डीएनए हिंदीः तीन तलाक (Triple talaq) के खिलाफ कानून आने के बाद इससे मामले कम सामने आ रहे हैं. मुस्लिम महिलाओं ने एक कानून का खुलकर समर्थन किया था. अब मुस्लिम महिलाओं ने तलाक-ए-हसन (Talaq-e-Hasan) को खत्म करने की तैयारी शुरू कर दी है. इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दाखिल की गई है. इसी के बाद से मामला चर्चा में आ गया है. मुस्लिम महिलाओं का कहना है कि तीन तलाक की तरह यह भी महिलाओं के साथ भेदभाव करने वाली प्रथा है.
क्या है तलाक-ए-हसन?
तीन तलाक की तरह तलाक-ए-हसन भी तलाक देने का एक तरीका है. इसमें शादीशुदा मर्द तीन महीने में तीन बार एक निश्चित अंतराल के बाद तलाक बोलकर रिश्ता तोड़ सकता है. तलाक का यह तरीक भी तीन तलाक की तरह एकतरफा ही है. खास बात यह है कि इसमें एक ही बार में तीन बार तलाक नहीं बोला जाता है. तलाक-ए-हसन में शौहर अपनी बीवी को तीन महीने में एक-एक कर तीन बार तलाक बोलता है. तीन महीने पूरे होने और आखिरी बार तलाक बोलने पर दोनों के बीच रिश्ता खत्म हो जाता है.
ये भी पढ़ेंः चीन और ताइवान के बीच अगर युद्ध हुआ तो क्या होगा? सैन्य ताकत में कहां ठहरते हैं दोनों देश
क्या है तलाक-ए-हसन की प्रक्रिया
तलाक-ए-हसन में तलाक तो तीन बार बोला जाता है लेकिन इनके बीच एक-एक महीने का फासला होता है. यानी एक बाद तलाक बोलने के एक महीने बाद दूसरी बार तलाक बोला जाता है और उसके एक महीने बाद तीसरी बार तलाक बोला जाता है. तीसरी बार तलाक बोलने के बाद तीन तलाक की तरह इसमें भी शादी खत्म हो जाती है. अगर इस बीच शौहर और बीवी में सुलह हो गई या अंतरंग संबंधों में सहवास करना या साथ रहना शुरू कर देते हैं, तो तलाक को रद्द कर दिया जाता है. तलाक-ए-हसन का एक नियम यह भी है कि इसे तब प्रयोग किया जाना चाहिए जब बीवी को मासिक धर्म नहीं हो रहा हो. इसमें संयम, या ‘इद्दत’ 90 दिनों यानी तीन मासिक चक्र या तीन चंद्र महीनों के लिए तय है.
ये भी पढ़ेंः चीन-ताइवान के बीच विवाद की वजह क्या है? क्या दोनों देशों के बीच हो सकता है युद्ध
सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा मामला
तलाक-ए-हसन का मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है. इस मामले में जनहित याचिका (PIL) दाखिल की गई है. इसमें तलाक-ए-हसन को मनमाना, तर्कहीन और अनुच्छेद 14, 15 का उल्लंघन करने के लिए शून्य और असंवैधानिक घोषित करने के लिए निर्देश जारी करने की मांग की गई. याचिका में कहा गया है कि तीन तलाक यानी तलाक-ए-बिद्दत की तरह यह भी एकतरफा है. बता दें कि शायरा बानो बनाम भारत संघ के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने साल 2017 में तीन तलाक को असंवैधानिक घोषित कर दिया था.
देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगल, फ़ेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर
- Log in to post comments
तलाक-ए-हसन क्या है? मुस्लिम महिलाएं क्यों कर रही हैं इसे खत्म करने की मांग