लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2024) में दो महीने से भी कम का समय बचा है. लेकिन जैसे-जैसे चुनाव के दिन नजदीक आते जा रहे हैं, विपक्षी गठबंधन INDIA की पोल खुलती जा रही है. मोदी को रोकने के लिए विपक्षी दलों ने एकजुट होकर चुनाव लड़ने की बात कही थी. लेकिन सीट शेयरिंग को लेकर यह बिखरता नजर आ रहा है. पंजाब और केरल के बाद अब पश्चिम बंगाल में भी गठबंधन टूट चुका है. ममता बनर्जी की टीएमसी ने पश्चिम बंगाल में सभी लोकसभा सीटों पर अपने उम्मीदवारों के नाम की घोषणा कर दी है.
टीएमसी ने रविवार को राज्य की सभी 42 लोकसभा सीट के लिए अपने उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी. पार्टी ने 7 मौजूदा सांसदों को टिकट काट दिया और उनकी जगह नए चेहरों को मैदान में उतारा है, जिनमें पूर्व क्रिकेटर यूसुफ पठान भी शामिल हैं. TMC ने अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा को आसनसोल से फिर से चुनाव मैदान में उतारा है. सिन्हा ने 2022 के लोकसभा उपचुनाव में इस सीट पर जीत दर्ज की थी. बशीरहाट लोकसभा सीट से पार्टी ने पूर्व सांसद हाजी नुरुल इस्लाम को मैदान में उतारा है और यहां से मौजूदा सांसद नुसरत जहां को टिकट कट गया है. पार्टी ने 23 सांसदों में से 16 को फिर से उम्मीदवार बनाया है.
इंडिया ब्लॉक में 28 पार्टियां सहयोगी हैं. दिल्ली, यूपी और बिहार को छोड़कर विपक्षी गठबंधन में हर जगह फूट नजर आ रही है. पंजाब में आम आदमी पार्टी ने गठबंधन करने से इनकार कर दिया. केरल में भी कांग्रेस अकेली नजर आ रही है. गुजरात और हरियाणा में जरूर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी गठबंधन में नजर आ रही है. बाकि अन्य क्षत्रपों के गढ़ में India Alliance हवा हवाई होती नजर आ रही है.
क्यों बिखर रहा India Alliance?
इंडिया गठबंधन की चौथी बैठक दिल्ली में हुई थी. इसमें सीट शेयरिंग को लेकर सभी पार्टियों को अपने-अपने राज्यों में फॉर्मूला निकालने और 30 दिसंबर तक सहमति बनाने की बात कही गई थी. लेकिन कोई भी दल यह फॉर्मूला तैयार ही नहीं कर पाया. हर दल अपने राज्य में ज्यादा से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ना चाहता है. इसी को लेकर गठबंधन के सहयोगी दलों में विवाद शुरू हो गया. इसकी शुरुआत पंजाब से हुई.
पंजाब में आम आदमी पार्टी की जब कांग्रेस से सीट शेयरिंग पर बात नहीं बन पाई तो उसने अकेली सभी सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया. ऐसा ही हाल केरल में नजर आया. केरल में जब कांग्रेस और लेफ्ट के बीच गठबंधन का गणित नहीं बैठ पाता तो कांग्रेस ने 16 सीटों पर अपने उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया. इसके बाद लेफ्ट ने भी अपने कैंडिडेट्स की लिस्ट तैयार कर ली.
चुनाव से पहले इस विपक्षी एकता के बिखरने के पीछे कोऑर्डिनेशन का अभाव नजर आ रहा है. ऐसा इसलिए क्योंकि जब नीतीश कुमार के नेतृत्व में गठबंधन को लेकर पटना में पहली बैठक हुई थी तब कुछ नेताओं का प्रस्ताव आया था एक संयोजक बनाया जाए. इसमें नीतीश कुमार को बनाने की चर्चा की गई. लेकिन कुछ दल इससे सहमति नहीं हुए. इसी से नाराज होकर नीतीश कुमार गठबंधन से अलग हो गए.
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ये कैसी एकजुटता, चुनाव से पहले ही क्षत्रपों के गढ़ में हो रहा बिखराव, कैसे जीतेंगे 2024?