डीएनए हिंदी: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) में बगावत की खबरों के बीच शरद पवार ने अचानक ही पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने का ऐलान कर दिया है. राजनीति में हर चाल बेहद सोच-समझकर चलने वाले शरद पवार के इस फैसले ने सबको हैरान कर दिया है. एक तरफ खबरें थीं कि अजीत पवार कुछ विधायकों के साथ बीजेपी में जाना चाहते थे लेकिन शरद पवार इसके खिलाफ थे. शरद पवार के इस्तीफे के तुरंत बाद उनके समर्थकों का हंगामा यह इशारा कर रहा है कि हमेशा की तरह अभी गेम खत्म नहीं हुआ है.
कुछ दिनों पहले सुप्रिया सुले ने यह भी कहा था कि महाराष्ट्र की राजनीति में दो बड़े भूचाल आने वाले हैं. कहा जा रहा है कि अब अगर शरद पवार अपने फैसले पर बने रहते हैं तो एनसीपी में वर्चस्व की जंग भी शुरू हो सकती है. यह सबको पता है कि एनसीपी पर कब्जे के लिए हमेशा से अजीत पवार और सुप्रिया सुले के बीच हमेशा खींचतान रही है. कहा यह भी जा रही है कि इस्तीफा भी शरद पवार का ही मांइड गेम है और वह सिर्फ अपनी ताकत परखना चाह रहे हैं.
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सरकार बचाने की आखिरी कोशिश कर रही है बीजेपी?
यह सब कुछ वहां से शुरू होता है जहां से यह चर्चा आती है कि शिवसेना तोड़कर एकनाथ शिंदे के साथ मिलकर बगावत करने वाले विधायकों की सदस्यता पर खतरा मंडरा रहा है. ऐसे में बीजेपी नए साथ की तलाश में है. बीच में चर्चा थी कि अजीत पवार बीजेपी के साथ जा रहे हैं और उन्हें सीएम पद का ऑफर दिया गया है. हालांकि, अजीत पवार ने इन खबरों को निराधार बताया और कहा कि वह हमेशा एनसीपी में रहेंगे.
लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र की 48 सीटें दांव पर हैं. बीजेपी किसी भी हाल में रिस्क नहीं लेना चाहती है. वह कोशिश कर रही है कि एकनाथ शिंदे गुट की शिवसेना के अलावा एनसीपी भी उसके साथ आ जाए ताकि चुनाव में उसका दावा मजबूत रहे. यही वजह है कि वह पूरी ताकत लगा रही है कि अजीत पवार उसके साथ आ जाएं और लोकसभा चुनाव में उसकी सीटें साथ आ जाएं.
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बीजेपी के साथ जाने की 'बदनामी' नहीं झेलना चाहते शरद पवार?
लंबे समय से एनसीपी में खींचतान जारी है. पिछली बार तो अजीत पवार ने बीजेपी के साथ जाकर डिप्टी सीएम पद की शपथ भी ले ली थी लेकिन शरद पवार के अड़ जाने के बाद इस्तीफा देना पड़ा. दरअसल, महाराष्ट्र में एनसीपी के कई नेताओं के खिलाफ जांच चल रही है. ऐसे में पार्टी के कई नेता भारी दबाव में हैं और वे बीजेपी में जाने के पक्षधर हैं. शरद पवार ऐसा नहीं करना चाहते हैं.
ऐसे में चर्चा है कि शरद पवार खुद पार्टी से किनारा करना चाहते हैं और यह दिखाना चाहते हैं कि अगर एनसीपी के नेता बीजेपी के साथ जाते हैं तो वह इसके समर्थक नहीं हैं. शरद पवार शुरुआत में कांग्रेस के नेता थे और बाद में उन्होंने खुद की पार्टी बना ली थी. बीते कुछ सालों में भी वह बीजेपी विरोधी मोर्चों के अहम चेहरे रहे हैं, ऐसे में वह बीजेपी से हाथ मिलाने में सहज नहीं हैं.
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इस्तीफा या सिर्फ दिखावा? पढ़ें शरद पवार कितना बड़ा गेम कर सकते हैं