डीएनए हिंदी: भारत में राष्ट्रपति के बाद दूसरा सबसे बड़ा संवैधानिक पद उपराष्ट्रपति (Vice President) का होता है. उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू का कार्यकाल 10 अगस्त को समाप्त हो रहा है. 6 अगस्त को 16वें उपराष्ट्रपति चुनाव (Vice President Election 2022) के लिए वोटिंग होगी. इसी दिन चुनाव के नतीजे भी आ जाएंगे. देश के लोकतांत्रिक इतिहास में 4 उपराष्ट्रपति ऐसे रहे हैं जिन्हें निर्विरोध चुना गया है. उपराष्ट्रपति के चुनाव में सिर्फ लोकसभा और राज्यसभा के सांसद वोट करते हैं. इस चुनाव में मनोनीत सदस्य भी हिस्सा लेते हैं. मतलब चुनाव में कुल 788 वोट डाले जा सकते है. इसमें लोकसभा के 543 सांसद और राज्यसभा 243 सदस्य वोट करते हैं. राज्यसभा सदस्यों में 12 मनोनीत सांसद भी हैं.
देश में उपराष्ट्रपति पद की रेस में 2 दिग्गज आमने-सामने हैं. एनडीए ने जगदीप धनखड़ को उतारा है. उन्होंने अपना नामांकन 18 जुलाई को दाखिल किया था, वहीं विपक्ष की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा ने 19 जुलाई को अपना नामांकन दाखिल किया था. इस संवैधानिक पद के लिए राजनीतिक समीकरण बिठाए जाने लगे हैं. आइए समझते हैं कि कैसे देश के पहले, दूसरे, सातवें और नौवें उपराष्ट्रपति निर्विरोध चुने गए थे.
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साल 1952. पहला उपराष्ट्रपति चुनाव
साल 1952 में पहली बार उपराष्ट्रपति चुनाव में दो उम्मीदवार आमने-सामने थे. डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन और शेख खादिर हुसैन. किन्हीं कारणों से शेख खादिर हुसैन का नामांकन खारिज कर दिया. राधाकृष्णन इकलौते उम्मीदवार थे इसलिए 25 अप्रैल 1952 को उन्हें निर्विरोध निर्वाचित कर दिया गया. उन्होंने 13 मई 1952 को उपराष्ट्रपति पद का कार्यभार संभाला था. उस समय कुल वोटरों की संख्या 715 थी.
साल 1957. दूसरा उपराष्ट्रपति चुनाव
डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन को 23 अप्रैल, 1957 को दूसरे कार्यकाल के लिए भी निर्विरोध चुन लिया गया. उनका कार्यकाल 12 मई 1957 को खत्म होने वाला था. सिर्फ वही वैध उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार थे इसलिए उन्हें निर्विरोध चुन लिया गया. तब कुल वोटरों की संख्या 735 थी.
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साल 1979. सातवां उपराष्ट्रपति चुनाव
1979 के उपराष्ट्रपति चुनाव में, मोहम्मद हिदायतुल्ला को निर्विरोध निर्वाचित किया गया था. अलग-अलग राजनीतिक दलों के बीच सर्वसम्मति की वजह से उन्हें भारत के उपराष्ट्रपति के रूप में चुना गया था. उन्होंने 31 अगस्त, 1979 को उपराष्ट्रपति का पद ग्रहण किया.
साल 1987. नौवां उपराष्ट्रपति चुनाव
साल 1987 में उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए कुल 27 उम्मीदवारों ने नामांकन दाखिल किया था. चुनाव अधिकारियों ने सिर्फ डॉक्टर शंकर दयाल शर्मा के नामांकन को ही वैध माना. नाम वापस लेने की तिथि खत्म होने के बाद उन्हें निर्विरोध निर्वाचित कर दिया गया. शंकर दयाल शर्मा ने 3 सितंबर 1987 को उपराष्ट्रपति पद संभाला था.
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क्या निर्विरोध चुने जा सकते हैं उपराष्ट्रपति?
उपराष्ट्रपति उम्मीदवार निर्विरोध भी चुने जा सकते हैं. अगर सभी उम्मीदवारों का नामांकन रद्द हो जाए तो जिस भी उम्मीदवार का नामांकन सही होगा उसे चुना जा सकता है. अगर चुनाव में कोई भी उम्मीदवार नहीं उतरा है और सिर्फ किसी एक ने नामांकन किया है तो भी उसे निर्विरोध चुना जा सकता है. अगर सभी दल किसी एक उम्मीदवार के नाम पर सहमत हो जाएं तो भी उपराष्ट्रपति निर्विरोध चुने जा सकते हैं.
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क्या निर्विरोध चुने जा सकते हैं देश के उपराष्ट्रपति, कैसा रहा है अब तक इतिहास?