Russia-Ukraine war: शुक्रवार को यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की और यूएस के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच एक ऐतिहासिक मुलाकात हुई. ये मुलाकात इतनी उथल-पुथल वाली थी कि पूरी दुनिया में इसको लेकर चर्चाएं हो रही हैं. साथ ही पूरी दुनिया दो खेमों में बंट गई है. इस भेंट को दौरान दोनों देशों के राष्ट्रध्याक्ष के बीच गरमा-गरम बेहस हो गई. दोनों के बीच ऐसी भिड़ंत हुई कि दोनों एक-दूसरे से ऐसे उलझ गए कि इसे गली-मोहल्लों की लड़ाई की उपमा दिया जाने लगा. दोनों ने एक-दूसरे को जमकर भला-बुरा कहने लगे. इस हिटेड बातचीत के बीच जेलेंस्की की ओर से ट्रंप द्वारा पेश किए गए रूस से समझौता के प्रस्ताव को मानने से इनकार कर दिया गया. साथ ही वो व्हाइट हाउस से बिना भोजन किए ही निकल गए.
यूक्रेन को मिला यूरोपीय संघ का मजबूत सपोर्ट
यूएस से झटका मिलने के बाद यूक्रेन को यूरोपीय संघ का मजबूत सपोर्ट मिला है. ट्रंप और जेलेंस्की के बीच हुई बहसबाजी ने दुनिया को एक नए धुव्रीकरण की ओर धकेल दिया है. जेलेंस्की के साथ व्हाइट हाउस में हुए बुरे बर्ताव को लेकर यूरोप में जंकर आलोचना हुई है. यूरोपीय संघ की तरफ से जेलेंस्की के समर्थन में एक स्टेटमेंट भी दिया गया है. यूरोपीय संघ के उच्च प्रतिनिधि और यूरोपीय आयोग की वाइस प्रेसिडेंट काजा कल्लास की ओर से एक बयान जारी किया गया है. उन्होंने सोशल मीडिया मंच एक्स पर शनिवार लिखा कि 'यूक्रेन यूरोप है. वे यूक्रेन के साथ हैं. यूरोप की ओर से यूक्रेन को आगे भी मजबूती के साथ सपोर्ट किया जाता रहेगा. इससे वो आगे भी अक्रमणकारी शक्तियों से लड़ते रहेंगे. अब ये साफ हो चुका है कि फ्री वर्ल्ड को एक नए लीडर की आवश्यकता है. यूरोपीय जनता पर आ गया है कि वो आगे भी इस चैलेंज को स्वीकार करते रहें.'
यूरोपीय देश यूक्रेन के साथ
यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की आज यानी रविवार ब्रिटेन के दौरे पर हैं. वो लंदन में यूरोपीय देशों के एक महत्वपूर्ण सम्मेलन में हिस्सा लेंगे. जेलेंस्की शनिवार को इंग्लैंड पहुंचे. वहां के पीएम कीर स्टार्मर की ओर से उनकी पूरे गर्मजोशी के साथ स्वागत किया गया. इस दौरान उनके पक्ष में नारेबाजी भी हुई. इस बीच स्टार्मर की ओर से कहा गया कि यूक्रेन के समर्थन में आज पूरी ब्रिटेन की जनता खड़ी है. हमलोग आपके साथ हैं, चाहे जितना भी वक्त लगे. जेलेंस्की की ओर से इन समर्थनों को देखकर धन्यवाद किया गया. आज लंदन में होने वाले इस सम्मेलन में फ्रांस, जर्मनी, डेनमार्क, इटली सहित 13 देश हिस्सा लेंगे. साथ ही नाटो के जनरल सेक्रेट्री और यूरोपीय काउंसिल के अध्यक्ष की भी वहां उपस्थिति रहेगी. फ्रांस, पोलैंड जैसे कई यूरोपीय देशों ने खुलकर दृढ़ता के साथ यूक्रेन का समर्थन किया है.
ट्रंप ने पुतिन से बढ़ाई दोस्ती
यूरोपीय देशों की ओर से यूक्रेन के साथ ऐसे वक्त में दिया जाना बेहद अहम है, जब अमेरिका की ओर से लगातार रूस के साथ दोस्ती का हाथ बढ़ाया जा रहा है. ट्रंप की ओर से पुतिन से बात भी की जा चुकी है. दोनों देशों की प्रतिनिधि सऊदी अरब में मिल चुके हैं. साथ ही यूएस की ओर से कहा गया है कि यूक्रेन नाटो का सदस्य और अपने पुरानी सीमा को हासिल करने के सपने को भूल जाए. साथ ही यूएस की ओर से ट्रंप के आने के बाद लगातार जेलेंस्की को घेरने की कोशिश की जा रही है. दूसरी ओर रूस की तरफ से ट्रंप प्रशासन का जमकर गुणगान किया जा रहा है.
भारत और चीन का क्या है रुख?
यूक्रेन और रूस युद्ध की शुरुआत से ही भारत इसे कूटनीति और बातचीत के साथ सुलझाने के पक्ष में रहा है. भारत की कोशिश हमेशा से रही है कि ये युद्ध खत्म हो और शांति कायम की जाए. अमेरिका और रूस दोनों के साथ रणनीतिक साझेदारी होने के बावजूद भारत ने इसमें किसी एक का पक्ष नहीं लिया है. भारत और रूस के संबंध हमेशा से टॉप पर रहे हैं. यही वजह है कि पश्चिमी देशों के दबाव के बावजूद भारत ने रूस की किसी भी सार्वजनिक निंदा नहीं की है. हमेशा से वार्ता का पैराकार रहा है. वहीं चीन के लिए रूस और यूक्रेन दोनों सामरिक महत्व के उत्पाद सप्लाई करते हैं, लेकिन रूस चीन के लिए सबसे महत्वपूर्ण है. खास तौर पर भू-रणनीतिक रूप से और ऊर्जा के क्षेत्र में रूस चीन के लिए बेहद अहम है. दोनों देशों के बीच इस समय काफी रिश्ते चरम पर हैं, लेकिन अमेरिका का रूस के पक्ष में आ जाना चीन को परेशान कर सकता है. चीन भी इस मसले को बातचीत से सुलझाकर अमन कायम करने की बात करता रहा है.
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यूक्रेन को मिला यूरोपीय संघ का मजबूत सपोर्ट, ट्रंप ने पुतिन से बढ़ाई दोस्ती, जानिए भारत और चीन का क्या है रुख