डीएनए हिंदी: गाजा (Gaza Strip) के हमास में 200 साल पुरानी कब्रों को खोदने का काम किया जा रहा है. यहां रविवार को रोमन काल के एक प्राचीन दफन स्थल में 60 से अधिक कब्रों को खोदा गया. मिस्र द्वारा वित्त पोषित आवास परियोजना के तहत पिछले साल जनवरी में खुदाई के दौरान इन कब्रों (Graves) का पता चला था. जिसके बाद से कार्य दल उस जगह की खुदाई कर रहा है. अब सवाल यह कि आखिर इन कब्रों को खोदा क्यों जा रहा है? सरकार ऐसा क्या खोज रही है?
हमास के पुरावशेष और पर्यटन मंत्रालय के एक शोधकर्ता हियाम अल-बितर ने बताया कि कुल 63 कब्रों की पहचान की गई है और एक कब्र से दूसरी शताब्दी (यानी 200 साल पुरानी) की हड्डियां और कलाकृतियां मिली हैं. सरकार इन पुरानी कलाकृतियां के बारे में जानना चाहती है. उन्होंने कहा कि मंत्रालय स्थल के बारे में और जानने के लिए फ्रांसीसी विशेषज्ञों की एक टीम के साथ काम कर रहा है.
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लुटेरे छुपाते थे लूटा हुआ माल
वहीं, इस प्राचीन कब्रिस्तान को जनता के लिए बंद कर दिया गया है. यह जगह अपार्टमेंट इमारतों से घिरी हुई है और आवास परियोजना का निर्माण चल रहा है. यहां खुदाई के दौरान जब पहली क्रब मिली थी तो स्थानीय मीडिया में खबरें चली थीं कि यहां लुटेरे गधों से खींची जाने वाली गाड़ियों का इस्तेमाल करके लूटा हुए माल की पेटियां छुपाते थे. इतना ही नहीं अपने साथियों को वह इसी कब्रिस्तान में दफनाते थे.
2008 से फिलिस्तीन और इजराइल में छिड़ी जंग
गाजा पांच क्षेत्रों में बंटा हुआ है. इनमें गाजा सिटी, उत्तरी गाजा, देरअल-बलाह, खान यूनिस और रफाह प्रशासनिक क्षेत्र शामिल हैं. यह भूमध्यसागरीय तट पर इजराइल और मिस्र की बसा है. गाजा की कुल आबादी 21 लाख है. फिलिस्तीन का यह इलाका पिछले 15 साल से इजराइल के कब्जे में है. यही वजह है कि 2008 से फिलिस्तीन और इजराइल के बीच 4 बार युद्ध हो चुका है. जिनमें हजारों लोगों की मौत हो चुकी है.
फिलिस्तीन और इजराइल के बीच 2008 में पहला युद्ध हुआ था जो 23 दिन तक चला. इस दौरान युद्ध में रॉकेट हमले किए गए, जिनमें फिलिस्तीन के 1400 लोग मारे गए और इजराइल के 13 लोगों की जान गई और भारी संपत्ति का नुकसान हुआ. इसके बाद 2012 में आठ दिन, 2014 का 50 दिन और 2021 का 11 दिन तक युद्ध चला था. इसमें इजराइल ने फिलिस्तीन में हमास के मिलिस्ट्री चीफ ऑफ स्टाफ अहमद जबारी को हवाई हमले में मार गिराया.
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क्या है पूरा विवाद?
19वीं सदी इजराइल का पूरा इलाका फिलिस्तीन के नाम से जाना जाता था. यहूदी पूरे यूरोप में बिखरे हुए थे इस दौरान उनका काफी शोषण किया गया. इस शोषण से बचने के लिए यहूदियों ने फिलिस्तीन की ओर पलायन करने के लिए जियोनिस्ट आंदोलन शुरू किया. धीरे-धीरे फिलिस्तीन में यहूदियों की तादाद में इजाफा हो गया और वहां रहने के लिए उन्होंने जमीने खरीदना शुरू कर दिया.
याहूदियों की संख्या इतनी बढ़ गई कि कुछ समय बाद उन्होंने फिलिस्तीनियों को खरीदना शुरू कर दिया. इस दौरान दूसरा विश्व युद्ध शुरू हो गया. युद्ध के दौरान हिटलर ने यूरोप में रह रहे 42 लाख यहूदियों को गैस चैंबर में डालकर मार दिया. तब यहूदियों को लगा कि उनके लिए अब फिलिस्तीन ही सुरक्षित जगह है.
विश्व युद्ध के बाद यहूदियों और फिलिस्तीनियों के बीच झगड़ा इतना बढ़ा कि यह मामला संयुक्त राष्ट्र (UN) में चला गया. यूएन में फैसला हुआ कि जिस क्षेत्र में यहूदियों की संख्या ज्यादा है उस इजराइल दे दिया जाए और अन्य को फिलिस्तीन सौंप दिया जाए. येरुशलम में दोनों पक्षों की लगभग बराबर आबादी थी. इसलिए UN ने कहा कि वहां अंतर्राष्ट्रीय नियंत्रण कानून लागू होगा.
इसके बाद इजराइल का पड़ोसी देशों से युद्ध हुआ और नतीजन पूरे वेस्ट बैंक पर जॉर्डन का कब्जा हो गया और गाजा पट्टी मिश्र के अधिकार में चली गई. इजराइल ने फिलिस्तीन की कुछ जगह पर भी कब्जा कर लिया. तब से आज तक गाजा पट्टी को लेकर दोनों देशों के बीच तकरार चलता रहता है.
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गाजा में क्यों खोदी जा रही हैं 200 साल पुरानी कब्रें? क्या खोज रही है सरकार