डीएनए हिंदी: अमेरिकी फेडरल रिजर्व (US Fed Reserve) इस साल तीसरी बार 15 जून, 2022 को ब्याज दरें बढ़ा रहा है. वास्तव में अमेरिका में महंगाई (US Inflation) 41 साल के हाई पहुंच गई है. जिससे मुकाबला करने के लिए ब्याज दरों को बढ़ाना अनिवार्य हो गया है. अब बड़ा सवाल यह है कि फेड ब्याज दरों (US Fed Rates) में कितना इजाफा करेगा. 10 जून को कंज्यूमर प्राइस (US Consumer Price Index) को लेकर आई ताजा रिपोर्ट पहले एक्सपर्ट 50 बेसिस प्वाइंट बढ़ोतरी की उम्मीद कर रहे थे, जिसे बढ़ाकर 0.75 अंकों की वृद्धि का अनुमान लगा रहे हैं. अगर बढ़ोतरी 75 आधार अंकों की होती है तो यह 28 सालों की सबसे बड़ी बढ़ोतरी होगी. जिसकी वजह से इकोनॉमी रिसेशन का दरवाजा खटखटा सकती है. एस एंड पी 500 स्टॉक इंडेक्स में हालिया गिरावट ने अपने इस डर को पहले ही दिखा दिया है. आपको बता दें कि जनवरी के अपन हाई से शेयर बाजार 20 फीसदी नीचे आ चुका है. आइए आपको भी बताते हैं कि अगर फेड ब्याज दरों में इजाफा करते हैं तो इसका आम लोगों की जिंदगी पर क्या असर देखने को मिलेगा. क्या फेड बिना आर्थिक मंदी के ब्याज दरों को बढ़ाकर इकोनॉमी को स्टेबल रखने में कामयाब हो सकेगी. 

1. फेड क्या कर रहा है और क्यों?
फेडरल ओपन मार्केट कमेटी, फेड की नीति बनाने वाली शाखा, मौजूदा समय में इस बात पर विचार कर रही है कि नीतिगत ब्याज दरों में कितना इजाफा करे. हाल के सप्ताहों में, फेड अध्यक्ष जेरोम पॉवेल ने संकेत दिया है कि अमेरिकी केंद्रीय बैंक 0.5 प्रतिशत अंक बढ़ाकर 1.25 फीसदी से 1.5 फीसदी की सीमा तक लेकर जा सकता है. लेकिन बाजार और वॉल स्ट्रीट के अर्थशास्त्री अब 0.75 अंकों की बड़ी बढ़ोतरी की उम्मीद कर रहे हैं क्योंकि मई के कंज्यूमर प्राइस के आंकड़ें आंकड़े बताते हैं कि महंगाई अप्रत्याशित रूप से बढ़ी है. वॉल स्ट्रीट के कुछ विश्लेषकों का सुझाव है कि 1 फीसदी तक की बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है. 

10 जून को कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स के नए आंकड़े सामने आने के बाद से, दरों में तेज वृद्धि की संभावना से फाइनेंशियल मार्केट में 5 फीसदी की गिरावट आई है. निवेशकों को चिंता है कि फेड महंगाई को कम करने की अपनी लड़ाई में इकोनॉमी को बहुत धीमा कर सकता है, जिसे अगर अनियंत्रित छोड़ दिया जाए तो यह कंज्यूमर्स के कंपनियों के लिए गंभीर समस्या पैदा करता है. हाल के एक सर्वे में पाया गया कि अमेरिकियों का मानना ​​​​है कि महंगई सबसे बड़ी समस्या है. 

2. फेड क्या हासिल करने की कोशिश कर रहा है?
फेडरल रिजर्व के पास कीमतों को स्थिर रखते हुए रोजगार को मैक्सीमाइज करने का डुअल मैंडेट है. अक्सर पॉलिसी निर्माताओं को एक या दूसरो को प्राथमिकता देनी चाहिए. जब अर्थव्यवस्था कमजोर होती है, तो महंगाई आमतौर पर कम हो जाती है और फेड निवेश को प्रोत्साहित करने और रोजगार को बढ़ावा देने के लिए दरों को कम रखने पर ध्यान केंद्रित कर सकता है. जब अर्थव्यवस्था मजबूत होती है, तो बेरोजगारी आमतौर पर काफी कम होती है, और इससे फेड को महंगाई को नियंत्रित करने पर ध्यान केंद्रित करने की कोशिश रहती है. 

ऐसा करने के लिए, फेड अल्पकालिक ब्याज दरें निर्धारित करता है, जो बदले में लंबी अवधि की दरों को प्रभावित करने में मदद करता है. उदाहरण के लिए, जब फेड अपने टारगेट शॉर्ट टर्म रेट्स को बढ़ाता है, तो इससे बैंकों के लिए उधार लेने की लागत बढ़ जाती है, जो बदले में उपभोक्ताओं और व्यवसायों को घरों और कारों के लिए लंबी अवधि के लोन पर रेट्स हाई हो जाते हैं. 

फिलहाल, अर्थव्यवस्था काफी मजबूत है, बेरोजगारी कम है, और फेड मुख्य रूप से महंगाई को कम करने पर ध्यान केंद्रित करने की कोशिश में है. समस्या यह है कि मुद्रास्फीति 8.6 फीसदी की वार्षिक दर से इतनी अधिक है कि इसे नीचे लाने के लिए दशकों में उच्चतम ब्याज दरों की आवश्यकता हो सकती है, जो अर्थव्यवस्था को काफी हद तक कमजोर कर सकती है. इसलिए फेड तथाकथित सॉफ्ट लैंडिंग को अंजाम देने की कोशिश कर रहा है.

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3. 'सॉफ्ट लैंडिंग' क्या है और क्या इसकी संभावना है?
एक सॉफ्ट लैंडिंग उस तरीके को कहते हैं जिसमें फेड आर्थिक विकास या गति को गिराए बिना फेड महंगाई को धीमा करने का प्रयास करे. रोजगार को नुकसान न पहुंचाते हुए कीमतों को स्थिर करने के लिए, फेड से आने वाले महीनों में तेजी से ब्याज दरों में वृद्धि की उम्मीद है. फेड ने इस साल दो बार अपनी बेंचमार्क दरों में पहले ही इजाफा कर लिया है. 

इतिहास में हम पहले देख चुके हैं कि जब फेड को दरों में तेजी से वृद्धि करनी पड़ी है, तो आर्थिक मंदी से बचना मुश्किल रहा है. क्या यह इस बार सॉफ्ट लैंडिंग करने की स्थिति में है? पॉवेल ने जोर देकर कहा है कि 1980 के दशक में अपनी आखिरी महंगाई की लड़ाई के बाद से इसके नीतिगत उपकरण अधिक प्रभावी हो गए हैं, जिससे इस बार लैंडिंग को रोकना संभव हो गया है. अर्थशास्त्रियों के एक हालिया सर्वे में कहा गया है कि कई लोग अगले साल से मंदी शुरू होने की संभावना जता रहे हैं. 

4. कंज्यूमर्स और इकोनॉमी के लिए इसका क्या मतलब है?
जब फेड नीतिगत दरों में इजाफा करता है तो पैसा उधार लेना अधिक महंगा हो जाता है. सबसे पहले, बैंक पैसे उधार लेने के लिए अधिक भुगतान करते हैं. उसके बाद वही बैंक व्यक्तियों और व्यवसायों से अधिक ब्याज भी वसूलते हैं, यही वजह है कि लेडिंग रेट्स में लगातार इजाफा होता है. जिसकी वजह से साल 2022 में लेंडिंग पेमेंट्स इतनी तेजी से बढ़ रहा है, यहां तक ​​​​कि हाउसिंग मार्केट और कीमतें धीमी होने लगती हैं.

जब ब्याज दरें अधिक होती हैं तो कम लोग घर खरीदते हैं और व्यवसाय या कारखाने में निवेश को कम कर सकते हैं. अधिक श्रमिकों को किराए पर ले सकते हैं. नतीजतन, हाई इंट्रस्ट रेट्स समग्र रूप से अर्थव्यवस्था की विकास दर को धीमा कर सकती हैं, जबकि महंगाई पर भी अंकुश लगा सकती हैं. यह सिर्फ अमेरिकियों को प्रभावित करने वाला इश्यू नहीं है. यूएस में हाई रेट्स ग्लोबल इकोनॉमी पर समान प्रभाव डालती हैं, चाहे उनकी उधारी लागत को बढ़ाकर या डॉलर के मूल्य में वृद्धि करके, जिससे यूएस सामान खरीदना अधिक महंगा हो जाता है.

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US fed reserve this decision can push world towards economic recession?
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क्या US Fed Reserve के फैसले से दुनिया में आ सकती है आर्थिक मंदी?
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क्या US Fed Reserve के फैसले से दुनिया में आ सकती है आर्थिक मंदी?