डीएनए हिंदी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज से तीन दिन के गुजरात दौरे पर हैं. इस दौरान स्टैच्यु ऑफ यूनिटी (Statue of Unity) से पीएम मोदी मियावाकी जंगल को भी देश को समर्पित करेंगे. गुजरात के वलसाड जिले के उमरगाम तहसील के नारगोल में यह दुनिया का सबसे बड़ा और तटीय जंगल बनाया गया है. यहां सिर्फ 27 दिनों में एक लाख 20 हजार से ज्यादा पेड़ लगाने का रिकॉर्ड भी बना है. यह जंगल विदेशी पक्षियों के साथ ही विदेशी पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र होगा. अब जानिए कि क्या होते हैं मियावाकी जंगल, क्या है इनकी खासियत और अहमियत.
क्या होते हैं मियावाकी जंगल
मियावाकी जंगल की खोज 40 साल पहले जापान के अकीरा मियावाकी ने की थी. उनके नाम पर ही इन्हें मियावाकी जंगल कहा जाता है. अकीरा मियावाकी को ऐसे जंगल बनाने की जरूरत का विचार तब आया जब वह सन् 1992 में रियो डी जेनेरियो में आयोजित अर्थ समिट में पहुंचे थे. मियावाकी के अनुसार वह अर्थ समिट प्राकृतिक जंगलों के संरक्षण का महत्व स्थापित करने में असफल रहा था. मियावाकी का मानना था कि प्राकृतिक जंगलों को बचाना और वातावरण के अनुकूल ही ऐसे जंगल तैयार करना बेहद जरूरी है, तभी हम जलवायु परिवर्तन जैसी समस्या का सामना कर पाएंगे. इसी के बाद उन्होंने अपने आइडिया पर काम करना शुरू किया.
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क्या है मियावाकी तकनीक
मियााकी की तकनीक के पीछे एक अनुभव था. उन्होंने पाया कि जापान में सिर्फ .06 फीसदी ही ऐसे पेड़ हैं जिन्हें कुदरती कहा जा सकता है, इसके अलावा अलग से उगाए गए जंगल में ऐसे पेड़ पौधे हैं जो वहां की मिट्टी और वातावरण के अनुकूल नहीं होते हैं. इसी आधार पर बनी मियावाकी तकनी.
- इस विधि से बने जंगल में बहुत कम दूरी पर पौधे लगाए जाते हैं. इससे पौधे सूर्य की रोशनी पाकर ऊपर की ओर बढ़ते रहते हैं.
- इसके तहत तीन प्रजातियों के पौधे लगाए जाते हैं, जिनकी ऊंचाई पेड़ बनने पर अलग-अलग होती है. इसमें एक पेड़ ऊंचाई वाला, दूसरा कम ऊंचाई वाला और तीसरा घनी छायादार पौधा चुना जाता है.
- इसमें ये जरूर ध्यान रखना है कि जमीन में जो पौधे लगाए जा रहे हैं, वह वहां की आबोहवा के अनुकूल होने चाहिए. ऐसे पौधे ही चुनें जो आपके इलाके की मूल प्रजाति है.
- जितनी कम जगह होगी, उतने ही ज्यादा पेड़ उगेंगे और उतनी ही तेजी से उगेंगे.गुजरात के मियावाकी जंगल में इस तकनीक से औषधि के विभिन्न वृक्षों के साथ-साथ कुल 60 प्रकार के पेड़ लगाए जा रहे हैं.
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मियावाकी तकनीक है बेहद अहम
साइंस जर्नल में छपे एक शोध से मियावाकी तकनीक की अहमियत और भी ज्यादा गहराई से सामने आती है. इस शोध में बताया गया था कि दुनिया को ठंडा रखने के लिए जंगल उगाना ही एकमात्र उपाय है. इस रिसर्च में कहा गया है कि अगर जलवायु परिवर्तन के खतरे से बचना है तो धरती पर कम से कम एक लाख करोड़ पेड़ और लगाने होंगे. मियावाकी तकनीक इस काम को करने का रास्ता दिखाती है, क्योंकि इस तकनीक की मदद से तेजी से जंगल तैयार किए जा सकते हैं.
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