डीएनए हिंदी: बीते कुछ सालों में भारत में अंतरराष्ट्रीय स्तर की सड़कें बनाई जा रही हैं. कई राज्यों में एक्सप्रेसवे बन रहे हैं. इसी क्रम में उत्तर प्रदेश को 6वां एक्सप्रेसवे यानी बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे मिल गया है. 296 किलोमीटर की यह सड़क बुंदेलखंड क्षेत्र के जिले चित्रकूट से शुरू होकर इटावा जिले में आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे तक जाती है. उत्तर प्रदेश सरकार का कहना है कि इस एक्सप्रेसवे को सिर्फ़ 28 महीने में तैयार कर लिया गया है. साथ ही, इसे बनाने में लगने वाली लागत के पैसे भी बचा लिए गए हैं.
भारत में सड़कें कई तरह की होती हैं. कुछ साल पहले तक भारत में एक्सप्रेसवे जैसे शब्द सुनाई भी नहीं देते थे लेकिन अब राज्यों के बीच होड़ लगी हुई है कि वे भी एक्सप्रेसवे वाले राज्य बनें. सड़कों की गुणवत्ता, उनकी चौड़ाई और उनकी क्षमता के हिसाब से उन्हें अलग-अलग नाम दिए जाते हैं. भारत में गली की सड़कों से लेकर राज्यों को जोड़ने वाली सड़कें मौजूद हैं. आइए समझते हैं कि हाइवे, नेशनल हाइवे, एक्सप्रेसवे और फ्रीवे आखिर होते क्या हैं...
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हाइवे और नेशनल हाइवे
सबसे पहले बात करते हैं हाइवे की. आमतौर पर जिलों और राज्यों से गुजरनी वाली मुख्य सड़कों को हाइवे कहा जाता है. कुछ हाइवे सिर्फ़ एक जिले से दूसरे जिले को जोड़ते हैं और ये एक राज्य के अंदर ही शुरू होकर उसी राज्य में खत्म हो जाते हैं. इन हाइवे को राज्य हाइवे (State Highway) कहा जाता है. दूसरी तरफ, कुछ हाइवे ऐसे होते हैं जो एक राज्य में शुरू होते हैं और उस राज्य के जिलों को जोड़ते हुए दूसरे राज्य तक जाते हैं. आमतौर पर इन्हें ही नेशनल हाइवे (National Highway) कहा जाता है.
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यातायात में लोगों की सुविधा और बेहतर मैनेजमेंट के लिए हाइवे को नंबर दिए जाते हैं. कई बार इन सड़कों को महापुरुषों, घटनाओं या अन्य आधार पर नाम भी दिए जाते हैं लेकिन इन्हें नंबर से ज़रूर जाना जाता है. उदाहरण के तौर पर, नेशनल हाइवे-2 दिल्ली से शुरू होकर कोलकाता तक जाता है. यह दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, झारखंड और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों को आपस में जोड़ता है. इसके अलावा, नेशनल हाइवे-1, नेशनल हाइवे- 4, नेशनल हाइवे-5 और नेशनल हाइवे- 8 भी देश के बड़े राज्यों और शहरों को आपस में जोड़ती हैं.
एक्सप्रेसवे की सबसे पहली खासियत होती है इन पर चलने वाली गाड़ियों की रफ्तार. परिवहन में लगने वाले समय को बचाने, खर्च कम करने और विकास को रफ्तार देने के लिए एक्सप्रेसवे का निर्माण किया जाता है. इन सड़कों को अंतरराष्ट्रीय मानकों के हिसाब से बनाया जाता है ताकि एक जगह से दूसरी जगह पर जाने में कम समय लगे और ईंधन का खर्च भी बचे.
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एक्सप्रेसवे आमतौर पर छह या आठ लेने के बनाए जाते हैं. इन पर एंट्री की जगहें कम रखी जाती हैं जिससे रफ्तार पर असर न पड़े और दुर्घटनाएं भी न हों. इसके अलावा, गाड़ियों के साइज़ के हिसाब से अलग-अलग लेन तय होते हैं और अडवांस ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम से इन पर निगरानी रखी जाती है. इन सड़कों पर चौराहे या तिराहे भी नहीं रखे जाते हैं. दूसरी सड़कों को इनसे सीधे नहीं जोड़ा जाता और अहम सड़कों को जोड़ने के लिए लूप जैसे इंटिग्रेटेड सिस्टम का इस्तेमाल किया जाता है जिससे गाड़ियों की रफ्तार नियंत्रित करके ट्रैफिक मर्ज हो.
Freeway किस तरह की सड़क है?
हाइवे और एक्सप्रेसवे के बाद नंबर आता है फ्रीवे का. यानी इस तरह की सड़कें सबसे ज्यादा एडवांस होती हैं. इन्हें गाड़ियों की सुपर फास्ट स्पीड के लिए डिजाइन किया जाता है. इन पर सिर्फ़ कार और बसों को ही जाने की परमिशन होती है. फिलहाल भारत में सिर्फ़ दो फ्रीवे हैं- ईस्टर्न फ्रीवे और वेस्टर्न फ्रीवे. ये दोनों ही महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में बनाए गए हैं ताकि शहर को ट्रैफिक जाम की समस्या से मुक्ति दिलाई जा सके.
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Expressway और हाइवे में क्या है अंतर? जानिए भारत में कितनी तरह की होती हैं सड़कें