डीएनए हिंदी: सुप्रीम कोर्ट ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (Economically Backward Class-EWS) के लोगों के लिए 10 फीसदी आरक्षण के प्रावधान को बरकरार रखा है. चीफ जस्टिस यूयू ललित समेत पांच जजों की संवैधानिक बेंच ने 4-1 से फैसला सुनाते हुए 103वें संधोधन अधिनियम 2019 को सही माना है. बता दें कि 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार ने सामान्य वर्ग के लोगों को आर्थिक आधार पर 10% आरक्षण देने के लिए कानून में संशोधन किया था. केंद्र सरकार के फैसले को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में चुनौती दी गई थी. जिस पर सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने 27 सितंबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
ईडब्ल्यूएस आरक्षण के खिलाफ 40 से ज्यादा याचिकाएं दायर की गई थीं. इन याचिकाओं में दर्क दिया गया था कि ईडब्ल्यूएस आरक्षण संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन है. सरकार ने सामान्य वर्गों के लोगों को आरक्षण देकर अन्य पिछड़ा वर्ग के साथ गलत किया है. तमिलनाडु सरकार ने भी EWS आरक्षण का विरोध किया था. उनकी तरफ से सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए सीनियर वकील शेखर नफाड़े तर्क दिया कि आरक्षण के लिए आर्थिक स्थिति को आधार बनाना गलत है. केंद्र ने राजनीतिक फायदे के लिए आरक्षण कानून में 103वां संशोधन किया था.
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क्या है EWS कोटा?
आपको बता दें कि लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार ने जनवरी 2019 में संविधान में 103वें संशोधन विधेयक के जरिए आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों के लिए शिक्षा और नौकरी में 10 फीसदी आरक्षण देने की व्यवस्था की थी. सरकार ने बताया था कि यह आरक्षण उच्च शिक्षा और रोजगार में समान अवसर देकर 'सामाजिक समानता' को बढ़ावा देने के लिए लाया गया है.
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केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि संशोधन के जरिए दिया गया आरक्षण अलग है और सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए दिए जाने वाले 49.5 फीसदी को छेड़े बिना दिया गया है. इसलिए यह संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन नहीं करता.
क्या कहता है देश का कानून?
कानूनन देश में आरक्षण 50 प्रतिशत से ज्यादा नहीं होना चाहिए. मौजूदा समय में ओबीसी, एससी और एसटी वर्ग को जो आरक्षण मिलता है, वो 50 फीसदी के अंदर ही मिलता है. मतलब अभी 49.5 फीसदी आरक्षण दिया जा रहा है. जिनमें अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) को 27%, अनुसूचित जातियों (SC) को 15% और अनुसूचित जनजाति (ST) को 7.5% आरक्षण की व्यवस्था है. इसके अलावा मोदी सरकार ने 2019 में सामान्य वर्ग के लिए 10 फीसदी आरक्षण देने की व्यवस्था की थी, वो 50 फीसदी सीमा से अलग है.
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क्या था EWS आरक्षण विवाद, सुप्रीम कोर्ट में क्यों दी गई इसे चुनौती?