राजस्थान के मानगढ़ में गुरुवार को आदिवासी, भील समाज समेत 35 संगठनों महाजुटान हुआ. जिसमें राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र के 4 राज्यों के 49 जिलों को काटकर अलग भील प्रदेश बनाने की मांग रखी गई. भील प्रदेश बनाने की यह मांग पिछले 111 से चली आ रही है. लेकिन लंबे समय से यह ठंडे बस्ते में पड़ी थी, लेकिन अब आदिवासियों ने इस मांग को तेज कर दिया है. जिसकी वजह से बीजेपी की टेंशन बढ़ गई है. माना जा रहा है कि अगर इसका हल नहीं निकाला गया तो इन चारों राज्यों में राजनीतिक समीकरण बिगड़ सकता है.

भारत आदिवासी पार्टी के सांसद राजकुमार रोत का कहना है कि भील प्रदेश की मांग हमारे पूर्वजों ने की थी. हम इस मांग को फिर से उठा रहे हैं. जब मराठाओं के लिए महाराष्ट्र और तमिल समाज के लिए तमिलानाडु बनाया जा सकता है तो भीलों के लिए भील प्रदेश क्यों नहीं. जब तक भील प्रदेश नहीं बनाया जाएगा, हम अपनी मांग से पीछे नहीं हटेंगे. भील भारत की सबसे पुरानी जनजाति है. वील शब्द से भील बना, जिसका मतलब 'धनुष' होता है.

1913 से उठ रही अलग प्रदेश की मांग
भील प्रदेश बनाने की मांग कोई नई नहीं है. आजादी से पहले से ही यह मांग उठती रही है. साल 1913 में खानाबदोश बंजारा जनजाति के गोविंदगिरी ने अलग आदिवासी प्रदेश की मांग की थी. इसके लिए उन्होंने 1500 कार्यकर्ताओं के साथ प्रदर्शन भी किया था, लेकिन अंग्रेजी हुकूमत ने उन्हें गिरफ्तार कर इस आंदोलन को दबा दिया था.

भील समाज की कुल कितनी आबादी?
भील समुदाय की देश में कुल 1 करोड़ की आबादी है. राजस्थान, मध्य प्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र में इनकी अच्छी खासी संख्या है, जो राजनीतिक आंकड़ों से हिसाब से काफी अहम मानी जाती है. राजस्थान में 13.4 प्रतिशत, मध्य प्रदेश में 21.1 प्रतिशत, गुजरात में 14.8 प्रतिशत और महाराष्ट्र में 9.3 प्रतिशत के करीब आदिवासी है. लोकसभा हो या विधानसभा हर चुनाव में इनका प्रभाव रहता है.


यह भी पढ़ें- 'दीदी' के बंगाल में महिला से फिर बर्बरता, बाल काटकर बनाया Video, जानिए जंगली हरकत


टेंशन में क्यों बीजेपी?
सीटों के हिसाब से देखें तो मध्य प्रदेश की 45 सीटें आदिवासी समाज के लिए आरक्षित हैं. आदिवासियों के बगैर किसी भी पार्टी के लिए सत्ता तक पहुंचना मुश्किल होता है. वहीं महाराष्ट्र में 14, राजस्थान में 25 और गुजरात में 27 सीटों पर आदिवासियों का दबदबा है. इन राज्यों में सरकार बनाने या बिगाड़ने में ये सीटें बड़ी भूमिका निभाती हैं. बीजेपी की टेंशन इसलिए बढ़ी हुई है कि इन चारों राज्यों में बीजेपी की सरकार है. 

भील समाज जिन राज्यों के 49 जिले काटकर अलग प्रदेश बनाने की मांग कर रहे हैं. उनमें बीजेपी या एनडीए गठबंधन की सरकार है. राजस्थान, मध्य प्रदेश और गुजरात में बीजेपी की सरकार है. जबकि महाराष्ट्र में उसकी गठबंधन की सरकार है. ऐसे में अगर बीजेपी ने कुछ कदम नहीं उठाया तो उसे नुकसान उठाना पड़ सकता है. महाराष्ट्र में इसी साल के अंत में विधानसभा चुनाव होना है. 

इन जिलों को प्रदेश बनाने की मांग?

  • राजस्थान: बाड़मेर, कोटा, उदयपुर, बांसवाड़ा, डूंगरपुर, बाड़मेर, जालोर, सिरोही, झालावाड़, राजसमंद, बारां, पाली और चित्तौड़गढ़.
  • मध्य प्रदेश: इंदौर, रतलाम, धार, गुना, शिवपुरी, नीमच, मंदसौर, धार, देवास, खंडवा, खरगोन, बड़वानी, अलीराजपुर और बुरहानपुर.
  • गुजरात: सूरत, बड़ोदरा, अरवल्ली, नर्मदा, साबरकांठा, महीसागर, दाहोद, पंचमहल,  तापी, बनासकांठा, भरूच, नवसारी और छोटा उदेपुर. 
  • महाराष्ट्र: ठाणे, जलगांव, नासिक, धुले, पालघर, नंदुरबार और वलसाड़.
     
  • ख़बर की और जानकारी के लिए डाउनलोड करें DNA App, अपनी राय और अपने इलाके की खबर देने के लिए जुड़ें हमारे गूगलफेसबुकxइंस्टाग्रामयूट्यूब और वॉट्सऐप कम्युनिटी से.
Url Title
Tribal demands to make 49 districts of Gujarat Madhya Pradesh Rajasthan and Maharashtra into Bhil states
Short Title
49 जिले, 1 करोड़ की आबादी... भील प्रदेश की मांग ने बीजेपी की क्यों बढ़ाई टेंशन?
Article Type
Language
Hindi
Created by
Updated by
Published by
Page views
1
Embargo
Off
Image
Image
Bhil Pradesh Demand (file photo)
Caption

Bhil Pradesh Demand (file photo)

Date updated
Date published
Home Title

4 राज्य, 49 जिले और 1 करोड़ की आबादी.... भील प्रदेश की मांग पर BJP की क्यों बढ़ी टेंशन?

Word Count
588
Author Type
Author