India-Afghanistan Friendship: एक बहुत पुरानी कहावत है 'दुश्मन का दुश्मन, दोस्त होता है.' भारतीय कूटनीतिज्ञों ने भी शायद यह कहावत समझ ली है. पिछले कुछ समय से आमने-सामने डटे पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच का तनाव जगजाहिर है. ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) में भारत ने पाकिस्तान को धूल चटाई है. अब इसके बाद भारत ने अफगानिस्तान के साथ दोस्ताना संबंध बनाने की कवायद शुरू की है. इसके जरिये भारत वही चाल चलने की तैयारी में है, जो पाकिस्तान ने बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार के साथ दोस्ती बढ़ाकर भारत के खिलाफ चलने की कोशिश की है. इसके लिए भारत की तरफ से साल 2021 को अफगानिस्तान की सत्ता में दोबारा काबिज हुए तालिबान से चार साल में पहली बार मंत्री स्तर की वार्ता की गई है. विदेश मंत्री एस. जयशंकर और तालिबान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी के बीच फोन पर हुई इस वार्ता को बेहद अहम माना जा रहा है, जिसमें दोनों देशों के बीच संबंधों को दोस्ताना स्तर तक ले जाने की बात हुई है.
चलिए आपको 5 पॉइंट्स में बताते हैं कि दोनों देशों के करीब आने का क्या असर होगा और कैसे इससे पाकिस्तान प्रभावित होने वाला है-
1. पहले जानिए जयशंकर और मुत्तकी में क्या बात हुई
एस. जयशंकर और आमिर मुत्ताकी के बीच 15 मई (गुरुवार) की शाम को फोन पर बातचीत हुई है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस बातचीत में दोनों नेता भारत और अफगानिस्तान के बीच ऐतिहासिक संबंधों को दोबारा मजबूत करने पर सहमत हुए हैं. जयशंकर ने बताया कि भारत ने अफगानिस्तान की विकास परियोजनाओं में मदद देने का काम जारी रखने पर सहमति जताई है. तालिबान की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि मुत्ताकी ने अफगानिस्तान की सभी देशों के साथ रचनात्मक संबंध बनाने की विदेश नीति की प्रतिबद्धता दोहराई है. साथ ही भारत से अफगान व्यापारियों और मरीजों के लिए आसान वीजा जारी करने और भारतीय जेलों में बंद अफगान कैदियों की रिहाई और वापसी कराने की अपील की है. दोनों देशों ने ईरान में भारतीय मदद से बन रहे सामरिक अहमियत वाले चाबहार पोर्ट के विकास को लेकर भी सहयोग पर सहमति जताई है, जो अफगानिस्तान के लिए इकलौता समुद्री यात्रा का जरिया साबित हो सकता है और भारत से उसका सीधा संपर्क बना सकता है.
2. भारत का अफगानिस्तान से कारोबार होगा आसान
भारत और अफगानिस्तान के बीच बड़े पैमाने पर कारोबार होता है. भारत में हींग, केसर, किशमिश, बादाम, हरी इलायची, सूखे अंजीर आदि ड्राईफ्रूट्स की अहम आवक अफगानिस्तान से ही है. साल 2023-24 में भारत ने वहां से 642.29 मिलियन डॉलर का सामान आयात किया है. भारत से अफगानिस्तान के लिए दवाएं, सोयाबीन, मसाले और गारमेंट्स निर्यात होते हैं. भारत में अफगानिस्तान से सामान पाकिस्तान के रास्ते आता है, जिसमें कभी भी बाधा आ जाती है. फिलहाल भी अफगानिस्तान से आने वाले ड्राई फ्रूट्स की खेप भारत-पाकिस्तान सीमा बंद होने से रास्ते में ही फंस गई है. इससे भारत में ड्राई फ्रूट्स की कीमतों में भी उछाल आ गया है. यदि भारत और तालिबान में करीबी बढ़ती है तो यह कारोबार पाकिस्तान के बजाय चाबहार पोर्ट के रास्ते हो सकता है, जिससे दोनों के बीच कारोबार और ज्यादा आसान हो जाएगा.
3. पाकिस्तान पर कैसे भारी पड़ेगी ये दोस्ती?
पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच लगातार टकराव चल रहा है. पाकिस्तान अपने यहां आतंकी घटनाएं कर रहे पाकिस्तान तालिबान (TTP) यानी तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान को शह देने का आरोप अफगान तालिबान पर लगाता है. इसे लेकर दोनों देश हथियारों से भी टकरा चुके हैं. हालांकि बलूचिस्तान में विद्रोह को रोकने में पाकिस्तान को अफगानिस्तान की ही मदद मिलती है, जो अपनी सीमाएं बंद कर लेता है. अब तालिबान को यदि भारत का समर्थन मिलता है तो इससे पाकिस्तान में अशांति और ज्यादा तेजी से भड़केगी. भारत पर पहले ही बलोच विद्रोहियों को समर्थन देने के आरोप हैं. अब अफगानिस्तान के रास्ते भारत बलोच लड़ाकों को हथियार आदि की भी मदद दे सकता है. इसके चलते माना जा रहा है कि भारत-अफगानिस्तान की दोस्ती जियोपॉलिटिक्स में पाकिस्तान के लिए नया मोर्चा खोलेगी.
4. पाकिस्तान को मिलने वाला पानी अफगानिस्तान से भी होगा बंद?
पाकिस्तान की पानी पर निर्भरता केवल भारत से निकलने वाली सिंधु घाटी की नदियों पर ही नहीं है. पाकिस्तान को अफगानिस्तान की नदियों से भी बहुत पानी मिलता है. मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि एस. जयशंकर और आमिर मुत्ताकी की वार्ता में भारत ने उन डेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स को फिर शुरू कराने की हामी भरी है, जो 2021 में तालिबान के आने से पहले भारतीय सहायता से शुरू किए गए थे. इनमें फरवरी 2021 में तय किया गया ललंदर का शहतूत बांध भी है. इस प्रोजेक्ट को भारत 236 मिलियन डॉलर की आर्थिक सहायता के साथ ही तकनीकी मदद भी देगा. हिंदुकुश के पहाड़ों से निकलने वाली काबुल नदी पर 3 साल में बनने वाले इस प्रोजेक्ट से अफगानिस्तान के करीब 20 लाख लोगों को साफ पेयजल मिलेगा. साथ ही इससे अफगानिस्तान के करीब 4,000 हेक्टेयर खेतों की सिंचाई भी होगी. लेकिन यह प्रोजेक्ट पाकिस्तान के लिए परेशानी बनेगा. यह नदी पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के लिए भी 'लाइफलाइन' जैसी है. यदि शहतूत बांध बना तो पाकिस्तान को पानी मिलना बंद हो जाएगा, भारत के साथ सिंधु जल संधि के निलंबन के बाद उसके लिए बड़ा झटका होगा.
5. कुनार नदी पर भी बांध बना रहा है अफगानिस्तान
तालिबान सरकार ने कुनार नदी पर भी बांध बनाने की घोषणा की है. हिंदुकुश के पहाड़ों से ही निकलकर करीब 480 किलोमीटर दूरी तय करने वाली कुनार नदी भी पाकिस्तान जाती है. तालिबान इस पर बांध बनाकर अपनी बिजली की जरूरत पूरा करना चाहता है. यदि इसका पानी भी रुका तो पाकिस्तान के लिए बड़ा जल संकट पैदा हो जाएगा. अफगानिस्तान और पाकिस्तान आपस में 9 नदियों का बेसिन साझा करते हैं. काबुल और कुनार के अलावा गोमल नदी, कुर्रम नदी, पिशिन-लोरा, कंधार-कंद, कदनई, अब्दुल वहाब धारा और कैसर नदी भी इसका हिस्सा हैं. सिंधु नदी पाकिस्तान से अफगानिस्तान में जाती हैं. ये नदियां पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा, दक्षिणी वजीरिस्तान, कुर्रम एजेंसी, बलूचिस्तान प्रांतों में पानी की कमी पूरा करने में अहम भूमिका निभाती हैं. अफगानिस्तान और पाकिस्तान में कोई जल संधि नहीं है. ऐसे में यदि भारत की मदद से अफगानिस्तान एक-एक कर इन सभी नदियों पर अपनी विकास परियोजनाएं बनाता है तो पाकिस्तान उसे कानूनी रूप से नहीं रोक पाएगा. ना ही भारत का साथ होने के चलते पाकिस्तान सैन्य कार्रवाई के जरिये तालिबान को इन नदियों का पानी देने के लिए मजबूर कर पाएगा. ऐसे में पहले से ही अशांति का शिकार पाकिस्तान के इन प्रांतों में माहौल सत्ता के खिलाफ और ज्यादा भड़केगा, जिसका सीधा लाभ भारत को मिलेगा.
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