डीएनए हिंदीः CBI ने नौकरी के बदले जमीन घोटाले के सिलसिले में पूछताछ के लिए बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव को शनिवार को तलब किया है. ED और CBI ने ने हाल ही में राष्ट्रीय जनता दल (RJD) सुप्रीमो लालू प्रसाद और उनकी पत्नी राबड़ी देवी से दिल्ली और पटना में पूछताछ की थी. यह केस रेलवे में कथित तौर पर नौकरी पाने के लिए लालू प्रसाद के परिवार को तोहफे में जमीन देने या जमीन बेचने से संबंधित है. आइए जानते हैं क्या है ये पूरा केस.
नौकरी के बदले जमीन घोटाले (Land for Job Scam) के मामले में आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद (Lalu Prasad Yadav) यादव समेत उनके परिवार पर शिकंजा कसता जा रहा है. मई 2022 में भी CBI ने कथित घोटाले के संबंध में पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद, उनकी पत्नी राबड़ी देवी, दो बेटियों और 12 अन्य के खिलाफ एक नया मामला दर्ज किया, जिसमें यह आरोप लगाया गया है कि जमीन के बदले में नौकरी दी गई थी.
क्या है लैंड फॉर जॉब घोटाला?
लालू यादव पर आरोप है कि यूपीए-1 सरकार में रेल मंत्री रहते हुए उन्होंने पटना के 12 लोगों को ग्रुप डी में चुपके से नौकरी दी और उनसे अपने परिवार के लोगों के नाम पटना में जमीनें लिखवा लीं. सीबीआई का दावा है कि लालू यादव की पत्नी राबड़ी देवी, बेटी मीसा भारती और हेमा यादव के नाम प्लॉट्स की रजिस्ट्री कराई गई और जमीन की मामूली कीमत नकद में चुकाई गई. पूरा मामला 2004 से 2009 के बीच का है. सीबीआई को जांच में ऐसे सात उदाहरण मिले जहां उम्मीदवारों को कथित तौर पर नौकरी दी गई जब उनके परिवार के सदस्यों ने लालू प्रसाद यादव के परिवार को जमीन हस्तांतरित की. सीबीआई ने इस मामले में 2021 में प्रारंभिक जांच शुरू की थी.
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राबड़ी देवी और बेटी हेमा यादव के नाम जमीन
सीबीआई की जांच में सामने आया कि पटना में तीन सेल डीड राबड़ी देवी के नाम है. इनमें से दो डीड फरवरी 2008 की है, जिसमें 3375-3375 वर्ग फीट के 2 प्लॉट हैं. वहीं तीसरी सेल डीड 2015 की है जिसमें 1360 वर्ग फीट का एक प्लॉट है. राबड़ी देवी के अलावा लालू यादव की सबसे बड़ी बेटी मीसा भारती के नाम भी 2007 की एक सेल डीड है. इसमें उन्हें 80,905 वर्गफीट का प्लॉट दिया गया. इतना ही नहीं पटना में लालू यादव की बेटी हेमा यादव के नाम भी पटना में दो गिफ्ट डीड की जानकारी मिली है. इसमें एक 3375 वर्गफीट का प्लॉट दिया गया. दूसरा 3375 वर्ग फीट का प्लॉट 2014 में हेमा यादव को गिफ्ट किया गया. सीबीआई जांच में यह भी सामने आया कि एक डीड एके इन्फोसिस्टम्स नाम की कंपनी के नाम किया गया जिसमें 9527 वर्ग फीट का प्लाट दिया गया. बाद में इस कंपनी की डायरेक्टर राबड़ी देवी बन गईं.
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कैसे हुआ खुलासा?
सीबीआई की जांच में सामने आया कि पटना के रहने वाले 12 लोगों को रेलवे में 6 अलग अलग-अलग जोन में ग्रुप डी के तरह नौकरी दी गई. पहले इन लोगों को सब्स्टिट्यूट पर रखा गया और बाद में इन्हें रेग्यूलर कर दिया. आरोप है कि इन लोगों को 2008-09 के बीच मुंबई, जबलपुर, कोलकाता, जयपुर, हाजीपुर में नौकरी दी गई. इन लोगों को नौकरी देने के लिए सारे नियम ताक पर रख दिए गए. इसके लिए ना तो रेलवे की ओर से कोई विज्ञापन निकाला गया और ना ही प्रक्रिया का पालन किया गया. आवेदन के तीन दिन से अंदर ही इनकी भर्ती भी करा दी गई. यहां तक कि सेंट्रल रेलवे को भी इसकी जानकारी नहीं दी गई.
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कैसे आगे बढ़ी जांच?
सीबीआई ने 23 सितंबर 2021 इस मामले की प्राथमिक जांच में लालू यादव के रेल मंत्री रहते हुए इस घोटाले का खुलासा किया. 18 मई 2022 को भ्रष्टाचार निरोधक कानून और आईपीसी की धारा 120बी के तहत एफआईआर दर्ज की थी. जिसमें लालू यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी, बेटियां मीसा भारती और हेमा यादव समेत उन 12 लोगों को भी आरोपी बनाया है.
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लैंड फॉर जॉब घोटाला क्या है, कैसे लालू यादव से लेकर तेजस्वी तक पर गिरी गाज?