डीएनए हिंदी: विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने पर्यावरण संरक्षण को लेकर अहम बातें कही हैं. उन्होंने कहा है कि देश ने पेट्रोल (Petrol Blended Ethanol) में 10 फीसदी की एथेनॉल ब्लेंडिंग के लक्ष्य को 5 महीने पहले ही पूरा कर लिया है और यह देश के लिए एक गर्व का विषय है. इससे भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में भी बचत हुई है लेकिन इस एथेनॉल की उपलब्धि को लेकर लोगों के मन में एक अहम सवाल भी है कि आखिर पेट्रोल में इथेनॉल की ब्लेंडिग क्यों की जा रही है.
क्या है सरकार का लक्ष्य
भारत सरकार ने लक्ष्य रखा है कि साल 2025 तक देश में 20 फीसदी से ज्यादा एथेनॉल ब्लेंडेड पेट्रोल को बेचा जाए. इसके जरिए सरकार पर्यावरण को शुद्ध करने और आर्थिक लाभ होने का दावा कर रही है लेकिन लोगों का सवाल है कि आखिर पेट्रोल में एथेनॉल क्यों मिलाया जा रहा है और क्या इससे लोगों के वाहनों की क्षमता पर कोई बुरा असर पड़ेगा. अगर यह सवाल आपके भी मन में हैं तो यह खबर आपके काम की है.
क्यों मिलाया जा रहा है एथेनॉल
दरअसल, एथेनॉल एक एल्कोहल बेस ईंधन है जो कि गन्ने और शर्करा युक्त कई तरह के उत्पादों से बनाया जाता है. इससे एक बड़ा फायदा यह होगा कि तेल के आयात पर भारत की निर्भरता कम होगी और गाड़िया एथेनॉल के जरिए ही आसानी से चलेंगी.
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गौरतलब एथेनॉल इको-फ्रैंडली फ्यूल है और पर्यावरण को के खतरों से सुरक्षित रखता है. इस फ्यूल को गन्ने से तैयार किया जाता है इसलिए इसकी लागत कम है और ऑक्टेन नंबर ज्यादा है. यह MTBE जैसे खतरनाक फ्यूल के लिए एक विकल्प के तौर पर काम करता है और वाहनों के इंजन की गर्मी को भी बाहर करता है. इसीलिए इसे पर्यावरण और गाड़ियों के लिए भी सुरक्षित माना जाता है.
क्या है एथेनॉल का फायदा
वहीं फायदे की बात करें तो पेट्रोल में एथेनॉल के इस्तेमाल से 35 फीसदी कम कार्बन मोनोऑक्साइड निकलता है. इतना ही नहीं यह कार्बन मोनोऑक्साइड उत्सर्जन और सल्फर डाइऑक्साइड को भी कम करता है. इसके अलावा एथेनॉल हाइड्रोकार्बन के उत्सर्जन को भी कम करता है. एथेनॉल में 35 फीसद ऑक्सीजन होता है.
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किन देशों में हो रहा है इस्तेमाल
आपको बता दें कि स्वीडन और कनाडा जैसे में एथेनॉल पर गाड़ियां चल रही हैं. कनाडा में तो एथेनॉल के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए सरकार की तरफ से सब्सिडी दी जाती है. यही कारण है कि इन देशों में प्रदूषण का स्तर बेहद ही कम है जिसके चलते भारत सरकार इस मामले में अतिसक्रिय दिख रही है.
किसानों को भी होगा फायदा
खास बात यह है कि मोदी सरकार इसके ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल को प्रोत्साहन दे रही है और एथेनॉल फसलो से ही तैयार होता है. ऐसे में एक बड़ा फायदा किसानों को भी होने की भी संभावनाएं हैं जिससे देश में गन्ने की खेती करने वाले किसानों को अधिक फायदा होगा. साथ ही देश में वैकल्पिक खेती को भी बढ़ावा मिलेगी.
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आपको बता दे कि पेट्रोल में एथेनॉल मिलाने से करीब 27 लाख टन कार्बन एमिशन कम हुआ है. दूसरा, भारत को 41 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की विदेशी मुद्रा की बचत हुई है. वहीं तीसरा और महत्वपूर्ण फायदा ये है कि देश के किसानों को इथेनॉल ब्लेंडिंग बढ़ने की वजह से 8 वर्षों में 40 हजार 600 करोड़ रुपए की आय हुई है.
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