पहलगाम की धरती पर अभी भी निर्दोष रक्त के गहरे धब्बे मौजूद हैं. जब परिवार शोक मना रहे हैं और एक राष्ट्र न्यायपूर्ण क्रोध से उबल रहा है, पाकिस्तान का आतंकवाद के साथ दशकों पुराना नृत्य भारत के सहनशीलता की अंतिम सीमा को पार कर चुका है. बैसरन घाटी नरसंहार मात्र एक और हमला नहीं है, बल्कि सात अक्षम्य अपराधों का चरमोत्कर्ष है जिनका जवाब अब राजनयिक औपचारिकताओं या रणनीतिक संयम से नहीं दिया जा सकता. भारत परिवर्तन की दहलीज पर खड़ा है—प्रतिशोध चाहने वाले पीड़ित के रूप में नहीं, बल्कि न्याय की मांग करने वाली उभरती महाशक्ति के रूप में. आधे उपायों का समय बीत चुका है. निम्नलिखित सात अपराध पाकिस्तान का भारत और मानवता के प्रति ऋण हैं, एक ऐसा ऋण जिसका भुगतान अब पूर्ण रूप से किया जाना चाहिए.

पाकिस्तान के 7 अक्षम्य अपराध

1. आतंक के वास्तुकारों को शरण देना
जैसे एक राष्ट्र आगजनी करने वालों को घर देता है और दावा करता है कि वह आग से लड़ रहा है, पाकिस्तान भारत के सबसे वांछित आतंकवादियों को आश्रय देता रहता है. 1993 के मुंबई बम विस्फोटों का मास्टरमाइंड दाऊद इब्राहिम कराची के डिफेंस हाउसिंग एरिया में शाही आराम से रहता है. संसद और पुलवामा हमलों के सूत्रधार मौलाना मसूद अजहर पाकिस्तानी धरती से बिना किसी रोक-टोक के काम करता है. ये लोग महज अपराधी नहीं हैं; वे सामूहिक हत्या के वास्तुकार हैं. उनका प्रत्यर्पण गैर-बातचीत योग्य है—यह पाकिस्तान की सभ्यता के प्रति प्रतिबद्धता का पहला परीक्षण है. वे हर दिन जो आजाद रहते हैं, वह एक और दिन है जब पाकिस्तान आतंकवाद के राज्य प्रायोजक के रूप में दोषी ठहराया जाता है.

2. सैन्य-आतंक नेक्सस
पाकिस्तान की सेना और खुफिया सेवाएं वर्दी में एक घातक रोग का प्रतिनिधित्व करती हैं—एक संस्था जिसने आतंकवाद को राज्य नीति के रूप में हथियार बना लिया है. सेना प्रमुख और आईएसआई के महानिदेशक एक राष्ट्र के रक्षकों के रूप में नहीं बल्कि आतंकवादी संगठनों के कठपुतली मास्टर के रूप में काम करते हैं. इस सैन्य उच्च कमान को सीमा पार आतंकवाद के आयोजन के लिए अभियोजन का सामना करना चाहिए—या तो भारतीय अदालतों में या अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरणों के सामने. कोई शांति संभव नहीं है जब तक ये जनरल नागरिक जीवन को मोहरे के रूप में इस्तेमाल करके युद्ध खेल रहे हैं.

3. जल चोरी
रात के चोर की तरह, पाकिस्तान ने सिंधु जल संधि के तहत भारत की उदारता का फायदा उठाया है, जल संसाधनों का दावा करते हुए भारत को उसका उचित हिस्सा देने से इनकार करता है. यह जल असंतुलन बहुत लंबे समय से बना हुआ है—भारतीय कृषि और ऊर्जा सुरक्षा के खिलाफ एक मौन पर्यावरणीय आक्रमण. भारत अब सिंधु नदी के जल के 50% तक पहुंच की न्यायसंगत मांग करता है. यह सिर्फ प्रवाह के घन मीटर के बारे में नहीं है; यह लाखों भारतीय किसानों के लिए जीवन रेखा और हजारों गांवों को रोशन करने वाली शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है.

4. बलूचिस्तान का दमन
बलूचिस्तान का प्रांत पाकिस्तान के जूते के नीचे तड़पता है—इसके संसाधन लूटे गए, इसके लोग दमित, इसकी स्वायत्तता कुचली गई. यहां पाकिस्तान के अपराध उसी औपनिवेशिक दमन को दर्शाते हैं जिससे वह बचने का दावा करता है. प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध फिर भी जानबूझकर गरीब बनाया गया, बलूचिस्तान का आत्मनिर्णय के संघर्ष भारत के मुखर समर्थन का हकदार है.
यह हस्तक्षेप नहीं बल्कि नैतिक अनिवार्यता है. स्वतंत्रता से जन्मे एक राष्ट्र को उनके साथ खड़ा होना चाहिए जो इसे चाहते हैं. बलूचिस्तान के अपना भविष्य निर्धारित करने के अधिकार का समर्थन करके, भारत उन्हीं सिद्धांतों को बनाए रखता है जिन पर उसकी अपनी स्वतंत्रता जीती गई थी.

5. कब्जे वाले कश्मीर में आतंक कारखाने
पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर को आतंकवाद के लिए एक विशाल प्रशिक्षण मैदान में बदल दिया गया है. एक रक्त से सनी अकादमी जहां युवाओं को कट्टरपंथी बनाया जाता है, हथियार दिए जाते हैं, और भारत पर निशाना साधा जाता है. ये शिविर छिपे नहीं हैं; वे पाकिस्तानी अधिकारियों के पूर्ण ज्ञान और समर्थन के साथ खुले आम संचालित होते हैं.उनका पूर्ण विघटन—अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों द्वारा सत्यापित—किसी भी संवाद के लिए एक पूर्व शर्त होनी चाहिए. हर खड़ा शिविर भारत के दिल पर तानी गई एक लोड की हुई बंदूक है.

6. सांस्कृतिक नरसंहार
मानवता की साझा विरासत को विकृत करने वाले बर्बरों की तरह, पाकिस्तान ने हिंदू और सिख धार्मिक स्थलों के व्यवस्थित विनाश की अध्यक्षता की है. प्राचीन मंदिर खंडहर में पड़े हैं, ऐतिहासिक गुरुद्वारे उपेक्षा से टूट रहे हैं, और अल्पसंख्यकों को अपने विश्वास का पालन करने के लिए उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है.

भारत इन पवित्र स्थानों के पुनर्स्थापना और संरक्षण की मांग करता है—न केवल पत्थर की इमारतों के रूप में, बल्कि एक साझा सभ्यतागत विरासत के स्मारकों के रूप में जो सीमाओं को पार करती है. यह धर्म के बारे में नहीं बल्कि सांस्कृतिक पहचान की नींव का सम्मान करने के बारे में है.

7. समापन से इनकार
अंतिम क्रूरता के कार्य में, पाकिस्तान नियमित रूप से भारत को हमलों के दौरान मारे गए आतंकवादियों के शवों से भी इनकार करता है. यह परिकल्पित निर्दयता पीड़ितों के परिवारों को समापन से वंचित करती है और फोरेंसिक परीक्षा को रोकती है जो हमलावरों के मूल और समर्थन नेटवर्क को उजागर करेगी. आतंकवादियों के अवशेषों की वापसी प्रतीकात्मक और व्यावहारिक रूप से आवश्यक है. भारत को सबूत श्रृंखला स्थापित करने और पीड़ितों के परिवारों को यह जानने का ठंडा आराम देने की अनुमति देता है कि न्याय शुरू हो गया है.

आगे का मार्ग: रणनीति के माध्यम से शक्ति

भारत की प्रतिक्रिया को भावनात्मक प्रतिक्रिया से परे जाना चाहिए. जिसकी आवश्यकता है वह अंधा प्रतिशोध नहीं बल्कि परिकलित दबाव है—राजनयिक, आर्थिक, सैन्य और खुफिया चैनलों के माध्यम से लागू:

1.लक्षित हमले आतंक के बुनियादी ढांचे पर सर्जिकल सटीकता के साथ निष्पादित किए जा सकते हैं, व्यापक संघर्ष को ट्रिगर किए बिना पाकिस्तान के आतंक उपकरण को विघटित करना.

2.अंतरराष्ट्रीय अलगाव को तीव्र किया जाना चाहिए, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से लेकर वित्तीय निगरानी तक हर वैश्विक मंच के सामने पाकिस्तान की आतंक मिलीभगत का दस्तावेजीकरण किया जाना चाहिए.

3. खुफिया अभियानों का विस्तार किया जाना चाहिए ताकि खतरों को सामने आने से पहले ही निष्प्रभावी किया जा सके और पाकिस्तान के आतंक नेटवर्क को वैश्विक जांच के लिए उजागर किया जा सके.

4.जल कूटनीति का लाभ उठाया जाना चाहिए ताकि नदी संसाधनों में भारत का वाजिब हिस्सा सुरक्षित किया जा सके, जल न्याय को कृषि समृद्धि में बदला जा सके.

क्षेत्रीय शक्ति से वैश्विक स्तंभ तक
संकट का यह क्षण अपने भीतर परिवर्तन के बीज रखता है. अनियंत्रित क्रोध के बजाय रणनीतिक बुद्धिमत्ता के साथ जवाब देकर, भारत क्षेत्रीय शक्ति से वैश्विक स्तंभ तक पहुंच सकता है. एक ऐसा राष्ट्र जिसका नैतिक प्राधिकार उसकी सैन्य और आर्थिक शक्ति से मेल खाता है.पहलगाम त्रासदी भारत के अंतिम उभार का उत्प्रेरक बन सकती है, जो वैश्विक शक्ति गतिशीलता में तीसरे ध्रुव के रूप में, संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन के साथ. लेकिन यह उत्थान अनुशासित राजनीति पर निर्भर करता है. प्रतिशोध के बिना न्याय, अतिरेक के बिना ताकत, लापरवाही के बिना दृढ़ संकल्प.

पाकिस्तान के सात पाप दशकों में जमा हुए हैं, प्रत्येक अतिक्रमण अगले को हौसला देता है. भारत के लिए बिल प्रस्तुत करने का समय आ गया है. अराजक संघर्ष के माध्यम से नहीं बल्कि परिकलित परिणाम के माध्यम से. नफरत के माध्यम से नहीं बल्कि न्याय की ठंडी स्पष्टता के माध्यम से.दुनिया देख रही है. इतिहास प्रतीक्षा कर रहा है और भारत को अपने संकल्प में विचलित नहीं होना चाहिए कि पहलगाम में बहाया गया खून युद्ध का नहीं, बल्कि स्थायी परिवर्तन की नींव बने.
                                                                                                                            (-लेखक डॉ. आशीष कौल)

(लेखक डॉ. आशीष कौल कश्मीर विषय विशेषज्ञ, सीसीआरटी के वरिष्ठ फेलो, मीडिया दिग्गज और कश्मीर और इसके गौरवशाली अतीत की छिपी कहानियों पर 5 पुस्तकों के बेस्टसेलिंग लेखक हैं।)

(यह खबर लेखक की निजी राय है, डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है।)

Url Title
india pakistan war 7 unpardonable crimes of pakistan indian army
Short Title
India Pakistan War: पाकिस्तान के 7 अक्षम्य अपराध: भारत की अटल मांग
Article Type
Language
Hindi
Updated by
Published by
Page views
1
Embargo
Off
Image
Image
India Pakistan War
Caption

India Pakistan War

Date updated
Date published
Home Title

India Pakistan War: पाकिस्तान के 7 अक्षम्य अपराध: भारत की अटल मांग

Word Count
1279
Author Type
Author