डीएनए हिंदी: शाह फैसल (Shah Faisal) ने आईएएस से राजनीति, फिर हिरासत और अब आईएएस में वापसी करके एक साइकल पूरा कर लिया है. जनवरी 2019 में शाह फैसल ने आईएएस (IAS) से इस्तीफा दे दिया था. उनका कहना था कि वह अब जम्मू-कश्मीर के लिए कुछ करना चाहते हैं. वह राजनीति में सक्रिय रहे, फिर हिरासत में लिए और उन्हें विदेश जाने से रोका गया. इस दौरान शाह फैसल का इस्तीफा कभी स्वीकार ही नहीं किया गया. यही कारण रहा कि अब वह फिर से IAS में लौट आए हैं. इसी को लेकर सवाल उठ रहे हैं. आइए विस्तार से समझते हैं कि इस्तीफे और सर्विस को लेकर नियम क्या हैं और शाह फैसले दोबारा IAS में कैसे आ गए.

शाह फैसले पहले ऐसे कश्मीर रहे हैं जिन्होंने सिविल सेवा परीक्षा (2010) में टॉप किया. कश्मीर में लोगों की हत्याओं के मुद्दे पर उन्होंने IAS से इस्तीफा दे दिया. वह सक्रिय राजनीति में उतरे और जम्मू-कश्मीर पीपल्स मूवमेंट नाम से पार्टी बनाई. राजनीति में कुछ बात बनी नहीं और अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बनाने के साथ-साथ अनुच्छेद 370 को खत्म कर दिया गया. उस दौरान कई नेता हिरासत में लिए गए. शाह फैसल इस्तांबुल जाने की कोशिश में थे, लेकिन उन्हें सीआरपीसी की धारा 107 के तहत हिरासत में ले लिया गया. वह जून 2020 तक हिरासत में ही थे. फिलहाल उनके खिलाफ कोई केस नहीं है.

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किसको इस्तीफा देते हैं IAS?
किसी भी राज्य के काडर में काम कर रहे IAS अधिकारी उस राज्य के चीफ सेक्रेटरी को अपनी इस्तीफा देते हैं. वहीं, केंद्र सरकार के डेप्युटेशन पर काम कर रहे IAS अधिकारी अपना इस्तीफा संबंधित मंत्रालय या विभाग के सेक्रेटरी को इस्तीफा देते हैं. इसके बाद, मंत्रालय या विभाग अपनी टिप्पणी या सुझावों के साथ संबंधित राज्य के काडर को इस्तीफा फॉरवर्ड कर देते हैं. 

इस्तीफे पर कैसे होती है कार्रवाई
इस्तीफा मिलने के बाद राज्य की ओर से जांच की जाती है कि अधिकारी का कुछ बकाया तो नहीं है. इसके बाद, विजिलेंस स्टेटस और भ्रष्टाचार के मामलों की जांच की जाती है. ऐसा कोई केस पेंडिंग होने की स्थिति में इस्तीफा खारिज कर दिया जाता है. केंद्र सरकार को इस्तीफा भेजने से पहले राज्य काडर सभी जानकारी, सुझाव और स्टेटस रिपोर्ट भी जोड़ी जाती है. इसके बाद, आईएएस के मामले में डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल ऐंड ट्रेनिंग और आईपीएस के मामले में गृह मंत्रालय और फॉरेस्ट सेवा के मामले में पर्यावरण मंत्रालय फैसला लेता है. डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल ऐंड ट्रेनिंग (DoPT) की जिम्मेदारी प्रधानमंत्री के पास है, तो IAS के इस्तीफे पर फैसला वही लेते हैं.

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शाह फैसल के मामले में क्या हुआ?
शाह फैसल ने 9 जनवरी 2019 को इस्तीफा दिया, लेकिन उनके इस्तीफे पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. DoPT की वेबसाइट पर मौजूद शाह फैसल की एग्जीक्यूटिर रेकॉर्ड शीट पर उनकी पोस्टिंग की कोई जानकारी मौजूद नहीं है. वेबसाइट पर आईएएस अधिकारियों की आखिरी लिस्ट 2021 में डाली गई थी. इस लिस्ट में शाह फैसल का नाम 'कार्यरत अधिकारी' के रूप में मौजूद है, लेकिन उनकी पोस्टिंग की कोई जानकारी नहीं दी गई है. इस्तीफा दे चुके शाह फैसल ने बाद में अपना इस्तीफा वापस लेने की अर्जी डाली थी, जिसे स्वीकार कर लिया गया.

क्या इस्तीफा वापस लिया जा सकता है?
डीसीआरबी के नियम 5 (1A) के मुताबिक, केंद्र सरकार जनहित में किसी अधिकारी को अनुमति दे सकती है कि वह अपना इस्तीफा वापस ले सके. साल 2011 में संशोधित किए गए नियमों के मुताबिक, 'इस्तीफा स्वीकार किए जाने और ड्यूटी पर वापस लौटने के बीच का समय 90 दिन से ज्यादा का नहीं होना चाहिए. संशोधित नियमों में यह भी कहा गया है कि अगर कोई व्यक्ति किसी राजनीतिक पार्टी में शामिल होने या राजनीतिक संगठन से जुड़ने, राजनीतिक आंदोलन में हिस्सा लेने या इस तरह के कामों के लिए इस्तीफा देता है, तो इस्तीफा वापस लेने की उसकी अर्जी केंद्र सरकार को स्वीकार नहीं करनी चाहिए. 

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अगर शाह फैसल का इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया होता, तो उनके लिए वापसी के रास्ते बंद हो जाते. इस मामले में सबसे बड़ा पेच यही है कि केंद्र सरकार ने शाह फैसल का इस्तीफा कभी स्वीकार ही नहीं किया, ऐसे में जब शाह फैसल ने अपना इस्तीफा वापस लेने की पेशकश की तो उनकी अर्जी मान ली गई और वह IAS में लौट आए.

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इस्तीफा देकर राजनीति में गए Shah Faisal फिर से IAS कैसे बन गए?
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