डीएनए हिंदीः सुप्रीम कोर्ट में रामसेतु (Ram Sethu) को राष्ट्रीय धरोहर (National Heritage) घोषित करने की मांग की जा रही है. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) आज यनी 26 जुलाई को सुनवाई करेगा. भाजपा नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी (Subramanian Swamy) ने अपनी याचिका में रामसेतु को राष्ट्रीय धरोहर स्मारक घोषित करने के लिए केंद्र को निर्देश दिए जाने का अनुरोध किया है. चीफ जस्टिस एनवी रमना और जस्टिस कृष्ण मुरारी और हिमा कोहली ने भाजपा नेता की याचिका को अर्जेंट बताया और कहा कि यह छोटा मामला है जिसे सुनवाई के लिए लिस्ट किए जाने की जरूरत है. आइये समझते हैं कि यह मामला क्या है और रामसेतु को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने की मांग क्यों की जा रही है.
कहां है 'रामसेतु'
रामसेतु को आदम का पुल (Adam's bridge) भी कहा जाता है. राम सेतु एक पुल है जो तमिलनाडु के दक्षिण-पूर्वी तट पर पत्थर के द्वारा बनाया गया था. यह दक्षिण भारत में रामेश्वरम के पास पंबन द्वीप से श्रीलंका के उत्तरी तट पर मन्नार द्वीप तक बना हुआ है. रामायण महाकाव्य के अनुसार सीता को बचाने के लिए श्रीलंका पहुंचने के लिए भगवान राम व उनकी वानर सेना के द्वारा इस पुल का निर्माण किया गया था.
ये भी पढ़ेंः एंग्लो इंडियन कौन होते हैं? क्यों संसद और विधानसभा में इनके लिए खाली रहती थी सीटें
राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने की मांग
रामसेतु को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने की मांग काफी समय पहले से की जा रही है. सुब्रमण्यम स्वामी का कहना है कि भारत एक धर्म प्रधान राष्ट्र है श्रीराम और उनका कृतत्व हमारे लिए अमूल्य है. उन्होंने कहा तत्कालीन कांग्रेस की सरकार ने राम सेतु को काल्पनिक बताते हुए सेतु समुद्रमं योजना के तहत तोड़ने की पूरी योजना तैयार कर ली थी. इसके लिए 892 करोड़ खर्च भी किए. उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी से मांग की है कि इसे संसद के माध्यम से राष्ट्रीय विरासत घोषित की कार्यवाही करें.
यूपीए सरकार में बनी थी योजना
भारत और श्रीलंका को जोड़ने वाली सेतुसमुद्रम परियोजना 2005 में यूपीए सरकार के कार्यकाल में लाई गई थी. इसमें 44.9 नॉटिकल मील (83 किमी) लम्बा एक गहरा जल मार्ग खोदा जाएगा जिसके द्वारा पाक जलडमरुमध्य को मनार की खाड़ी से जोड़ दिया जाएगा. इस परियोजना को अमल में लाने के लिए रामसेतु को तोड़ने की योजना थी. लेकिन हिंदू संगठनों ने रामसेतु को तोड़ने का विरोध किया था. बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. श्रीलंका और भारत के बीच जहाजों को आने-जाने के लिए कई अतिरिक्त चक्कर काटना पड़ता है. क्योंकि दोनों देशों को सीधा जोड़ने के रास्ते में रामसेतु है और रामसेतु के कारण समुद्र की गहराई कम है, इसलिए जहाजों को घूमकर जाना पड़ता है. रामेश्वरम और श्रीलंका के बीच चूने की उथली चट्टानों हैं. इसे रामसेतु या एडम्स ब्रिज या आदम पुल भी कहते हैं. इस पुल की लंबाई करीब 48 किमी है.
ये भी पढ़ेंः PBG क्या है? सिर्फ चुनिंदा लोग ही क्यों बन सकते हैं राष्ट्रपति के बॉडीगार्ड, जानें इतिहास
पिछली सुनवाई में क्या हुआ था
बता दें कि इस मामले को लेकर बीजेपी नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी. उन्होंने यूपीए सरकार की योजना पर रोक की मांग की थी और इसके बाद रामसेतु को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने की मांग की गई. स्वामी ने तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमण्यन की पीठ से आग्रह किया था कि याचिका पर तत्काल सुनवाई की जरूरत है. इस पर सीजेआई ने कहा कि अगले सीजेआई को इस मुद्दे से निपटने दें. मेरे पास इतना समय नहीं है. इस मुद्दे के लिए समय चाहिए और मेरे पास समय नहीं है.
देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगल, फ़ेसबुक, ट्विटर और इं
- Log in to post comments
'रामसेतु' कहां है? इससे जुड़ा क्या है विवाद, क्यों इसे राष्ट्रीय धरोहर बनाने की हो रही मांग