डीएनए हिंदी: क्रिकेट के बारे में थोड़ा-बहुत जानने वाले भी एलबीडब्ल्यू से परिचित होते हैं. सबको यह पता है कि यह आउट होने का एक तरीका है. खेल में दिलचस्पी रखने वाले लोग भी इसकी कई बारीकियों से परिचित हैं. हालांकि, ऐसे कम ही लोग हैं जो इस नियम के सभी पहलू से परिचित हों. एलबीडब्ल्यू (LBW) जिसे हिंदी में पगबाधा भी कहते हैं के तहत आउट देने पर कई बार अंपायर के फैसलों पर सवाल भी उठाए जाते रहे हैं. आज जानें कि क्या है असल में यह नियम और कैसे इसकी क्रिकेट में शुरुआत हुई. साथ ही, इसे बदलने की मांग आर अश्विन (Ravichandran Ashwin) जैसे गेंदबाज क्यों कर रहे हैं.
What Is LBW?
एलबीडब्ल्यू आउट देने का सबसे आसान और वाजिब तरीका है कि जब कोई बल्लेबाज गेंद को स्टंप पर जाने से रोकने की कोशिश करता है तो उसे आउट करार दिया जाता है. हिंदी में इसी वजह से इसे पगबाधा नाम दिया गया था क्योंकि पैर से बाधा डालने की कोशिश होती है. यह नियम इतना भी सरल नहीं है. इसके साथ कुछ और चीजें भी जुड़ी हैं.
यह भी पढ़ें: वेस्टइंडीज दौरे के लिए Indian Cricket Team का ऐलान, कोहली और बुमराह को आराम
इन स्थितियों में नहीं दिया जाता है पगबाधा या LBW
1) LBW Out के लिए गेंद ने बल्ले को सबसे पहले कहां छुआ है यह भी देखा जाता है. मसलन कि अगर गेंद पहले बल्ले, हाथ या शरीर के किसी और हिस्से पर लगी है तो इसे एलबीडब्ल्यू आउट नहीं माना जाता है.
2) सिर्फ़ वैलिड बॉल पर ही एलबीडब्ल्यू मिलता है नो बॉल या वाइड या किसी भी तरह से अवैध गेंद पर नहीं.
3) लेग स्टंप से बाहर गेंद यदि पिच होती और स्विंग या स्पिन होकर आती है तो ऐसी स्थिति में भी एलबीडब्ल्यू की अपील कई बार की जाती है लेकिन आउट नहीं दिया जाता है.
LBW History
क्रिकेट के शुरुआती इतिहास के पन्ने खंगाले जाएं तो हमें एलबीडब्ल्यू का जिक्र नहीं मिलता है. इतना स्पष्ट है कि यह नियम क्रिकेट के बहुत से नियमों की तरह बाद में जोड़ा गया है. 1744 तक क्रिकेट के इतिहास में यह नियम नहीं था और इसके बाद ही इसे अलग से जोड़ा गया है. नए नियम के तहत, यह तय किया गया कि अगर बल्लेबाज जान-बूझकर गेंद और स्टंप के बीच बाधा बनाता है तो उसे आउट करार दिया जाएगा.
एलबीडब्ल्यू के नियमों में समय के साथ व्यापक बदलाव भी हुए हैं. यही वजह है कि इस नियम को क्रिकेट में लागू होने में लंबा वक्त लगा था. आधिकारिक तौर पर 1876 में मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड पर पहली बार इंग्लैंड के हैरी जूप को LBW आउट करार दिया गया था. पहले गेंदबाज थे ऑस्ट्रेलिया के फास्ट बोलर टॉम गैरेट जिन्होंने एलबीडब्ल्यू आउट किया था.
यह भी पढ़ें: Sourav Ganguly को ब्रिटिश संसद ने किया सम्मानित, नेटवेस्ट ट्रॉफी में अंग्रेजों को दी थी मात
पहले भारतीय खिलाड़ी कौन रहे LBW आउट होने और विकेट लेने वाले
जिस भारतीय खिलाड़ी को पहली बार एलबीडब्ल्यू आउट करार दिया गया था वह नाऊमल जूमल थे. जूमल को साल 1932 में लॉर्ड्स में टेस्ट मैच में एलबीडब्ल्यू आउट दिया गया था. उसी मैच में पूर्व भारतीय कप्तान सीके नायडू पहले भारतीय गेंदबाज बने थे जिन्होंने एलबीडब्ल्यू आउट किया था.
R. Ashwin ने किया नियमों में बदलाव की मांग
भारत के स्टार स्पिनर आर अश्विन ने अपने YouTube चैनल पर नियमों में बदलाव की मांग की है. उन्होंने तर्क दिया है कि टी-20 क्रिकेट में बल्लेबाजों के लिए ज्यादा मौके हैं. ऐसे में अश्विन का कहना है कि बल्लेबाज जो स्विच हिट खेलते हुए अगर गेंद को मिस कर देता है और बॉल उसके पैर पर जाकर लगे तो उस बल्लेबाज को LBW आउट देना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा है कि इससे वनडे क्रिकेट का रोमांच बढ़ाने में भी मदद मिलेगी.
यह भी पढे़ं: टीम इंडिया से बाहर बैठे अश्विन क्यों बोले- बदलना चाहिए LBW का नियम
देश-दुनिया की ताज़ा खबरों (Latest News) पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में (Hindi News) पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगल, फ़ेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर.
- Log in to post comments
क्रिकेट में एलबीडब्ल्यू नाम तो सुना होगा लेकिन क्या है नियम और इतिहास, क्यों है चर्चा में, डिटेल में जानें