डीएनए हिंदीः चीन में तबाही मचाने वाला कोरोना (Corona) का नया वेरिएंट ओमिक्रॉन बीएफ.7 (Omicron BF.7) भारत भी पहुंच चुका है. इसे लेकर केंद्र सरकार की ओर से एडवायजरी जारी कर दी गई है. एयरपोर्ट पर रैंडम सैंपलिंग भी तेज हो गई है. संक्रमित पाए जा रहे लोगों के नमूनों को जीनोम सीक्वेंसिंग (Genome Sequencing) की जांच के लिए लैब भेजा जा रहा है. अब आपके मन में सवाल होगा कि आखिर जीनोम सीक्वेंसिंग होती क्या है और इसके जरिए क्या पता लगाया जाता?
क्या होती है जीनोम सीक्वेंसिंग (What is Genome Sequencing)
चीन में तबाही मचाने वाले नए वेरिएंट के भारत में अब तक 5 मामले सामने आ चुके हैं. इसके बाद जीनोम सीक्वेंसिंग का काम तेज हो गया है. इस टेस्ट के जरिए पता लगाया जाता है कि लोग वायरस के किस वेरिएंट के कारण संक्रमित हो रहे हैं. जीनोम सीक्वेंसिंग की मदद वायरस से जुड़ी सारी जानकारियां, जैसे- उसके वेरिएंट, सब वेरिएंट और उनकी प्रकृति के बारे में पता किया जा सकता है. जीनोम सिक्वेंसिंग की मदद से किसी व्यक्ति के व्यक्तिगत जीनोम के बारे में जानकारी हासिल की जाती है.
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कैसे होती है इसकी जांच?
बता दें कि हमारी कोशिकाओं के अंदर जेनेटिक मटैरियल यानी आनुवंशिक पदार्थ होता है. इसे DNA और RNA कहते हैं. इन्हें ही जीनोम भी कहा जाता है. ठीक उसी तरह से किसी भी वायरस का भी एक डीएनए होता है. जीन की तय जगह और दो जीन के बीच की दूरी और उसके आंतरिक हिस्सों के व्यवहार और उसकी दूरी को समझने के लिए कई तरीकों से जीनोम मैपिंग (Genome Mapping) या जीनोम सिक्वेंसिंग की जाती है. जीनोम सिक्वेंसिंग में DNA या RNA के अंदर मौजूद न्यूक्लियोटाइड के लयबद्ध क्रम का पता लगाया जाता है. इसके तहत मौजूद चार तत्वों यानी एडानिन (A), गुआनिन (G), साइटोसिन (C) और थायमिन (T) की सीरीज का पता लगाया जाता है.
भारत में इसकी जांच के लिए क्या है व्यवस्था?
भारत में कोरोना को लेकर इसकी जीनोम सीक्वेंसिंग का काम इंडियन सार्स-कोव-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम यानी INSACOG है. बता दें कि भारत में INSACOG के तहत देशभर में 52 सरकारी लैब हैं. इन्हीं लैब में जीनोम सिक्वेंसिंग की जा रही है. वहीं 7 राज्यों में निजी लैब भी मौजूद हैं जो जीनोम सीक्वेंसिंग करती हैं. इनकी संख्या 20 है जिनमें से दिल्ली, कर्नाटक और तमिलनाडु 4-4, गुजरात और महाराष्ट्र में 3-3, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में एक-एक लैब है.
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क्या भारत इसकी जांच के लिए तैयार है?
जीनोम सीक्वेंसिंग एक जटिल प्रक्रिया होती है. इसकी जांच में एक्सपर्ट्स की जरूरत होती है. वहीं पूरी प्रक्रिया में समय भी लगता है. भारत में मौजूद सरकारी लैब एक महीने में सिर्फ 60 हजार सैंपल की ही जांच कर सकती हैं. ऐसे में भारत की आबादी को देखते हुए यह आंकड़ा काफी कम हैं.
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जीनोम सीक्वेंसिंग क्या होती है? चीन में तबाही मचाने वाले वायरस की भारत में कहां-कहां होती है जांच