कच्चे तेल के बढ़ते दामों को थामने के लिए भारत भी Strategic Petroleum Reserve (SPR) को बाजार में उतार सकता है. रूस यूक्रेन युद्ध से वैश्विक बाजार में कच्चे तेल के दाम साल सालों के उच्चतम स्तर पर पहुंच गए है. विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे में इस साल के मध्य तक कच्चा तेल 125 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकता है. हर पहलू को विस्तार से समझने के लिए पढ़िए अभिषेक सांख्यायन की पूरी रिपोर्ट...
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कच्चे तेल की कीमत को कम करने के लिए सभी प्रमुख पेट्रोलियम खपत करने वाले देश आपस में समन्वय कर रहे हैं. 23 फरवरी को व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव, जेन साकी ने कहा कि रिजर्व भंडारों को खोलना उनके लिए निश्चित रुप से एक विकल्प है. इससे पहले पिछले साल नवंबर में भी अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन ने कहा था कि अमेरिका तेल की कीमतों को कम करने के लिए 50 मिलियन बैरल तेल जारी करेगा.गौरतलब है कि अमेरिका के पास दुनिया का सबसे बड़ा सामरिक पेट्रोलियम भंडार है जो कि करीब 700 मिलियन बैरल का है. अमेरिका ये सारा तेल भारत,चीन , जापान, दक्षिण कोरिया और यूके सहित प्रमुख ऊर्जा खपत वाले देशों के साथ समन्वय स्थापित करके धीरे धीरे बाजार में जारी करेगा.
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भारत कच्चे तेल का दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक है और अपनी तेल जरूरतों का 80% से अधिक आयात करता है। ऐसे में भारत के उपर बढ़ते क्रूड आयल भारत की इकोनामी को प्रभावित करता है. भारत के पास मौजूदा क्रूड आयल स्टॉक की बात की जाए तो वर्तमान में भारतीय रिफाइनरी कंपनियों के पास करीब पास 64.5 दिनों का भंडार मौजूद है. इसके अलावा इंडियन स्ट्रैटेजिक पेट्रोलियम रिजर्व लिमिटेड(ISPRL) के पास भी 39.62 मिलियन बैरल कच्चा तेल उपलब्ध है. कुल मिलाकर भारत में 74 दिनों के लिए स्टॉक मौजूद है.
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पिछले साल जुलाई में, सरकार ने ISPRL दूसरे चरण के तहत चंडीखोल (4 मीट्रिक टन) और पादुर (2.5 मीट्रिक टन) यानी कुल 6.5 मीट्रिक टन भूमिगत भंडारण क्षमता वाले दो अतिरिक्त वाणिज्यिक-सह-रणनीतिक सुविधाओं की स्थापना को मंजूरी दी थी. रॉयटर्स ने अगस्त, 2021 एक रिपोर्ट के अनुसार भारत ने अपने सामरिक पेट्रोलियम रिजर्व (एसपीआर) से सरकारी तेल कंपनियों को तेल बेचना शुरू कर दिया है.
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सामरिक पेट्रोलियम रिजर्व (Strategic Petroleum Reserve) किसी विशेष देश या निजी उद्योग की सरकार द्वारा किसी भी संकट या आपात स्थिति के मामले में उपयोग करने के लिए रखा जाता है.
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पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस श्री धर्मेंद्र प्रधान ने संसद को बताया है कि सरकार ने अप्रैल/मई 2020 में कच्चे तेल की कम कीमतों के दौरान एसपीआर सामरिक पेट्रोलियम भंडार को अपनी पूरी क्षमता से भर दिया है, जिसके परिणामस्वरूप लगभग 5000 करोड़ की बचत हुई है.
ISPRL के पहले चरण में भारत में (i) विशाखापत्तनम, (ii) मंगलुरु और (iii) पादुर (उडुपी, कर्नाटक) में तीन भूमिगत भंडार बनाए गए.
दूसरे चरण में पीपीपी मोड के जरिए चंडीखोल (4 मीट्रिक टन) और पादुर (2.5 मीट्रिक टन) यानि कुल 6.5 मीट्रिक टन भूमिगत भंडारण की मंजूरी दी गई है.
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2004- आईएसपीआरएल, इंडियन ऑयल की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी के रूप में स्थापित की गई
2006- ISPRL को ऑयल इंडस्ट्री डेवलपमेंट बोर्ड (ओआईडीबी) में स्थानांतरित किया गया
जून 2015- विशाखापत्तनम प्लांट कमीशन हुआ.
अक्टूबर, 2016- मैंगलोर प्लांट कमीशन हुआ
दिसंबर, 2018- पादुर, ऊड़ूपी प्लांट कमीशन हुआ.
जून 2018- सरकार ने 6.5 एमएमटी की कुल भंडारण क्षमता के साथ दो अतिरिक्त एसपीआर सुविधाएं स्थापित करने के लिए 'सैद्धांतिक' मंजूरी दी है।
अगस्त 2021- भारत ने अपने सामरिक पेट्रोलियम रिजर्व (एसपीआर) से सरकारी रिफाइनरियों को तेल बेचना शुरू कर दिया.