डीएनए हिंदी: रूस के जिस पावरफुल राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन पर हमला कर अमेरिका, यूरोप और नाटो देशों को खुली चुनौती देकर पूरी दुनिया को हिला दिया था. उसी पुतिन को उसके एक सहयोगी ने 24 घंटे में हिलाकर रख दिया. वैगनर आर्मी ने 24 जून को पुतिन के खिलाफ बगावत कर दी और मॉस्को पर कब्जा करने के लिए कूच करने लगे. वैगनर आर्मी के चीफ येवगेनी प्रिगोझिन ने ऐलान किया कि वह पुतिन का तख्तापलट करके ही दम लेंगे. लेकिन बेलारूस के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर लुकाशेंको के दखल के बाद मामला टल गया और येवगेनी ने अपनी सेना वापस भेज दी.
क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव के अनुसार, बेलारूसी राष्ट्रपति अलेक्जेंडर ने रूस और वैगनर ग्रुप के बीच समझौता कराया कि उसके चीफ येवगेनी प्रिगोझिन पर लगाए गए सभी आपराधिक आरोप हटाए जाएंगे. साथ ही उसे बेलारूस भेजने की अनुमति दी जाएगी. यूक्रेन युद्ध के बीच रूस में करीब 24 घंटे चले इस घमासान पर पूरी दुनिया की नजर टिक गई थी. एक वक्त ऐसा लग रहा था कि रूस में गृहयुद्ध छिड़ गया है. क्योंकि वैगनर सेना रूस के कई शहरों पर कब्जा जमा लिया था. यूक्रेन से युद्ध के बीच राष्ट्रपति पुतिन के लिए ये बगावत बड़ा झटका माना जा रहा है. क्योंकि येवगेनी की सेना के बदौलत पुतिन ने यूक्रेन के आधे से ज्यादा शहरों पर कब्जा जमाया था. अब सवाल ये उठ रहे हैं कि येवगेनी प्रिगोझिन इतना ताकतवर बना कैसे और क्यों उसने पुतिन के साथ बगावत की?
प्रिगोझिन से अमेरिका भी खाता है खौफ?
चलिए सबसे पहले यह जानते हैं कि 62 साल के येवगेनी प्रिगोझिन हैं कौन. दरअसल प्रिगोझिन राष्ट्रपति पुतिन की होम सिटी सेंट पीटर्सबर्ग के रहने वाले हैं. यूक्रेन में वह रूस की तरफ से प्रमुख भूमिका निभा रहे थे. इस विद्रोह से पहले येवगेनी प्रिगोझिन पुतिन का राइट हैंड होता था. येवगेनी ने रूसी सेना के साथ मिलकर प्राइवेट आर्मी वैगनर की अगुवाई की. चाहे अमेरिका में चुनाव में दखल हो या फिर अफ्रीका और मध्य पूर्व में युद्ध में लड़ाके भेजना, येवगेनी ने हर ऑपरेशन में पुतिन को सफलता दिलाई. 2017 के बाद से येवगेनी की वैगनर आर्मी ने माली, सूडान, मध्य अफ्रीकी गणराज्य, लीबिया और मोजाम्बिक में सैन्य दखल के लिए सैनिकों को तैनात किया था और कई ऑपरेशन किए थे.
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येवगेनी प्रिगोझिन कौन हैं?
येवगेनी प्रिगोझिन का जन्म 1961 में लेनिनग्राड (सेंट पीट्सबर्ग) में हुआ था. 20 साल की उम्र में मारपीट, डकैती और धोखाधड़ी के कई मामलों में प्रिगोझिन को 13 साल की सजा सुनाई हुई थी. लेकिन 9 साल बाद ही वह रिहा कर दिए गए थे. रिहा होने के बाद प्रिगोझिन ने हॉट डॉग बेचने के लिए स्टॉल लगाना शुरू कर दिया. वह यह बिजनेस ऐसा चला कि लोग रेंस्तरा के बाहर लाइन लगाकर इंतजार करने लगे. लोकप्रियता बढ़ी तो खुद रूसी राष्ट्रपति पुतिन भी प्रिगोझिन के रेस्तरां में आने लगे. यही वो दौर था जब येवगेनी पुतिन के करीब आए. कहा जाता है कि पुतिन ने ही येवगेनी प्रिगोझिन को एक प्राइवेट सेना बनाने के लिए कहा था. जिसमें जेल से रिहा हुए कैदियों को शामिल किया गया. येवगेनी को "मीटग्राइंडर" भी कहा गया.
किसने बनाया Wagner Group?
इसके बाद येवगेनी प्रिगोझिन वैगनर ग्रुप का गठन किया. साल 2014 में इस ग्रुप में करीब 5,000 लड़ाके थे, जिनमें से 90% रूसी सेना की एलीट रेजीमेंट्स और स्पेशल फोर्स के पूर्व सैनिक थे. इस साल जनवरी में रूस के रक्षा मंत्रालय ने वेगनर ग्रुप में करीब 50,000 लड़ाके होने की जानकारी दी थी. रूस के यूक्रेन में लड़ाई छेड़ने के बाद अपनी रेगुलर सेना के लिए जवान नहीं तलाश पाने की असफलता के बाद पुतिन ने वेगनर ग्रुप को ही वहां उतारा था. यूएस सिक्योरिटी काउंसिल ने साल 2023 की शुरुआत में कहा था कि यूक्रेन में एक्टिव होने के बाद वेगनर ग्रुप ने बड़े पैमाने पर लड़ाकों की भर्ती की है. इनमें से ज्यादातर को जेलों से निकालकर लाया गया है.
अफ्रीका और मध्य पूर्व के देशों में भी रहा एक्टिव
अमेरिका आदि देश Wagner Group को 'किराये के हत्यारों' का समूह कहते हैं. इस समूह का ऑफिशियल नाम PMC Wagner है. इसकी सबसे पहले चर्चा साल 2014 में रूस के यूक्रेन पर हमला कर क्रीमिया पर कब्जा करने के दौरान हुई थी. यह समूह पुतिन के समर्थन से पूर्वी यूक्रेन में रूस समर्थक अलगाववादी समूहों की मदद के लिए वहां पहुंचा था. उस समय तक यह एक सीक्रेट संगठन था, जो ज्यादातर अफ्रीका और मध्य पूर्व के देशों में एक्टिव था. इस समूह पर लीबिया और यमन के गृहयुद्ध में रूस समर्थक गुटों के समर्थन में लड़ाई करने का आरोप है. वहां इस समूह पर अमेरिका और उसके मित्र देशों ने बड़े पैमाने पर नरसंहार करने का भी आरोप लगाया.
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पुतिन का वफादार कैसे हुआ बागी
अब सवाल यह है कि पुतिन का इस वफादार सहयोगी ने बगावत क्यों की. कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि येवगेनी समानांतर ताकत बनना चाह रहे हैं जिनकी महत्वाकांक्षा शायद अपने पुराने दोस्त को सत्ता से उखाड़ फेंकने की है. वहीं कुछ कहा कहना है कि प्रिगोझिन और रूसी सैन्य नेताओं के बीच बीते कुछ महीनों से आंतरिक तनाव चल रहा था. जिसे प्रिगोझिन सेना के भीतर नेतृत्व की विफलता मानते थे. प्रिगोझिन ने रूसी जनरलों पर उनके गोला-बारूद अनुरोधों में बाधा डालने का आरोप लगाया और परिणामस्वरूप यूक्रेन में उसके सैनिकों के मरने के लिए उन्हें दोषी ठहराया. यह विवाद शुक्रवार को उस समय चरम पर पहुंच गया जब प्रिगोझिन ने रूसी सेना पर यूक्रेन के एक शिविर में उसके लड़ाकों पर हमला करने का आरोप लगाया. 24 जून को विवाद तब बढ़ा जब रूस के रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगु और रूसी जनरल स्टाफ के प्रमुख वालेरी गेरासिमोव ने प्रिगोझिन से एक अनुबंध पर हस्ताक्षर करने के लिए कहा था. जिसमें लिखा था कि उसकी प्राइवेट सेना यानी Wagner Group रूस सरकार के आदेशों का पालन करेगी. लेकिन प्रिगोझिन ने इस कॉन्ट्रेक्ट पर साइन करने से इनकार कर दिया था.
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रूस की कांप गई जिससे रूह, अमेरिका भी जिससे खाता खौफ, पढ़ें उस वैगनर आर्मी की 5 बड़ी बातें