India-Pakistan Conflict: भारत और पाकिस्तान के बीच जंग जैसे संघर्ष में शनिवार शाम को सीजफायर हो गया है. इस संघर्ष के दौरान पाकिस्तान के सबसे बड़े सहयोगी चीन ने भी उसका साथ नहीं दिया था. चीन महज भारत और पाकिस्तान से धैर्य बनाए रखने की अपील कर रहा था, लेकिन सीजफायर होते ही चीन अचानक एक्टिव हो गया है. चीन ने सीजफायर के तत्काल बाद बयान जारी करके पाकिस्तान का समर्थन करने की घोषणा की है. चीन ने कहा है कि पाकिस्तान की संप्रभुता में हम उसके साथ हैं. चीन के इस बयान के तत्काल बाद ही पाकिस्तानी सेना ने एक बार फिर सीजफायर उल्लंघन कर दिया है, जिसके खिलाफ भारतीय सेना को जवाबी कार्रवाई करने की पूरी छूट दे दी गई है. ऐसे में चीन की मंशा पर सवाल उठ रहे हैं. उसके बयान को भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव भड़काने की कोशिश माना जा रहा है, जिससे उसे दोहरा लाभ होने की आशंका है.
चलिए हम आपको 5 पॉइंट्स में समझाते हैं कि चीन के इस कदम का क्या कारण है-
1. भारत-पाकिस्तान लड़ाई में उलझे तो चीन का कसेगा शिकंजा
भारत और पाकिस्तान के बीच यदि लड़ाई होती है तो इससे चीन को सीधा लाभ होने जा रहा है. पाकिस्तान आर्थिक और सैन्य सहायता के लिए चीन पर निर्भर है. यदि युद्ध होता है तो पाकिस्तान को चीन से और ज्यादा हथियारों की जरूरत पड़ेगी, जिससे चीन की वैपन इंडस्ट्री को लाभ होगा. साथ ही चीन ने बड़े पैमाने पर पाकिस्तान के अंदर निवेश किया हुआ है. पहले से ही आर्थिक रूप से खत्म हो चुका पाकिस्तान यदि लड़ाई में उलझेगा तो उसकी बची हुई अर्थव्यवस्था भी ध्वस्त हो जाएगी, जिससे चीन को वहां किए हुए निवेश को सीधे अपने स्वायत्त क्षेत्र के तौर पर कब्जे में लेने में आसानी होगी.
2. भारत की इकोनॉमी को भी लगेगा झटका तो चीन की बल्ले-बल्ले
यदि भारत और पाकिस्तान के बीच जंग छिड़ती है तो इससे भारतीय इकोनॉमी को भी झटका लगेगा, जो फिलहाल दुनिया में सबसे तेजी से आगे बढ़ती इकोनॉमी में शामिल है. फिलहाल अमेरिका और चीन को बीच आर्थिक जंग छिड़ी हुई है, जिसके चलते अधिकतर पश्चिमी देश चीन के बजाय भारत को मैन्यूफैक्चरिंग हब के तौर पर देखने लगे हैं. एप्पल जैसी बहुत सारी कंपनियों ने भारत में मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में बड़े पैमाने पर निवेश किया है. पाकिस्तान के साथ जंग छिड़ने पर भारत की इमेज 'कॉन्फलिक्ट जोन' के तौर पर बनेगी, जिससे विदेशी कंपनियां भारत में निवेश करने से हिचकेंगी. ऐसे में उनके पास चीन में ही निवेश के लिए लौटने का विकल्प बाकी रहेगा. यह स्थिति सीधे तौर पर चीन को लाभ देने वाली हैं
3. भारत की विकास दर होगी प्रभावित
फिलहाल भारत दुनिया के सबसे तेज गति से विकास कर रहे देशों में शामिल है. भारतीय इकोनॉमी पिछले कुछ साल में ही दुनिया की टॉप-5 इकोनॉमी में शामिल हो गई है, जिसके अगले दो साल में 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनकर जापान को पीछे छोड़ने की संभावना है. यदि पाकिस्तान के साथ जंग होने से भारत में विदेशी निवेश प्रभावित होता है तो सीधेतौर पर उसकी इकोनॉमी की स्पीड प्रभावित होगी. इससे भारत कमजोर होगा. यह स्थिति भारत के साथ कई जगह सीमा विवाद में उलझे चीन के लिए फायदेमंद है.
4. ग्लोबल लेवल पर तेजी से पॉवर के तौर पर नहीं उभर पाएगा भारत
भारत ने पिछले कुछ साल में अपनी विदेश कूटनीति के दम पर ग्लोबल लेवल पर एक अलग इमेज बनाई है. भारत के अधिकतर देशों से बढ़िया रिश्ते हुए हैं, जिसका लाभ उसे व्यापार के स्तर पर भी मिल रहा है. हाल ही में ब्रिटेन के साथ एक अरसे से लंबित पड़े मुक्त व्यापार समझौता (FTA) पर मंजूरी की मुहर लगना इसका उदाहरण है. हालिया सालों में भारत की बात ग्लोबल लेवल पर सुनी गई है और उसे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में स्थायी सीट देने का मुद्दा भी उठा है. भारत के साथ विवादों में फंसे होने के कारण उसकी पॉवर बढ़ना चीन अपने लिए सही नहीं मानता है. इसके चलते भी चीन लगातार भारत को तनाव में उलझाए रखने की रणनीति पर चल रहा है. इसका अंदाजा पिछले दिनों चीन की तरफ से बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद आई भारत विरोधी सरकार को बढ़ावा देने से भी लगाया जा सकता है.
5. भारत की सैन्य शक्ति भी कमजोर होगी
यदि भारत की इकोनॉमी की गति घटती है तो इसका असर उसकी सैन्य शक्ति पर भी पड़ेगा. पिछले कुछ साल में भारत ने तेजी से अपनी सैन्य शक्ति को एडवांस करने की कोशिश की है. इसका नजारा पाकिस्तान के साथ मौजूदा संघर्ष के दौरान उसके हाई लेवल एडवांस्ड एयर डिफेंस सिस्टम के उपयोग में भी दिखा है, जिसे भारत ने अमेरिका के विरोध के बावजूद रूस से खरीदा था. यदि भारतीय इकोनॉमी की गति घटती है तो सेना के लिए एडवांस हथियार खरीदने के लिए पैसा निकालना मुश्किल हो जाएगा, जिससे सैन्य शक्ति कमजोर होगी. इससे चीन को सीमा विवादों में भारत को धमकाने का मौका मिल जाएगा. इस कारण भी चीन की तरफ से भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव भड़कने में अपना लाभ देखा जा रहा है.
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