डीएनए हिंदीः राष्ट्रपति हो या प्रधानमंत्री, राज्यपाल के लेकर मुख्यमंत्री सभी को आपने शपथ लेते जरूर देखा होगा. संवैधानिक पदभार ग्रहण करने की अपनी एक खास प्रक्रिया होती है. इस प्रक्रिया को तभी पूर्ण माना जाता है जब इसमें शपथ की प्रकिया होती है. शपथ लेने वाले को पूरी प्रक्रिया का पालन करने के बाद ही पदभार संभालना होता है. शपथ लेने की तय प्रक्रिया भी होती है. शपथ लेने वाले को कई औपचारिकताओं का पालन करना होता है. ऐसे में जानते हैं कि शपथ के वक्त मंत्रियों को क्या बोलना पड़ता है और किस तरह से पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई जाती है. 

कौन दिलाता है शपथ?
सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि सभी संवैधानिक पदों के लिए शपथ लेना जरूरी होता है. हर संवैधानिक पद के लिए अलग प्रोटोकॉल होता है. प्रधानमंत्री और केंद्रीय मंत्रियों को शपथ देश के राष्ट्रपति दिलाते हैं, तो राज्य में मुख्यमंत्री और मंत्रियों को राज्यपाल. प्रधानमंत्री शपथ लेने से पहले अपने मंत्रिमंडल सहयोगियों के नामों की लिस्ट राष्ट्रपति को सौंपते हैं और इसी आधार पर संभावित मंत्रियों को शपथ ग्रहण के लिए आमंत्रित किया जाता है. वहीं राज्यों में इसी तरह प्रक्रिया अपनाई जाती है. नवनियुक्त मुख्यमंत्री अपने मंत्रियों की लिस्ट राज्यपाल को सौंपते हैं और राज्यपाल उन्हें शपथ दिलाते हैं. 

ये भी पढ़ेंः प्राइवेट मेंबर बिल क्या होता है? क्या है इन्हें संसद में पेश करने की पूरी प्रक्रिया

कौन किसको दिलाता है शपथ
 
- सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस राष्ट्रपति को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाते हैं. 
- राष्ट्रपति देश के नए प्रधानमंत्री को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाते हैं. 
- राज्य में राज्यपाल नए मुख्यमंत्री को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाते हैं.
- इसके बाद मंत्रियों को शपथ दिलाई जाती है. इसमें सबसे पहले कैबिनेट मंत्रियों, उसके बाद स्वतंत्र प्रभार वाले राज्यमंत्रियों और अंत में राज्यमंत्रियों को शपथ दिलाई जाती है.
- सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को खुद राष्ट्रपति पद और गोपनीयता की शपथ दिलाते हैं. 

शपथ ग्रहण के बाद क्या होता है?    
पद और गोपनीयता की शपथ लेने के बाद प्रधानमंत्री/मुख्यमंत्री और कैबिनेट/राज्यमंत्री एक संवैधानिक परिपत्र पर दस्तखत करते हैं. यह बेहद महत्वपूर्ण दस्तावेज होता है, जो राष्ट्रपति या राज्यपाल द्वारा संरक्षित किया जाता है. दरअसल, यही देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था का संवैधानिक दस्तावेज होता है, जो हमेशा सुरक्षित रहता है. इसके बाद ही प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री शपथ लेने के बाद कैबिनेट और राज्यमंत्रियों में विभाग का बंटवारा करते हैं.  

ये भी पढ़ेंः आखिर ज्योतिषी क्यों नहीं चाहते थे 15 अगस्त को मिले आजादी? जापान से भी जुड़ा है ये खास कनेक्शन

कैसे होती है शपथ?
शपथ दिलाने के लिए राष्ट्रपति या राज्यपाल पहला शब्द उच्चारण करते हैं और फिर मंत्री पूरी शपथ पढ़ते हैं. इस प्रक्रिया को दो बार दोहराया जाता है और दो बार राष्ट्रपति या राज्यपाल मैं बोलते हैं और फिर शपथ लेने वाले व्यक्ति पूरी शपथ लेते हैं. दरअसल पद और गोपनीयता की शपथ अलग-अलग दिलाई जाती है. 

क्या होती है पद की शपथ?
मैं, ………, ईश्वर की शपथ लेता हूं/सत्यनिष्ठा से प्रतिज्ञान करता हूं कि मैं विधि द्वारा स्थापित भारत के संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा रखूंगा, मैं भारत की प्रभुता और अखंडता अक्षुण्ण रखूंगा, मैं ….. संघ के मंत्री के रूप में अपने कर्तव्यों का श्रद्धापूर्वक और शुद्ध अंत:करण से निर्वहन करूंगा तथा मैं भय या पक्षपात, अनुराग या द्वेष के बिना, सभी प्रकार के लोगों के प्रति संविधान और विधि के अनुसार कार्य करूंगा.’

ऐसे ली जाती है गोपनीयता की शपथ?
‘मैं, ……….. ईश्वर की शपथ लेता हूं/सत्यनिष्ठा से प्रतिज्ञा करता हूं कि जो विषय संघ के मंत्री के रूप में मेरे विचार के लिए लाया जायेगा अथवा मुझे ज्ञात होगा उसे किसी व्यक्ति या व्यक्तियों को, तब के सिवाय जबकि ऐसे मंत्री के रूप में अपने कर्तव्यों के सम्यक निर्वहन के लिए ऐसा करना अपेक्षित हो, मैं प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से संसूचित या प्रकट नहीं करूंगा.’

ये भी पढ़ेंः GPS Toll System क्या है? इससे कैसे और सुखद हो जाएगी आपकी यात्रा

कौन-कौन लेता है शपथ?
संविधान के अनुच्छेद 60, 69, 75(1), 124(6), 148(2), 159, 164(3), 188 और 219 में पद एवं गोपनीयता की शपथ लेने के विधान के बारे में स्पष्ट रूप से बताया गया है. संवैधानिक शपथ का संबंध देश के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री, स्पीकर, राज्यपाल, मुख्यमंत्री, सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस और जज, सांसद, विधायक और कैग यानी कि सीएजी से जुड़ा है. इन सभी को अपना संवैधानिक पद धारण करने से पूर्व शपथ की प्रक्रिया पूरी करनी होती है.

क्या कहता है आर्टिकल 164?
संविधान के आर्टिकल 164 में मुख्यमंत्री और मंत्रियों की शपथ को लेकर कई नियम तय किए गए हैं. आर्टिकल 164 (1) के अनुसार, मुख्यमंत्री की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा की जाएगी और अन्य मंत्रियों की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा मुख्यमंत्री की सलाह पर की जाएगी. मुख्यमंत्री की तलाह पर बनाए जाने वाले मंत्रियों को भी शपथ राज्यपाल ही दिलाते हैं.   

ये भी पढ़ेंः क्या है One China Policy? भारत समेत अन्य देशों का इसे लेकर क्या है रुख

शपथ भंग करने पर क्या होता है?
संवैधानिक पदों के लिए शपथ लेने वाले लोग अगर पद और गोपनीयता की मर्यादा भंग करते हैं तो उन्हें हटाने की भी एक खास प्रक्रिया है. ऐसा करने पर महाभियोग के तहत कार्यवाई हो सकती है. महाभियोग की प्रक्रिया का पालन करने के बाद संबंधित व्यक्ति को उसके पद से हटाया जा सकता है. हालांकि इस मामले में किसी भी तरह का आपराधिक मुकदमा दर्ज नहीं होता लेकिन अगर इसमें गबन का मामला बनता है तो आपराधिक केस दर्ज हो सकता है. इस मामले में उसे सजा हो सकती है. 

देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर. 

Url Title
oath ceremony know what ministers read swearing know about this law of indian constitution 
Short Title
मैं शपथ लेता हूं... संवैधानिक पद के लिए क्यों जरूरी है शपथ
Article Type
Language
Hindi
Page views
1
Embargo
Off
Image
Image
शपथ ग्रहण समारोह तय प्रक्रिया के अनुसार ही किया जाता है.
Date updated
Date published
Home Title

मैं शपथ लेता हूं... संवैधानिक पद के लिए क्यों जरूरी है शपथ? क्या है इसका महत्व और प्रक्रिया