डीएनए हिंदी: इस हफ्ते की शुरुआत ही एक राजनीतिक घमासान से हुई. इस घमासान का केंद्र रहा महाराष्ट्र. सोमवार 20 जून को महाराष्ट्र में विधान परिषद चुनाव के नतीजे क्या आए इस प्रदेश में जैसे राजनीतिक भूचाल ही आ गया. अब स्थिति यह है कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की सरकार और उनकी कुर्सी को कभी भी झटका लग सकता है. इसकी शुरुआत कैसे हुई? आखिर ऐसा क्या हो गया कि बैठे-बैठे सरकार हिलने लगी? यदि आप आज वीकेंड पर फुर्सत पाकर इस पूरे मसले से जुड़े सवालों के जवाब ढूंढ रहे हैं तो चलिए शुरुआत करते हैं आपके हर सवाल का जवाब देने की-
कब हुई महाराष्ट्र में इस Political Crisis की शुरुआत
सोमवार को महाराष्ट्र में विधान परिषद चुनाव के नतीजे आए. यह चुनाव 10 सीटों के लिए हुए थे और उम्मीदवार 11 उतारे गए थे. नतीजों में 5 भाजपा को और 2-2 सीटें एनसीपी और शिवसेना को मिली. बची एक सीट कांग्रेस के हिस्से आई. दरअसल विधान परिषद चुनाव में बीजेपी के चार उम्मीदवार ही आसानी से जीत सकते थे. इसके बावजूद बीजेपी ने पांच उम्मीदवार उतारे और वह पांचों सीट जीतने में भी कामयाब रही. यह जीत उसे क्रॉस वोटिंग से हासिल हुई बताई जा रही है. इसी के चलते क्रॉस वोटिंग करने वाले 33 शिवसेना विधायक शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में मुंबई छोड़कर गुवाहाटी के एक होटल में पहुंच गए. इसी के बाद महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी सरकार पर खतरे के बादल मंडराते नजर आ रहे हैं.
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क्या है महाविकास अघाड़ी सरकार (MVA)
महाविकास अघाड़ी उस गठबंधन का नाम है जो महाराष्ट्र में सन् 2019 में अस्तित्व में आया. साल 2019 में जब महाराष्ट्र विधानसभा के चुनाव हुए तो शिवसेना और भाजपा साथ थी. जीत होने पर देवेंद्र फडणवीस के मुख्यमंत्री बनने की बात तय थी. इसी बीच उद्धव ठाकरे ने अपनी मुख्यमंत्री बनने की शर्त रख दी. इस पर बीजेपी राजी नहीं हुई. दोनों दल अलग हो गए. नतीजे आए तो महाराष्ट्र की राजनीति में वो हुआ जिसके बारे में किसी ने नहीं सोचा था. शिवसेना ने कांग्रेस और एनसीपी से हाथ मिला लिया. इसी गठबंधन को महाविकास अघाड़ी नाम दिया गया.
कौन हैं बगावत करने वाले एकनाथ शिंदे
एकनाथ शिंदे के बारे कहा जाता है कि वे ठाकरे परिवार के बाहर सबसे मजबूत ताकतवर शिवसैनिक हैं. उनकी बाल ठाकरे के दौर से शिवसेना में धमक रही है और कहा जाता है कि वह खुद उद्धव ठाकरे के काफी करीब है. 59 साल के शिंदे महाराष्ट्र सरकार में नगर विकास मंत्री हैं. साल 1980 में वे शिवसेना से बतौर शाखा प्रमुख जुड़े थे. ठाकरे परिवार के लिए शिंदे की निष्ठा ऐसी थी कि वह पार्टी के लिए जेल भी जा चुके हैं. ठाणे की कोपरी-पांचपखाड़ी सीट से 4 बार विधायक चुने जा चुके हैं.उनकी पहचान हमेशा वफादार और ताकतवर शिवसैनिक की रही है.
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क्यों नाराज हैं एकनाथ शिंदे
बताया जा रहा है कि गठबंधन की सरकार में शिंदे खुद को ताकतवर महसूस नहीं कर पा रहे थे. कांग्रेस और एनसीपी गठबंधन के साथ वह असहज महसूस कर रहे थे. पार्टी के अंदर खुद उन्हें अपना कद घटते हुए नजर आ रहा था. इसके अलावा यह भी कहा जा रहा है कि एकनाथ शिंदे समेत तमाम शिवसेना विधायकों को पार्टी का हिंदुत्व का एजेंडा कमजोर पड़ता नजर आ रहा था.
क्या है इस राजनीतिक संकट की जड़
इस राजनीतिक संकट की वजह कहीं ना कहीं महाविकास अघाड़ी गठबंधन ही है. इस गठबंधन से महाराष्ट्र में सरकार तो बन गई, मगर उस पर विश्वसनीयता का संकट हमेशा मंडराता रहा.दरअसल शिवसेना की विचारधारा कांग्रेस और एनसीपी से एकदम अलग रही है. दोनों के चुनाव लड़ने के मुद्दे भी अलग थे. ऐसे में अंदरखाने पार्टी के नेताओं में भी एक असहजता रही. इस असहजता का फायदा भी भाजपा हर हाल में लेना चाहती थी और MLC चुनाव में यह मौका बीजेपी को मिला भी. बताया जा रहा है कि इन चुनावों में भाजपा की जीत शिवसेना विधायकों की क्रॉस वोटिंग से ही संभव हुई.
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क्या है सरकार का गणित
राज्य की विधानसभा में 288 सीटें हैं.सरकार का गणित समझें तो बीजेपी के पास सबसे ज्यादा 106 विधायक हैं. सरकार बनाने में शिवसेना (55) ने एनसीपी (52) और कांग्रेस (44) से हाथ मिलाया था.सरकार बनाने के लिए जादुई नंबर 145 का है. अगर 20 विधायक भी शिवसेना से टूटकर भाजपा को सपोर्ट करते हैं और कुछ निर्दलीय साथ खड़े होते हैं तो महाराष्ट्र में बाजी पलट सकती है.
फिलहाल क्या है स्थिति
महाराष्ट्र में जारी सियासी संकट के बीच शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) ने महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे (Raj Thackeray) से फोन पर बात की है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, एकनाथ शिंदे का गुट राज ठाकरे के साथ जा सकता है. दूसरी तरफ शिवसेना सांसद संजय राउत को ईडी ने नोटिस भेजा है. जमीन घोटाले से जुडे़ एक मामले में उन्हें मंगलवार सुबह 11 बजे पेश होने को कहा गया है. वहीं उद्धव ठाकरे में बागी मंत्रियों पर बड़ी कार्रवाई की है. उन्होंने बागी गुट के मंत्रियों के विभाग दूसरे मंत्रियों को दे दिए हैं. फिलहाल इस मामले में थोड़ी देर में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है.
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