डीएनए हिंदीः महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच एक जिले को लेकर पिछले काफी समय से विवाद (Maharashtra Karnataka Border Dispute) चल रहा है. दोनों ही राज्य बेलगाम या बेलगावी जिला को लेकर अपना-अपना दावा कर करे हैं. यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है. सुप्रीम कोर्ट इस मामले में 23 नवंबर को सुनवाई करेगा. दूसरी तरफ कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा कि वह इस मामले में एक अनुभवी कानूनी टीम नियुक्त करेंगे. महाराष्ट्र भी इस मामले में कानूनी लड़ाई को लेकर तैयारी कर रहा है. आखिर दोनों राज्यों के बीच झगड़े की वजह क्या है और क्यों मामला सुप्रीम कोर्ट तक जा पहुंचा, विस्तार से समझते हैं.
महाराष्ट्र और कर्नाटक में विवाद की वजह क्या है?
कर्नाटक और महाराष्ट्र के बीच सीमा विवाद काफी पुराना है. दोनों राज्यों के बीच विवाद बेलगावी, खानापुर, निप्पानी, नंदगाड और कारवार की सीमा को लेकर विवाद है. दरअसल भारत की आजादी के बाद जब भाषाई आधार पर 1956 में राज्यों का पुनर्गठन किया जा रहा था तो महाराष्ट्र के कुछ नेताओं ने मराठी भाषी बेलगावी सिटी, खानापुर, निप्पानी, नांदगाड और कारवार को महाराष्ट्र का हिस्सा बनाने की मांग की थी. जबकि यह हिस्सा पहले से कर्नाटक के हिस्से में आता था. कर्नाटक को तब मैसूर कहा जाता था. इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट तक जा पहुंचा. केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश मेहर चंद महाजन के नेतृत्व में एक आयोग के गठन का फैसला लिया. इसके बाद कर्नाटक में भी इसे लेकर विवाद शुरू हो गया.
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कैसे शुरू हुआ विवाद?
जिस समय यह विवाद शुरू हुआ तब मैसूर के तत्कालीन मुख्यमंत्री एस निजालिंग्पा, प्रधानमंत्री इंदिरा गांदी और महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री वीपी नाइक की बैठक हुई. इसमें सभी पक्ष इस मामले को लेकर सहमत थे. हालांकि इसके बाद आयोग ने भी अपनी रिपोर्ट दे दी. इस रिपोर्ट में कर्नाटक के दावे को हरी झंडी दे दी गई और कहा गया कि बेलगाम या बेलगावी को महाराष्ट्र राज्य में मिलाने की अनुशंसा नहीं की जा सकती है. महाराष्ट्र ने इस रिपोर्ट को भेदभावपूर्ण और अतार्किक बताते हुए खारिज कर दिया. आयोग ने निप्पानी, खानापुर और नांदगाड सहित 262 गांव महाराष्ट्र को और 247 गांव कर्नाटक को दे दिए जबकि महाराष्ट्र बेलगावी सहित 814 गांवों की मांग कर रहा था.
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सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा मामला
दोनों राज्यों के बीच का यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया. महाराष्ट्र की ओर से 2006 में इस मामले में बेलगाम को लेकर अपना दावा जताते हुए एक याचिका दाखिल की. महाराष्ट्र सरकार की दलील है कि कर्नाटक इस जिले में अधिकांशतः मराठीभाषी लोग रहते हैं, उनमें असुरक्षा की भावना है. दरअसल पहले सिर्फ बेलगाम शहर में ही मराठीभाषी लोग रहते थे लेकिन बाद में इनकी संख्या पूरे जिले में हो गई. हालांकि यह पूरा हिस्सा अभी कर्नाटक के हिस्से में ही आता है.
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महाराष्ट्र और कर्नाटक सीमा विवाद की वजह क्या है? बेलगाम क्यों नहीं छोड़ना चाहते दोनों राज्य