डीएनए हिंदीः भ्रष्टाचार के खिलाफ मोदी सरकार की कार्रवाई लगातार जारी है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) ने स्वतंत्रता दिवस पर लालकिले से दिए भाषण में साफ कर दिया कि आगे ऐसी कार्रवाई जारी रहेंगी. केंद्रीय एजेंसियां लगातार छापेमारी कर रही हैं. मोदी सरकार के 8 साल में प्रवर्तन निदेशालय (ED) की कार्रवाई में तेजी आई है. ED की सालाना रिपोर्ट के मुताबिक, अप्रैल 2014 से मार्च 2022 के बीच 3,555 केस दर्ज किए और 99 हजार 355 करोड़ रुपए की संपत्ति जब्त की.
किस सरकार ने कितनी संपत्ति की जब्त
आंकड़ों पर गौर करें तो यूपीए सरकार में 9 साल यानी जुलाई 2005 से मार्च 2014 तक 1,867 केस दर्ज किए गए. यूपीए सरकार में मनी लॉन्ड्रिंग के तहत 4,156 करोड़ रुपए की संपत्ति अटैच हुई थी. रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 4 महीनों में 7,833 करोड़ रुपए की संपत्ति अटैच की गई है और 785 नए केस दर्ज किए गए हैं. यह आंकड़ा यूपीए सरकार के नौ साल के मुकाबले 88 प्रतिशत तक ज्यादा है. अप्रैल 2021 से 30 नवंबर 2021 तक देश में मनी लॉन्ड्रिंग के कुल 395 केस दर्ज हुए थे और 8,989.26 करोड़ रुपए की संपत्ति अटैच की गई थी. यूपीए के 9 साल में ईडी ने सिर्फ 112 छापे मारे थे, जबकि एनडीए के 8 साल में ही 2,974 छापे पड़े हैं. हाल ही में सुप्रीम कोर्ट को सौंपी रिपोर्ट में केंद्र ने बताया कि 2004 से 2013-14 के बीच ईडी ने 112 छापे मारे थे. वहीं, अप्रैल 2014 से मार्च 2022 के बीच 2,974 छापे मारे गए.
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2002 में लागू हुआ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट
देश में मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट 2002 में लागू हुआ था. तब से मार्च 2022 तक कुल 5,422 केस दर्ज हो चुके हैं और 1.04 लाख करोड़ रुपए से भी ज्यादा संपत्ति अटैच की जा चुकी है. इन मामलों में कुल 400 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है और 25 दोषी ठहराया गया है.
करोड़ों का कैश किया जब्त
ईडी ने पिछले एक साल में ताबड़तोड़ छापेमारी की है. यूपी में विधानसभा चुनाव से पहले पिछले साल दिसंबर में कन्नौज में इत्र कारोबारी पियूष जैन के ठिकानों पर छापेमारी में करीब 200 करोड़ रुपये कैश बरामद किया था. वहीं पिछले दिनों ममता सरकार में मंत्री रहे पार्थ चटर्जी की करीबी अर्पिता मुखर्जी के ठिकानों से भी करोड़ों रुपये कैश बरामद किया गया था. इससे पहले झारखंड में अवैध खनन के मामले में 36 करोड़ रुपए जब्त किए गए. झारखंड की आईएएस पूजा सिंघल के सीए के घर से 17 करोड़ कैश बरामद किया गया था.
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पिछले 3 महीने में ईडी और सीबीआई ने कहां-कहां मारा छापा?
मनीष सिसोदिया
19 अगस्त को सीबीआई ने दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया समेत 21 अलग-अलग ठिकानों पर छापेमारी की. यह छापेमारी दिल्ली में शराब घोटाले से जुड़े मामले को लेकर की गई थी.
मुख्तार अंसारी
18 अगस्त को प्रवर्तन निदेशालय ने बाहुबली मुख्तार अंसारी के दिल्ली, लखनऊ, गाजीपुर और मऊ समेत कई ठिकानों पर एकसाथ छापेमारी की. ईडी ने अंसारी के भाई अफजल अंसारी के मुहम्मदाबाद स्थित घर पर भी ईडी ने छापेमारी की.
नेशनल हेराल्ड दफ्तर
2 अगस्त ईडी ने दिल्ली और कोलकाता में नेशनल हेराल्ड केस के जुड़े मामलों में छापेमारी की. इसमें दिल्ली और कोलकाता स्थित ऑफिस के अलावा 12 ठिकाने शामिल थे. ईडी इस मामले में सोनिया गांधी और राहुल गांधी से पूछताछ भी कर चुकी है.
रेलवे भर्ती घोटाला
2 अगस्त को सीबीआई ने पूर्व मध्य रेलवे में रिश्वतखोरी के मामले में पटना से लेकर कोलकाता, हाजीपुर, समस्तीपुर और सोनपुर में छापेमारी की. सीबीआई ने रेलवे के तीन बड़े अफसर समेत पांच लोगों को गिरफ्तार भी किया. इस छापेमारी में 46.50 लाख रुपए भी जब्त किए गए.
पार्थ चटर्जी
21 जुलाई को ईडी ने पश्चिम बंगाल में हुए शिक्षक भर्ती घोटाले के मुख्य आरोपी और पूर्व मंत्री पार्थ चटर्जी और उसकी करीबी अर्पिता मुखर्जी के कोलकाता स्थित ठिकानों पर छापेमारी की. ईडी की यह छापेमारी कई दिनों तक चली. इस दौरान 21 जुलाई को अर्पिता के घर से 21 करोड़ कैश, 20 मोबाइल फोन और 80 लाख की ज्वैलरी मिली. वहीं 28 जुलाई को अर्पिता के बेलघोरिया वाले फ्लैट और अन्य ठिकानों से 29 करोड़ कैश, 3 करोड़ का गोल्ड और 4 लग्जरी कारें बरामद हुईं.
पंकज मिश्रा
8 जुलाई को ईडी ने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा के रांची और धनबाद स्थित ठिकानों पर छारेमारी की. एकसाथ 18 ठिकानों पर हुई. ईडी ने पंकज मिश्रा के करीबियों के ठिकानों पर भी छापेमारी की.
Vivo कंपनी
5 जुलाई को ईडी ने चाइनीज मोबाइल कंपनी Vivo के देशभर में 40 से ज्यादा ठिकानों पर एकसाथ छापेमारी की. यह कार्रवाई प्रिवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत की गई. 2020 में वीवो में बड़े फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ था.
सत्येन्द्र जैन
7 जून को ईडी ने दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येन्द्र जैन के ठिकानों पर छापेमारी की थी. ईडी ने छापेमारी में करीब 3 करोड़ कैश बरामद किया है.
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जब्त किए गए कैश का क्या करती है ED?
ईडी कहीं भी छापेमारी के लिए जाती है तो कानून के तहत वह कैश को जब्त कर सकती है. इस पैसे का इस्तेमाल वह नहीं कर सकती है. जिस व्यक्ति के पास से यह कैश बरामद होता है उसे उसके स्त्रोत और वैध कमाई का सबूत देना होता है. वह आरोपी इसका सबूत दे देता है तो यह रकम उसे वापस कर दी जाती है. कोर्ट अगर उस व्यक्ति को मामले में बरी कर देती है तब भी उसे ये रकम मिल जाती है. वहीं अगर वो ऐसा करने में असफल रहता है, तब इस रकम को गलत तरीके से अर्ज किए गए धन के दायरे में रखा जाता है.
हर नोट का रखा जाता है हिसाब
ईडी जब भी छापेमारी में कैश बरामद करती है तो उसकी पूरी जानकारी रखी जाती है. मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम कानून के तहत छापेमापी में कैश जब्त होने के बाद मौके पर भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के अधिकारियों को बुलाया जाता है. यह अधिकारी नोटों की गिनती करते हैं. छापेमारी की पूरी कागजी कार्रवाई की जाती है. इसमें एक स्वतंत्र गवाह भी मौजूद रहता है. ईडी जब्ती मेमो (Seizure Memo) में लिखती है कि छापेमारी में उसे दो हजार, 500, 200 या 100 रुपये के कितने नोट मिले हैं. इसके बाद इन नोटों को बक्सों में भरकर नजदीकी एसबीआई ब्रांच में ईडी के खाते में जमा करा दिया जाता है. इस पैसे को ईडी इस्तेमाल नहीं कर सकती है. अगर आरोपी इस पैसे का स्त्रोत नहीं बता पाता है तो यह पैसा केंद्र सरकार का हो जाता है.
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छापेमारी में जिन पैसों को जब्त करती है ED और CBI उसका क्या होता है?