यूक्रेन संकट पर पश्चिमी देशों से उलट भारत ने अब तक खुलकर रूस का विरोध नहीं किया है. चीन लगातार रूस से निकटता बनाने की कोशिश कर रहा है लेकिन इस बीच आज बीजिंग ने मॉस्को का साथ नहीं दिया है. रूस के साथ भारत के पुराने संबंध हैं और सैन्य और व्यापारिक संबंध भी काफी बड़े पैमाने पर होता है. भारत क्यों खुलकर रूस के हमले का विरोध नहीं कर रहा और चीन-पाकिस्तान का क्या स्टैंड है, समझें यहा.
Slide Photos
Image
Caption
भारत ने पुराने दोस्त के साथ अपनी वफा निभाई है. संयुक्त राष्ट्र में भारत का कहना है कि तत्काल तनाव कम करने के लिए काम होना चाहिए. पश्चिमी देशों के उलट खुले शब्दों में भारत ने रूसी कार्रवाई की आलोचना नहीं की है. भारत का कहना है कि कूटनीतिक संवाद के जरिए समस्या सुलझाई जानी चाहिए ताकि क्षेत्र में लंबे समय के लिए शांति बहाल हो सके.
Image
Caption
चीन की चालाकी यहां भी कम नहीं हुई हैऔर यूं रूस के साथ दोस्ती के दावे करने वाले ड्रैगन ने खेल कर दिया है. चीन ने सुरक्षा परिषद में यूक्रेन संकट को लेकर बुलाई गई बैठक में सभी पक्षों से संयम बरतने की अपील की है. चीन ने यूक्रेन विवाद के राजनयिक समाधान खोजने के हर प्रयास को बढ़ावा देने का आह्वान किया है. संयुक्त राष्ट्र में चीन के राजदूत झांग जून ने यूक्रेन संकट के सभी महत्वपूर्ण पक्षों से ‘उचित समाधान तलाशने के लिए बातचीत जारी रखने का आह्वान किया है.’
Image
Caption
रूस के साथ दोस्ती बढ़ाने के चक्कर में पाकिस्तान के पीएम यूक्रेन संघर्ष के बीच मॉस्को का दौरा करने वाले हैं. इस बीच पाकिस्तान फंसता नजर आ रहा है क्योंकि रूस की ओर से दिए गए बयान में इस्लामाबाद के कीव के साथ होने का दावा किया गया है. यूक्रेन में पाकिस्तान के राजदूत रिटायर्ड मेजर जनरल नोएल इजराइल खोख ने यूक्रेन की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के लिए समर्थन दिया है. ऐसे में मदद की आस में रूस पहुंच रहे इमरान खान को बड़ा झटका लग सकता है.
Image
Caption
पश्चिमी देशों और अमेरिका की तरह भारत रूस के साथ बैर नहीं रख सकता है. नई दिल्ली और इस्लामाबाद के बीच मजबूत सैन्य संबंध हैं. चीन और पाकिस्तान की चुनौती से निपटने के लिए भारत ने रूस के साथ एस-400 मिसाइलों, 6 लाख एके-203 राइफलों की डील जैसे बड़े समझौते हुए हैं. इसके अलावा भारत की विदेश नीति खुले तौर पर पूरी तरह से अमेरिका नियंत्रित नहीं रही है. रक्षा विशेषज्ञों और विदेश मामलों के जानकारों का कहना है कि इन परिस्थितियों में भारत सीधे तौर पर रूस का विरोध कर पूरी तरह से अमेरिका की ओर झुकाव दिखाए, यह लंबे समय के लिए समझदारी भरा विकल्प नहीं हो सकता है.
Image
Caption
रूस और यूक्रेन विवाद में भारत खुले तौर पर पक्षकार बनने से भी बच रहा है. भारत ने रूस की कार्रवाई पर अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. विदेश नीति की लाइन पर चलते हुए भारत कूटनीतिक समाधान की बात कर रहा है. यह एक तीर से कई निशाने साधने के जैसा है. भारत की नीति सैन्य हमलों की नहीं रही है, ऐसे में भारत खुले आम रूस का समर्थन नहीं कर सकता है. दूसरी ओर रूस के साथ भारत की घनिष्ठता रही है और भारत अपनी पुरानी दोस्ती भी रिस्क में नहीं डाल सकता है. इन दोनों परिस्थितियों को देखते हुए नई दिल्ली की ओर से बहुत संभलकर कदम उठाए जा रहे हैं.