डीएनए हिंदी: जून का महीना पूरी दुनिया में प्राइड मंथ के तौर पर मनाया जाता है और भारत में एलजीबीटीक्यू समुदाय के दिलों की धड़कन थोड़ी तेज है. इस वक्त जब देश में युवा पीढ़ी की एक बड़ी आबादी डेस्टिनेशन वेडिंग और नो वेडिंग के बीच कहीं झूल रही है, LGBTQ समुदाय के 20 जोड़े सुप्रीम कोर्ट की ओर टकटकी लगाए देख रहे हैं. न्याय के मंदिर से ये कपल अपने लिए शादी का हक मांग रहे हैं. फर्क इतना भर है कि यह शादी एक स्त्री और पुरुष के बीच पारंपरिक नहीं बल्कि पुरुष और पुरुष या स्त्री और स्त्री के बीच वैवाहिक संबंधों की मांग कर रहे हैं. कोर्ट में दोनों पक्षों की दलील पूरी हो चुकी है. एक पक्ष के पास कानूनी संरक्षण के साथ अपने लिए भावनात्मक साहचर्य की कामना का तर्क है तो इसके विरोध में भी परंपरा से लेकर बच्चों के भविष्य जैसे ठोस तर्क दिए गए हैं. याचिकाकर्ताओं में से एक गे कपल उत्कर्ष सक्सेना और अनन्य कोटिया ने इस मुद्दे पर DNA Hindi से लंबी बातचीत की और अपने पक्ष को समझाया.

आखिर शादी क्यों जरूरी है समलैंगिक जोड़ों के लिए? 
उत्कर्ष और अनन्य कोटिया की पहली मुलाकात साल 2008 में दिल्ली यूनिवर्सिटी के हंसराज कॉलेज में हुई थी. जल्दी ही दोनों की दोस्ती हो गई और किसी आम रोमांस की तरह यह कॉलेज टाइम लव स्टोरी पिछले 15 साल से साथ हैं. हार्वर्ड से वकालत की पढ़ाई कर चुके उत्कर्ष ने अपने पार्टनर कोटिया के साथ सुप्रीम कोर्ट में सेम सेक्स मैरिज की अर्जी लगाई है. इस कपल का कहना है कि विवाह न सिर्फ एक पारिवारिक और पारंपरिक बंधन है बल्कि भारत में कानूनी संरक्षण और मान्यता का आधार भी है. दोनों का मानना है कि एलजीबीटीक्यू समुदाय को शादी का हक मिलने पर समाज में इस वर्ग के हितों का बेहतर तरीके से संरक्षण हो सकेगा. शादी के साथ विरासत पर अधिकार, संपत्ति और ऐसे कई कानूनी संरक्षण इस समुदाय को भी मिलेंगे जिससे अब तक यह वर्ग वंचित है. सुनिए क्या कहना है कपल का इस बारे में. 

 

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15 साल की दोस्ती को देना चाहते हैं रिश्ते का नाम 
उत्कर्ष और अनन्य ने हमारे साथ खास बातचीत में बताया कि दोनों ने विदेशी यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की है. उत्कर्ष ने हार्वर्ड से लॉ और अर्थशास्त्र की पढ़ाई की है और फिलहाल ऑक्सफोर्ड से पीएचडी कर रहे हैं. उनके पार्टनर कोटिया ने कैंब्रिज और ऑक्सफोर्ड से पढ़ाई की है और अब  लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से पीएचडी कर रहे हैं. उच्च शिक्षित इस जोड़े ने विदेश में बसने के बजाय भारत में रहने का फैसला किया है और यह अपने रिश्ते को कानूनी मान्यता दिलाने के लिए शादी का हक मांग रहे हैं. इस कपल का कहना है कि हमारी पारिवारिक पृष्टभूमि ऐसी है कि हमें विदेश में बसने की कोई खास अभिलाषा नहीं है. हम भारत में ही रहना चाहते हैं और अपने देश में ही काम करने के लिए उत्सुक हैं.  

Pride Month Special Series की अगली कड़ी में आप पढ़ेंगे इस गे कपल की निजी ज़िंदगी, पहचान के संकट के संघर्ष के बारे में. बता दें कि दुनिया भर में 1 जून से 30 जून तक एक महीने का समय LGBTQ समुदाय के हितों और पहचान को सेलिब्रेट करने के तौर पर प्राइड मंथ के नाम से मनाया जाता है.

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pride month same sex marriage petitioners Utkarsh Saxena and Ananya Kotia know their love story legal battle
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गे कपल से जानिए Same Sex Marriage मांग की वजह, दिल के रिश्ते को क्यों चाहिए कानू
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गे कपल से जानिए Same Sex Marriage की जंग क्यों, दिल के रिश्ते को क्यों चाहिए कानूनी बंधन