डीएनए हिंदीः नोएडा के सेक्टर-18 में बना डीएलएफ मॉल (DLA Mall) जिसे मॉल ऑफ इंडिया (Mall of India) के नाम से भी जाना जाता है, शहर की पहचान बन गया है. इसकी गिनती दिल्ली-एनसीआर के बड़े मॉल में होती है. वीकेंड ही नहीं यहां लोगों की भीड़ रोजाना लगी रहती है. आपको शायद इसकी जानकारी नहीं होगी कि मॉल की जमीन को लेकर सालों तक कानूनी लड़ाई चलती रही. अगर कोर्ट इस मामले में फैसला ले लेता को इस मॉल की बुनियाद को भी खतरा हो सकता था. 25 साल बाद कानूनी लड़ाई में नोएडा प्राधिकरण की हार हो गई है. इतना ही नहीं प्राधिकरण को जुर्माने के तौर पर 295 करोड़ रुपये भी शख्स को चुकाने होंगे. आखिर वो शख्स कौन है जिनसे प्राधिकरण को भी हरा दिया. पूरे मामले को विस्तार से समझते हैं.
कब शुरू हुआ मामला
मामला 1997 में शुरू हुआ. तब रेड्डी विरन्ना ने 1 करोड़ रुपये देकर छलेरा बांगर गांव में दो प्लॉट खरीदे. 7,400 वर्ग मीटर के इन प्लॉट को लेकर तभी से प्राधिकरण के साथ उनकी लड़ाई शुरू हो गई. आरोप है कि नोएडा अथॉरिटी के अधिकारियों ने पजेशन को लेकर तंग करना शुरू कर दिया. रेड्डी ने इस मामले में स्थानीय अदालत में प्राधिकरण के खिलाफ दीवानी मुकदमा दाखिल कर दिया. अथॉरिटी के मुताबिक, वह जमीन कॉमर्शियल डिवेलपमेंट के प्लान में शामिल थी और विरन्ना का पजेशन गैरकानूनी है. हालांकि तब अदालत ने कहा कि जो जमीन रेड्डी के पास है उस पर कोई दखल नहीं दिया जा सकता है. इसके बाद भी 2003 में इस जमीन के लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू कर दी गई.
डीएलएफ को अलॉट हुई जमीन
यह जमीन 2003 में डीएलएफ को अलॉट कर दी गई. इसी जगह पर मॉल ऑफ इंडिया का निर्माण शुरू कर दिया. 2006 में अथॉरिटी ने जमीन के आधिकारिक अधिग्रहण और पजेशन के लिए नोटिफिकेशन जारी किया. विरन्ना ने इस नोटिफिकेशन को चुनौती दे दी. कोर्ट की सुनवाई के दौरान प्राधिकरण की ओर से कहा गया कि जमीन के ऊपर काफी डिवेलपमेंट हो चुका है और टुकड़ों की सीमाएं तय कर पाना संभव नहीं है. लंबी कानूनी लड़ाई के बाद 2021 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्राधिकरण को आदेश दिया कि वह विरन्ना को हर्जाना दे. प्राधिकरण ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी. सुप्रीम कोर्ट ने भी विरन्ना को 1.1 लाख रुपये प्रति वर्ग मीटर की दर से हर्जाना देने का आदेश दिया. इसके अलावा, 30% सांत्वना के रूप में, हर्जाने की रकम पर 15% ब्याज और सजा के रूप में 3% ब्याज चुकाया जाना चाहिए.
आखिरी लड़ाई भी हारा नोएडा प्राधिकरण
सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर प्राधिकरण ने रिव्यू पिटीशन दाखिल कर दी. इसमें 10 अगस्त को उसे भी खारिज कर दिया गया. इसके बाद प्राधिकरण के सामने सुप्रीम कोर्ट का आदेश मानने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा. नोएडा अथॉरिटी ने रेड्डी विरन्ना को 295 करोड़ रुपये जारी कर दिए. बता दें कि DLF मॉल ऑफ इंडिया करीब 1.85 लाख वर्ग मीटर में बना है. नोएडा अथॉरिटी ने DLF इंडिया को 23 दिसंबर को 235 करोड़ रुपये की रिकवरी का नोटिस भेजा है.
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अगर ऐसा होता तो टूट जाता नोएडा का सबसे मशहूर DLF मॉल ऑफ इंडिया, 295 करोड़ रुपये से बची बुनियाद