लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Election 2014) को लेकर सियासी सरगर्मियां अपने उफान पर है. पक्ष और विपक्ष के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है. दोनों ओर से एक-दूसरे के खिलाफ जमकर बयानबाजियां हो रही हैं. इन सबके जद में अब चुनाव आयोग (Election Commission of India) भी आ चुका है. कुछ सियासी दलों की तरफ से आरोप लगाए जा रहे हैं कि लोकसभा चुनाव की ओर से जारी वोटिंग के आंकड़ों में गड़बड़ियां की जा रही है. कहा जा रहा है कि मतदान के दिन वोटिंग प्रतिशत कुछ और होता है, जबकि एक हफ्ते बाद ये बदल जाता है. इसी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है. इस याचिका में मांग की गई है कि SC चुनाव आयोग को उसकी साइट पर फॉर्म 17C को अपलोड करने का निर्देश दे.
ये याचिका एडीआर की ओर से दायर की गई है
चुनाव आयोग की तरफ से SC में इस याचिका का विरोध किया गया है. इस संदर्भ में आयोग ने कहा है कि साइट पर फॉर्म 17सी को डालने से अराजकता की स्थिति पैदा हो जाएगी. साथ ही इसके फोटो को एडित करके राजनीतिक इस्तेमाल भी किया जा सकता है. इस तरह के माहौल से आम नागरिकों में चुनाव की प्रक्रिया से विश्वास खत्म हो सकता है. आपको बताते चलें कि ये याचिका SC में एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की तरफ से दायर की गई है. इस याचिका में मांग की गई है कि 17सी को आयोग अपनी साइट पर अपलोड करे.
यह भी पढ़ें- बंगाल में क्या है OBC आरक्षण का गणित, HC के फैसले से कितनी नौकरियों पर लटकी तलवार?
कोर्ट ने चुनाव आयोग से मांगा जवाब
एडीआर ने मतदान प्रतिशत को लेकर गड़बड़ी होने का शक जताया है. साथ ही एडीआर ने चुनाव आयोग की ओर से मतदान के कई दिनों बाद चुनावी आंकड़ा जारी करने पर भी सवाल उठाया है. एडीआर ने याचिका में कहा है कि पहले फेज की वोटिंग 19 अप्रैल को हुई थी, लेकिन इसके आंकड़े 11 दिन बाद जारी किए गए, वहीं, दूसरे फेज के मतदान में ये आंकड़े चार दिन बाद अपडेट किए गए. साथ ही इस याचिका में वोटिंग वाले दिन और फाइनल आंकड़ों में 5 प्रतिशत तक के फर्क की बात कही गई है. एडीआर के मुताबिक चुनाव आयोग मतदान समाप्त होने के 48 घंटे के अंदर 17सी की कॉपी जारी करे. इसको लेकर 17 मई को चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच सुनवाई कर रही थी. बेंच ने चुनाव आयोग से याचिका में शामिल सारे ही सवालों को लेकर जवाब मांगा था.
चुनाव आयोग ने आरोप को बेफिजूल बताया
चुनाव आयोग ने सप्रीम कोर्ट के इस बेंच को जवाब देते हुए कहा था कि 17सी साइट पर डालने से देश में अराजकता का माहौल बन सकता है. आयोग ने कहा कि कानून के मुकाबिक 17सी की कॉपी हम पोलिंग एजेंट को अपलब्ध करा सकते हैं, लेकिन इसे पब्लिक नहीं कर सकते हैं. साथ ही चुनाव आयोग ने मतदान प्रतिशत के आंकड़ों को लेकर लगे आरोपों को तथ्यहीन और बेबुनियाद बताते हुए उसे खारिज कर दिया. इस याचिका को लेकर 24 मई यानी आज फिर से सुनवाई है.
क्या होता है फॉर्म 17 सी?
कंडक्ट ऑफ इलेक्शन रूल्स 1961 में चुनाव से संबंधित दो तरह के फॉर्म का जिक्र है, एक फॉर्म 17ए कहलाता है, वहीं दूसरे फॉर्म का नाम 17सी है. 17ए में पोलिंग अधिकारी के पास हर मतदाता का ब्योरा होता है. वहीं, 17 सी में मतदान प्रतिशत के आंकड़ों का लेखा-जोखा होता है. मतदान की समाप्ति के बाद इसे सभी प्रार्टियों के पोलिंग एजेंट को दी जाती है.
ख़बर की और जानकारी के लिए डाउनलोड करें DNA App, अपनी राय और अपने इलाके की खबर देने के लिए जुड़ें हमारे गूगल, फेसबुक, x, इंस्टाग्राम, यूट्यूब और वॉट्सऐप कम्युनिटी से.
- Log in to post comments
क्या है वोटिंग के आंकड़ों से जुड़ा फॉर्म 17C? इसे क्यों नहीं जारी करना चाहता है चुनाव आयोग?