डीएनए हिंदी: भारत में इंटरनेट की शुरुआत 1995 में हुई. तब से लेकर आज तक हर दिन इंटरनेट की दुनिया और ज्यादा विकसित और तेज रफ्तार वाली होती जा रही है. सिर्फ़ 27 सालों के इस सफर में भारत में इंटरनेट की रफ्तार अब 5G तक पहुंचने वाली है. इसके साथ ही 6G की दिशा में भारत ने अपने कदम बढ़ाने शुरू कर दिए हैं.

इसी महीने 17 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के पहले 5G टेस्टबेड को लॉन्च किया. पीएम मोदी ने देश के सामने यह भी लक्ष्य रखा है कि इस दशक के आखिर तक हम देश में 6G टेक्नॉलजी विकसित करने की दिशा में भी काम करेंगे. 1G से लेकर 5G तक इंटरनेट ने लोगों के जीवन को आसान बनाया है और तकनीकी विस्तार को रफ्तार दी है. आइए समझते हैं कि हर 'G' के साथ इंटरनेट के लिए क्या बदल जाता है...

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1G से 2G तक: वॉइस कॉलिंग पर था जोर
1970 के दशक में जापान में सबसे 1G की शुरुआत हुई. पहले जेनरेशन की टेक्नॉलजी की मदद से सिर्फ़ वॉइस कॉलिंग हो सकती थी. इसमें साउंड क्वालिटी खराब थी, कवरेज एरिया बहुत कम था और रोमिंग की सुविधा भी नहीं थी. साल 1991 में 2G आने के बाद इंटरनेट की दुनिया ने रफ्तार पकड़ी. सेकेंड जेनरेशन में ये ऐनालॉग सिग्नल पूरी तरह से डिजिटल फॉर्मैट में बदल दिए गए.

2G के साथ लोगों को रोमिंग की सुविधा मिली. इसके अलावा, पहली बार CDMA और GSM जैसी चीजें भी सामने आईं. लगभग 50 kbps की स्पीड पर SMS और MMS भेजने की सुविधा भी मिली. धीरे-धीरे वॉइस कॉलिंग और इंटरनेट की रफ्तार दोनों सुधरने लगी.

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3G ने किया बड़ा धमाका
साल 2001 में जब 3G इंटरनेट की शुरुआत हुई तब इंटरनेट काफी आसान हो गया. दावा किया गया कि 3G में 2G की तुलना में चार गुना ज्यादा स्पीड मिलेगी. इंटरनेट की स्पीड और सुलभता की वजह से ही ईमेल, वीडियो कॉलिंग, नैविगेशन मैप, वेब ब्राउजिंग और मोबाइल फोन पर म्यूजिक सुनने की सुविधा मिलने लगी.

4G की स्पीड ने दुनिया को दिखाई नई राह
3G इंटरनेट के जमाने में भी कमजोर नेटवर्क वाले इलाकों में इंटरनेट इस्तेमाल कर पाना काफी मुश्किल होता था. साल 2010 के आसपास 4G आने के बाद इंटरनेट सबके लिए आसान होने लगा. हाई स्पीड, हाई क्वालिटी के साथ-साथ अच्छी वॉइस कॉलिंग और डेटा सेवाएं कई गुना बेहतर हो गईं. इसकी स्पीड 3G की तुलना में पांच से सात गुना ज्यादा है.

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आजकल हम जो इंटरनेट इस्तेमाल करते हैं, वह ज्यादातर 4G ही होता है. इंटरनेट की इतनी रफ्ता हो जाने की वजह से लोगों के लिए लाइव वीडियो देखना, टैक्सी बुक करना, खाना ऑर्डर करना और वीडियो कॉलिंग करना आम बात हो गया है. इसी की वजह से इंटरनेट तेजी से पॉपुलर हो गया है और पहले की तुलना में सस्ता हो जाने की वजह से आम जनता की पहुंच में भी है.

5G में क्या मिलेगा?
4G में लैटेन्सी 50 मिलीसेकेंड की है, वहीं 5G में लैटेन्सी सिर्फ 1 मिली सेकेंड को होती है. लैटेन्सी का मतलब होता है कि डेटा कितने समय में एक पॉइंट से दूसरे पॉइंट तक जाकर लौट आता है. 5G टेक्नॉलजी की मदद से डिवाइसों में पावर की ज़रूर कम हो जाएगी. इससे डिवाइस और बैटरी दोनों की लाइफ कई गुना बढ़ जाएगी.

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5G से सिर्फ़ डाउनलोडिंग स्पीड ही नहीं बढ़ेगी बल्कि कई और फायदे भी होंगे. सेलुलर बैंडविड्थ बढ़ने, स्पीड और तेज होने और लैटेंसी कम होने की वजह से इंटरनेट की दुनिया को और तेज रफ्तार मिलेगी. 

इंटरनेट से घिरी होगी दुनिया
आने वाले समय में दुनियाभर में स्मार्ट सिटी बनेंगी, ऑटोमैटिक कार और रोबोटिक सर्जरी जैसी चीजें आम हो जाएंगी. दुनियाभर में साउथ कोरिया, अमेरिका, चीन जैसे देशों में 5G की शुरुआत होने लगी है और भारत में भी जल्द ही इसकी शुरुआत हो सकती है. 

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5G शुरू हो पाने से पहले ही 6G की भी चर्चा शुरू हो गई है. कहा जा रहा है कि आने वाले समय में इंटरनेट का इस्तेमाल सिर्फ़ मोबाइल या कंप्यूटर जैसे डिवाइसों तक सीमित नहीं रह जाएगा. आने वाले समय में इंसानों के साथ-साथ मशीनें भी इंटरनेट का भरपूर इस्तेमाल करेंगी. वर्चुअल रिएलिटी, ऑगुमेंटेड रिएलिटी और HD मोबाइल होलोग्राम जैसी तकनीकियों का बोलबाला होगा और इनके लिए बेहद तेज स्पीड वाले इंटरनेट की ज़रूरत होगी.

भारत कैसे कर रहा है 5G की शुरुआत?
पीएम नरेंद्र मोदी ने देश के पहले 5G टेस्टबेड को लॉन्च किया. इसे 220 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया गया है. इसकी मदद से स्टार्ट और इंडस्ट्री की बड़ी कंपनियां अपने प्रॉडक्ट्स को 5G पर टेस्ट करके तैयार कर सकती हैं. अभी तक इस तरह के टेस्ट सिर्फ विदेश में किए जा सकते थे. इस प्रोजेक्ट का काम आठ संस्थानों के संयुक्त प्रयास के रूप में हो रहा है और इसकी अगुवाई आईआईटी-मद्रास कर रहा है. 

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5g testing bed in india how 5g will change the world
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5G Technology: जानिए  1G से 5G तक क्या बदला? कैसे दुनिया को बदलकर रख देगा 5G?
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5G Technology: जानिए  1G से 5G तक क्या बदला? कैसे दुनिया को बदलकर रख देगा 5G?