डीएनए हिंदी: हरियाणा सरकार (Haryana Government) ने सूखे चारे के ट्रांसपोर्टेशन (Transportation) पर प्रतिबंध लगा दिया है. न तो जिले के अंदर ही इसका ट्रांसपोट किया जा सकता है न ही जिले के बाहर. अधिकारियों ने तर्क दिया है कि पहले स्थानीय मांग की पूर्ति जरूरी है. किसान समूहों और विरोधी राजनीतिक पार्टियों ने सरकार के इस फैसले पर ऐतराज जताया है.
हरियाणा में चारे के परिवहन पर अलग-अलग प्रतिबंधों का ऐलान किया गया है. फतेहाबाद और सिरसा में चारे के ट्रांसपोर्ट पर बैन लगाया गया है. ईंट-भट्ठा और गत्ते की फैक्ट्रियों के लिए भी गेहूं, धान, सरसों और गौर के भूसे से बने सूखे चारे की अंतर-जिला बिक्री पर रोक लगा दी गई है.
फतेहाबाद के किसान नेताओं ने दावा किया कि सरकार ने जिले की सीमा पर करीब 100 ट्रैक्टर-ट्रॉलियों को भी रोक दिया है. अंबाला और यमुनानगर समेत अन्य जिलों के प्रशासन ने राज्य के बाहर चारे की ढुलाई पर रोक लगा दी है.
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अधिकारियों ने बैन पर क्या कहा है?
पशुओं के लिए चारे के ट्रांसपोर्टेशन पर बैन को लेकर अधिकारियों ने कहा है कि अगर जिले से बाहर पशुओं को चारे की आपूर्ति की जाती है तो जिले में चारे की कमी हो सकती है. भविष्य में बारिश के अभाव में स्थिति और खराब हो सकती है. ऐसी स्थिति में सूखाग्रस्त इलाकों में चारे की बहुत जरूरत होगी. बुरी स्थिति न आए इस वजह से बैन लगाने की जरूरत पड़ी है.
हरियाणा के कृषि और किसान कल्याण मंत्री जेपी दलाल ने कहा है कि स्थानीय जरूरतों को पूरा करने के लिए केवल चारे के अंतरराज्यीय परिवहन पर प्रतिबंध लगाया गया है. उन्होंने कहा है कि वह राज्य के भीतर चारे के ट्रांसपोर्ट को नहीं रोकेंगे. राज्य की जरूरतों की पूर्ति के बाद अंतर-राज्यीय प्रतिबंध भी हटा लिया जाएगा.
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क्या हरियाणा में होने वाली है चारे की किल्लत?
हरियाणा में चारे की किल्लत को लेकर अधिकारियों की आशंका गलत नहीं है. राज्य के दक्षिणी हिस्से में गेहूं की जगह दूसरी फसलों का उत्पादन ज्यादा हुआ है. जैसे लोगों ने सरसों की खेती बड़े पैमाने पर की है. गर्मी और तेज हवाओं की वजह से गेंहू के उत्पादन में कमी आई है. भीषण गर्मी पड़ रही है जिसकी वजह से सूखे की स्थिति पैदा हो सकती है. डाय अमोनियम फॉस्फेट उर्वरकों की कमी ने गेहूं की फसल को प्रभावित किया है.
अक्टूबर 2021 में डाय अमोनियम फॉस्फेट (DAP) की कमी की वजह से राज्य में उर्वरकों के लिए हंगामे की स्थिति पैदा हो गई थी. लोगों की मांग के मुताबिक उर्वरक उपलब्ध नहीं थे. कुछ जिलों में प्राइवेट डीलरों की दुकान पर हंगमा भड़का था. पुलिसकर्मियों पर पथराव की खबरें सामने आईं थीं. हंगामा इतना भड़क गया था कि पुलिस स्टेशनों पर खाद की बिक्री हो रही थी.
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हरियाणा में अफवाहों ने गेहूं के बाजार को नुकसान पहुंचाया है. कहा यह गया कि रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध की वजह से आने वाले दिनों में गेहूं की कीमतें बढ़ जाएंगी. हालांकि स्थितियां ऐसी बिलकुल नहीं हैं. भारत अपने लिए पर्याप्त अनाज पैदा करता है. अधिकारी इस बात पर जोर देना चाहते हैं कि पहले स्थानीय हितों पर गौर किया जाए, जिससे स्थितियां सामान्य रहें.
क्यों नाराज हैं किसान?
किसान जिले के भीतर ट्रांसपोर्ट बैन होने से नाराज हैं. इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक किसान संघर्ष समिति का कहना है कि फतेहाबाद जिले में गेहूं के चारे से लदी लगभग 100 ट्रैक्टर-ट्रॉलियों को जिले से बाहर जाने से रोक दिया गया है. चारे के ट्रांसपोर्टरों को स्थानीय गौशालाओं में सस्ते दामों पर चारा उतारने के लिए मजबूर किया जा रहा है.
चारे की कीमत 810 रुपए प्रति क्विंटल है लेकिन ट्रांसपोर्टरों को मजबूरन 500 रुपए क्विंटल की दर से गोशालाओं को देना पड़ रहा है. अधिकारी किसानों को अपने चारे को ऊंचे दामों पर बेचकर मुनाफा कमाने की इजाजत क्यों नहीं दे रहे हैं जबकि वे इस साल गेहूं के कम उत्पादन. इस मुद्दे को लेकर किसानों ने सोमवार को फतेहाबाद डीसी कार्यालय के सामने धरना भी दिया.
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क्यों भड़की है रानजीति?
हरियामा के मंत्री मंत्री जेपी दलाल ने कहा कि अगर कोई हरियाणा में चारे के अंतर-जिला परिवहन पर प्रतिबंध का मुद्दा उनके संज्ञान में लाता है तो वे हस्तक्षेप करेंगे. हालांकि, भिवानी-महेंद्रगढ़ के सांसद धर्मबीर सिंह ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से इस मामले में हस्तक्षेप करने की अपील की है. उनके संसदीय क्षेत्र में लोग परेशान हैं. लोगों को चारे की कमी का सामना करना पड़ रहा है. पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने चारे के परिवहन पर प्रतिबंध लगाने के लिए सरकार को फटकार लगाई है. उन्होंने कहा है कि यह किसान तय करेंगे कि वे अपने उत्पादों को कहां बेचना चाहते हैं.
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Haryana सरकार ने सूखे चारे के ट्रांसपोर्ट पर क्यों लगाया है बैन?