भारत और पाकिस्तान दोनों ही न्यूक्लियर पावर हैं. दोनों देशों के पास परमाणु हथियार हैं. परमाणु हथियार को लेकर भारत भारत No First Use Policy का पालन करता है. यानी भारत तब तक किसी पर Nuclear Attack नहीं करेगा जब तक उस पर कोई न्यूक्लियर अटैक न करे.हालांकि, हमला होने पर भारत अपनी सुरक्षा के लिए फुल फ्लेजेड न्यूक्लियर रिस्पॉन्स दे सकता है. पाकिस्तान ऐसे किसी नियम से नहीं बंधा है. (फोटो- पिक्साबे)
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पाकिस्तान ने न्यूक्लियर बमों के साथ-साथ छोटे-छोटे न्यूक्लियर डिवाइस भी तैयार कर लिए हैं. इन्हें टैक्टिकल न्यूक्लियर वेपन कहा जाता है. इन छोटे वेपन्स को जमीन पर ब्लास्ट करने और टारगेटेड अटैक्स के लिए बनाया गया है. इन डिवाइसेस से हीरोशिमा-नागासाकी जैसी बड़ी तबाही नहीं होगी. लेकिन जिस इलाके में बम गिराया जाएगा, उस इलाके में रेडिएशन फैलेगा और उसका असर वहां की आबादी और पर्यावरण पर होगा. (फोटो- पिक्साबे)
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परमाणु बमों को तैयार ही हवा में फटने के लिए किया जाता है. इसे एयर बर्स्ट डेडोनेशन कहते हैं. इसमें न्यूक्लियर बम को जमीन से ऊपर ब्लास्ट किया जाता है. इससे हवा में ही चेन रिएक्शन होना शुरू हो जाता है. इससे परमाणु हमले का असर एक बड़े इलाके में होता है. इस तरह के हमले में बड़े शहरों को तबाह किया जा सकता है. . (AI फोटो- पिक्साबे)
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धरती की सतह पर न्यूक्लियर ब्लास्ट ज्यादा टारगेटेड होता है. इस तरह का हमला एक छोटी जगह पर बड़ी तबाही मचाता है. इस तरह के हमलों में ज़मीन के नीचे मौजूद बंकर और दुश्मन के ठिकानों, उनके कमांड सेंटर्स को नष्ट किया जा सकता है. सहत पर ब्लास्ट होने पर स्पेसिफिक एरिया में न्यूक्लियर रेडियेशन तेज़ी से फैलता है और वहां के पर्यावरण को बर्बाद कर देता है. (फोटो- पिक्साबे)
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दूसरे विश्वयुद्ध में अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा और नागासाकी पर न्यूक्लियर हमले किए थे. दोनों ही हमले एयरबर्स्ट थे. इन हमलों में हिरोशिमा में 1.40 लाख लोग मारे गए थे, वहीं नागासाकी में 74 हजार लोगों की मौत हुई थी. इन न्यूक्लियर हमलों का असर इतना जबरदस्त था कि इन दोनों ही शहरों में आज भी रेडिएशन का असर दिखता है.इन हमलों के बाद किसी भी युद्ध में परमाणु हथियारों का इस्तेमाल नहीं किया गया है. (फोटो- पिक्साबे)
Short Title
हवा में फटने पर ज्यादा तबाही मचाता है न्यूक्लियर बम या ज़मीन पर?