डीएनए हिंदी: गुजरात और हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव की नतीजे आ चुके हैं. गुजरात में भारतीय जनता पार्टी (BJP) को प्रचंड बहुमत मिला है तो वहीं हिमाचल में कांग्रेस (Congress) सरकार बनाने जा रही है. दोनों राज्यों में हुए चुनाव में कुछ प्रत्याशियों ने रिकॉर्ड मतों से जीत हासिल की तो कुछ प्रत्याशियों की जमानत तक जब्त हो गई. हिमाचल प्रदेश में लगभग सारी और गुजरात में कई सीटों पर आम आदमी पार्टी (AAP) के उम्मीदवार जमानत तक नहीं बचा सके.

किसी चुनाव में प्रत्याशी की जमानत जब्त होने का साफ मतलब है कि जनता ने उसे बुरी तरह खारिज कर दिया. जनता ने माना ही नहीं कि यह इस पद का दावेदार बनने लायक है. ऐसे उम्मीदवारों की ही जमानत राशि डूबती है.  जमानत राशि क्या होती है, क्यों इसकी जरूरत पड़ती है, जमानत जब्त कब होती है, आइए इन सारे सवालों के जवाब जानते हैं.  

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क्यों जमा की जाती है जमानत राशि, क्या है जरूरत?

चुनाव लड़ने वाला उम्मीदवार रिटर्निंग अधिकारी के पास नामांकन दाखिल करते वक्त जमानत राशि जमा करता है. यह राशि सरकारी खजाने में जमा होती है. जमानत राशि, जमा कराने के पीछे चुनाव आयोग की मंशा बेहद साफ है. यह रकम इसलिए रखी गई है कि केवल वे ही उम्मीदवार चुनाव लड़ें जिनके चुनाव लड़ने की मंशा ठीक हो, केवल नाम के लिए चुनाव न लड़ रहे हों.

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हर चुनाव के लिए अलग-अलग होती है जमानत राशि

पंचायत, नगर निगम, लोकसभा, विधानसभा से लेकर राष्ट्रपति चुनाव तक, हर चुनाव में उम्मीदवार को जमानत राशि रिटर्निंग अधिकारी के पास जमा करनी होती है. जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के मुताबिक हर स्तर के चुनाव में अलग-अलग जमानत राशि जमा की जाती है.

किस चुनाव के लिए कितनी है जमानत राशि?

1. लोकसभा और राज्यसभा चुनाव में सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों को 25,000 रुपये की जमानत राशि जमा करनी होती है. अनुसूचित जाति और जनजाति के उम्मीदवारों के लिए जमानत राशि 12,500 रुपये रखी गई है. 

2. विधानसभा और विधान परिषद चुनाव के लिए सामान्य उम्मीदवारों को 10,000 रुपये और SC/ST उम्मीदवारों को 5,000 रुपये रिटर्निंग अधिकारी के पास जमा करना होता है.

3.  राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए जमानत राशि 15,000 रुपये रखी गई है.

कब जब्त हो जाती है जमानत राशि?

जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के मुताबिक अगर उम्मीदवार कुल पड़े मत का 1/6 प्रतिशत वोट हासिल कर ले जाते हैं तो उनकी जमानत बच जाती है. उन्होंने जो रकम रिटर्निंग अधिकारी के पास जमा कराई है, वे वापस ले सकते हैं. अगर कुल पड़े वैध मतों की संख्या से 1/6 प्रतिशत कम वोट किसी प्रत्याशी को पड़ते हैं तो उनकी जमानत जब्त हो जाती है.

कब-कब वापस हो जाती है जमानत राशि?

अगर उम्मीदवार अपना नामांकन वापस ले लेता है तो भी जमानत राशि वापस कर दी जाती है. किसी परिस्थिति में अगर उम्मीदवार की मौत हो जाती है तो यह राशि उसे परिजन को वापस लौटा दी जाती है.

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चुनाव में कब होती है प्रत्याशी की जमानत जब्त
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चुनाव आयोग के रिटर्निंग अधिकारी के पास जमा होती है जमानत राशि. (सांकेतिक तस्वीर)
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चुनाव आयोग के रिटर्निंग अधिकारी के पास जमा होती है जमानत राशि. (सांकेतिक तस्वीर)

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चुनाव में कब होती है प्रत्याशी की जमानत जब्त, कितने वोट हासिल करने पर बचती है सिक्योरिटी डिपॉजिट? जानिए सबकुछ