती हैं. दरअसल, दूषित पानी में ऐसे बैक्टीरिया और फंगस होते हैं जो आंखों से दिखाई तो नहीं देते लेकिन आपके शरीर को गंभीर नुकसान पहुंचाते हैं. इससे, आपका पाचन तंत्र बुरी तरह प्रभावित होता है और आंतों को भी नुकसान पहुंच सकता है. पेट में इन्फेक्शन होने से डिहाइड्रेशन बढ़ जाता है और आप गंभीर रूप से बीमार पड़ सकते हैं.
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