डीएनए हिंदी: राजस्थान कांग्रेस ने मध्य प्रदेश और पंजाब से कोई सीख नहीं ली है. पार्टी अलाकमान दो नेताओं के आपसी टकराव को खत्म करने में लगातार फेल हो रहे हैं. एक तरफ सोनिया गांधी के भरोसेमंद अशोक गहलोत हैं, वहीं राहुल गांधी के भरोसेमंद सचिन पायलट लेकिन दोनों के बीच सुलह की राह नजर नहीं आ रही है. कांग्रेस नेता दोनों के आपसी मनमुटाव को खत्म करने में असफल हैं. एक बार फिर दिल्ली में अशोक गहलोत-सचिन पायलट के बीच विवाद खत्म कराने को लेकर अहम बैठक बुलाई गई है.
सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच जारी अदावत अब खत्म नहीं हो सकेगी. राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान दोनों नेता साथ तो आए थे लेकिन तनाव खत्म नहीं हुआ था. अशोक गहलोत सचिन पायलट को गद्दार तक बता चुके हैं. दोनों के बीच खटास इस हद तक बढ़ गई है कि अब विधानसभा चुनाव में भी दोनों साथ आ जाएं, यह लगभग असंभव है.
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सीएम की कुर्सी, ईगो या बड़बोलापन, तनाव की वजह क्या है?
सचिन पायलट अशोक गहलोत की नीतियों के खिलाफ हमलावर तो हैं लेकिन उन्होंने कभी अभद्र बयान नहीं दिए. अशोक गहलोत सचिन पायलट को पार्टी का गद्दार और नासमझ बता चुके हैं. अब यह लड़ाई कुर्सी से ज्यादा ईगो की बन गई है. अशोक गहलोत ने सचिन पायलट के खिलाफ बड़बोलापन दिखाया है.
गद्दार पर सियासी रार!
अशोक गहलोत ने 24 नवंबर 2022 को दिए बयान में सचिन पायलट को गद्दार कहा था. उन्होंने कहा था कि सचिन पायलट को सीएम नहीं बनाया जा सकता. उन्होंने पार्टी को धोखा दिया, गद्दारी की है. गहलोत ने पायलट पर बीजेपी के साथ जाने का आरोप लगाया था और कहा था कि 2020 में उन्होंने बीजेपी नेताओं से मिलकर अपनी ही सरकार गिराने की कोशिश की थी. ऐसे में अब यह सोचना भी कि अशोक गहलोत और सचिन पायलट सबकुछ भुलाकर साथ आ जाएंगे, यह मुश्किल लग रहा है.
कांग्रेस की मेगा बैठक, क्या निकलेगा नतीजा?
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कांग्रेस नेता सचिन पायलट को लेकर बनी स्थिति को सुलझाने के लिए कांग्रेस पार्टी ने गुरुवार को बैठक बुलाई है. पार्टी सूत्रों ने इस बात की पुष्टि की है. पार्टी के एक सूत्र ने कहा, 'सचिन पायलट को भी इस बैठक में अपना पक्ष रखने के लिए बुलाया जा सकता है.' इस संबंध में राजस्थान कांग्रेस प्रभारी सुखजिंदर रंधावा ने दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से मुलाकात की और उन्हें मौजूदा हालात से अवगत कराया है. अब यहां किस तरह की स्थिति बनती है, यह देखने वाली बात होगी.
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गहलोत सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप, धरने पर पायलट
राजस्थान में सत्तारूढ़ कांग्रेस सरकार के खिलाफ सचिन पायलट धरने पर हैं. यह अशोक गहलोत के खिलाफ धरना माना जा रहा है. कांग्रेस के गहलोत खेमे के नेताओं का कहना है कि यह धरना गलत है.
सचिन पायलट के प्रोटेस्ट को कैसे देख रही कांग्रेस?
सुखजिंदर रंधावा के मुताबिक सचिन पायलट का विरोध प्रदर्शन पार्टी हितों के खिलाफ है और पार्टी विरोधी गतिविधि है. अगर उनकी अपनी सरकार के साथ कोई समस्या है, तो मीडिया और जनता के बजाय पार्टी मंचों पर चर्चा की जा सकती है.
विधानसभा चुनावों से पहले बड़ा बवाल
राजस्थान का नया सियासी संकट संकट इस साल के आखिर में राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले सामने आया है. सचिन पायलट खुद को मुख्यमंत्री पद का प्रबल दावेदार मानते हैं लेकिन अशोक गहलोत उन्हें राज्य की बागडोर नहीं सौंपने के इच्छुक हैं. 2020 में गहलोत के खिलाफ विद्रोह का नेतृत्व करने वाले सचिन पायलट के साथ उनका 'मनभेद' जगजाहिर है.
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सीएम की कुर्सी, ईगो या बड़बोलापन, आखिर क्यों खत्म नहीं हो रही गहलोत-सचिन पायलट की जंग?