डीएनए हिंदी: दुनियाभर के अंतरिक्ष वैज्ञानिक लंबे समय से पृथ्वी के बाहर अलग-अलग ग्रहों पर जीवन की संभावनाएं तलाशने में लगे हुए हैं. इसी क्रम में अलग-अलग ग्रहों के साथ-साथ उपग्रहों और बाकी के सौरमंडल (Solar System) का लगातार अध्ययन किया जा रहा है. इस काम के लिए अलग-अलग तरह के सैटलाइट और स्पेस स्टेशन (Space Station) तैनात किए गए हैं. सैटलाइट और स्पेस स्टेशन के ज़रिए अंतरिक्ष में होने वाली गतिविधियों, अलग-अलग ग्रहों की स्थितियों और वहां के बारे में तरह-तरह की जानकारियों का पता लगाया जाता है. इन सबमें सबसे अहम भूमिका निभाता है अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (International Space Station).
अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन अमेरिका की स्पेस एजेंसी नासा की अगुवाई में तैयार किया गया है. अलग-अलग देशों के वैज्ञानिक यहां काम करते हैं और अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में तरह-तरह की रिसर्च करते रहते हैं. इन्हीं वैज्ञानिकों की रिसर्च और अध्ययन के आधार पर हमारे सामने भी नई-नई जानकारी सामने आती रहती है. आइए जानते हैं कि स्पेस स्टेशन क्या होता है और यह काम कैसे करता है...
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क्या है स्पेस स्टेशन?
अंतरिक्ष में बार-बार जाने और आने की प्रक्रिया काफ़ी जटिल और खर्चीली है. इसके अलावा एक समस्या यह भी है कि आप अंतरिक्ष में रुक नहीं सकते. अंतरिक्ष में रुकने, आने-जाने के खर्च को कम करने के लिए एक ऐसे सैटलाइट की ज़रूरत महसूस की गई जो इतना बड़ा हो कि उसमें वैज्ञानिक रुक सकें. इसी सोच को अंजाम देने के लिए साल 1998 में अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन पहली बार लॉन्च किया गया. इसको बनाने में 100 अरब डॉलर से ज्यादा खर्च हो चुके हैं. अब यह दुनिया का सबसे बड़ा स्पेस स्टेशन है और वर्तमान में सबसे ज्यादा काम यही स्पेस स्टेशन करता है.
अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन पृथ्वी से 250 मील यानी लगभग 400 किलोमीटर की ऊंचाई पर रहता है और धरती के चारों ओर चक्कर काटता है. यह स्पेस स्टेशन 28 हजार किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलता है और 90 मिनट में धरती का एक चक्कर काट लेता है. इस हिसाब से स्पेस स्टेशन में रहने वाले वैज्ञानिक एक दिन में लगभग 16 बार सूर्योदय और सूर्यास्त देख लेते हैं.
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कैसे बनाया गया अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन?
साल 1998 में दुनिया की कई स्पेस एजेंसियां साथ आईं और अमेरिका की स्पेस एजेंसी NASA की अगुवाई में यह मिशन शुरू किया गया. रूस के एक रॉकेट की मदद से इस स्पेस स्टेशन के पहले हिस्से को अंतरिक्ष में भेजा गया. फिर धीरे-धीरे अलग अलग हिस्सों को स्पेस में भेजा गया. इन हिस्सों को जोड़-जोड़कर अंतरिक्ष में ही यह स्पेस स्टेशन बना दिया गया. 1998 में पहले लॉन्च के बाद अगले दो साल में इस स्टेशन को बनाने का काम पूरा हो गया और 2 नवंबर, 2000 को पहली बार यहां अंतरिक्ष वैज्ञानिक भी पहुंच गए.
Spacewalkers Oleg Artemyev and Denis Matveev configure new robotic arm components on the station 257 miles above the Pacific Ocean. https://t.co/yuOTrYN8CV pic.twitter.com/Tx6HwZY3Lc
— International Space Station (@Space_Station) April 18, 2022
वैज्ञानिकों के रहने, आराम करने, ऑफिस का काम करने और स्पेस साइंस से जुड़ी रिसर्च के लिए बनाई गई जगहों को मिलाकर देखें तो अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन लगभग पांच बेडरूम वाले घर के बराबर है. इसमें एक समय पर छह लोग आराम से रह सकते हैं और कभी-कभार धरती से भी कोई आ सकते हैं. अगर धरती पर स्पेस स्टेशन का वजन किया जाए तो इसका वजन लाखों किलोग्राम से भी ज्यादा होगा.
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Space Station में कैसे रहते हैं लोग?
अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण बल काम नहीं करता है, यानी कि पृथ्वी की तरह आप अंतरिक्ष में खड़े नहीं हो सकते हैं. सीधे शब्दों में समझें तो अगर आप स्पेस में खड़े होते हैं तो आप हवा में तैरते रहते हैं. ऐसे में चलना-फिरना, खाना-पीना, टॉइलट जाना और अन्य दैनिक क्रियाएं करना आसान नहीं होता है. स्पेस में भेजे जाने से पहले वैज्ञानिकों को अंतरिक्ष जैसे माहौल में रहने के लिए ट्रेनिंग दी जाती है और उन्हें विशेष तौर पर तैयार किया जाता है.
उदाहरण के तौर पर अंतरिक्ष में अगर आप पानी पीने की कोशिश करेंगे तो वह पानी भी हवा में तैरने लगेंगे. यही वजह है कि खाने-पीने की चीजों को खास पैकेट में पैक किया जाता है और खाने के लिए भी विशेष तरीका अपनाना होता है. टॉइलट में खास तरह के वैक्यूम पंप लगे होते हैं जिनका इस्तेमाल करके ही आप टॉइलट कर सकते हैं.
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कैसे पहुंचता है खाना-पीना?
2 नवंबर 2000 से अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन में लगातार लोग रह रहे हैं. अभी तक सैकड़ों लोग स्पेस स्टेशन में अलग-अलग समय में रह चुके हैं. कुछ महीनों के बाद अंतरिक्ष यात्रियों और वैज्ञानिकों को पृथ्वी पर वापस आना पड़ता है क्योंकि कुछ समय के बाद कई तरह की समस्याएं भी होने लगती हैं. इन वैज्ञानिकों के लिए खाने-पीने की चीजें और ज़रूरत की अन्य चीज़ें समय-समय पर भेजी जाती रहती हैं.
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अंतरिक्ष वैज्ञानिकों के लिए खास मिशन के ज़रिए सामान भेजा जाता है. ये लॉन्चर रॉकेट स्पेस स्टेशन वाली कक्षा में पहुंचते हैं और उन्हें स्पेस स्टेशन से अटैच किया जाता है. इन कामों के लिए स्पेस स्टेशन का एक दरवाज़ा भी बनाया गया है. इसी दरवाज़े से लोग भी अंदर-बाहर आते-जाते हैं. सामान या लोगों को अंदर लेने के बाद गेट बंद हो जाता है और सामान लेकर गया एयरक्राफ्ट स्पेस स्टेशन से अलग होकर धरती पर लौट आता है. इसी तरह से स्पेस स्टेशन के कचरे को भी धरती पर लाया जाता है.
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Space Station कैसे काम करते हैं? जानिए धरती के बाहर कैसे बसी हुई है यह 'दुनिया'