डीएनए हिंदी: नागरिकता संशोधन कानून (CAA) तब से ही चर्चा में है जब यह केवल एक प्रस्ताव था. 11 दिसंबर 2019 को संसद में इसे पास कर दिया गया. तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 12 दिसंबर को ही इसे मंजूरी भी दे दी. गृह मंत्रालय ने अधिसूचना जारी करके कहा कि 10 जनवरी 2020 यह कानून लागू हो जाएगा. उसके बाद दिल्ली के शाहीन बाग (Shaheen Bagh Protest) समेत देश के कई हिस्सों में जोरदार प्रदर्शन शुरू हो गए. फिर कोरोना काल आ गया तो धरना खत्म हो गया. हालांकि, 3 साल से भी ज्यादा समय बीत चुका है लेकिन अभी तक यह कानून लागू नहीं हो सका है.

पिछले 3 सालों में केंद्र सरकार सात बार CAA के लिए नियम बनाने की समय सीमा बढ़ाने की मांग कर चुकी है. बीजेपी के तमाम नेता राजनीतिक मंचों से खूब ऐलान करते हैं कि जल्द ही सीएए लागू होगा. हालांकि, उसी बीजेपी की केंद्र सरकार बताती है कि कोरोना महामारी की वजह से इस कानून को लागू करने में देरी हो रही है. खुद अमित शाह कई बार कह चुके हैं कि CAA को लागू जरूर किया जाएगा. जिस तरह से CAA के नियम बनाने की समय-सीमा बढ़ाई जा रही है उससे अब कई तरह की अटकलें भी लगाई जा रही हैं.

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CAA लागू क्यों नहीं हो रहा है?
दरअसल, कोई भी कानून बनाने के लिए पहले उसे संसद पास किया जाता है. फिर राष्ट्रपति की ओर से उसे मंजूरी दी जाती है. इसके बाद अधिसूचना जारी की जाती है और उसके नियम बनाए जाते हैं. CAA संसद से पास होकर राष्ट्रपति की मंजूरी ले चुका है लेकिन यह लागू नहीं है. लागू न होने की वजह से ही इस कानून के नियमों के तहत अभी तक किसी को नागरिकता नहीं दी गई है. अभी कुछ दिनों पहले ही केंद्र सरकार ने इसके नियम बनाने के लिए छह और महीने का समय मांगा है. अभी तक कुल 7 बार मोदी सरकार इसी तरह से समयसीमा बढ़ाने की मांग कर चुकी है.

क्या है CAA कानून?
केंद्र सरकार ने देश में नागरिकता देने के कानून में कुछ संशोधन किया है. इसी को नागरिकता संशोधन अधिनियम यानी CAA कहा जाता है. इस कानून के तहत, 31 दिसंबर 2014 से पहले जो भी लोग अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश से भारत आए हैं और वे हिंदू, सिख, पारसी, बौद्ध, ईसाई या जैन हैं तो उन्हें भारत की नागरिकता दी जाएगी.

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क्यों हुआ था CAA का विरोध?
CAA का विरोध जब हुआ तो NRC भी खूब चर्चा में था. CAA में दूसरे देशों से आए मुस्लिमों को नागरिकता देने की बात नहीं थी. साथ ही, NRC में नाम न आने के कई मुद्दे असम से सामने आ चुके थे. यह मामला ऐसा बना कि धरने पर बैठे लोगों ने कहा कि NRC में नाम न आने पर आप नागरिक नहीं रहेंगे और CAA के तहत मुस्लिमों को नागरिकता मिलेगी नहीं. कुल मिलाकर ज्यादातर मुस्लिम समुदाय के लोगों का यह मानना था कि CAA और NRC मिलकर मुस्लिमों की नागरिकता छीनने की कोशिश कर रहे हैं.

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why caa is not implemented modi government asks for more time for Citizenship Amendment Act rules
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संसद में पास हुआ, जमकर विरोध झेला, आखिर कहां अटक गया है CAA?
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