डीएनए हिंदी: हिमालय पर्वत श्रृंखला के अंतर्गत बसे राज्यों की जमीनें दरक रही हैं. कहीं भूस्खलन तो कहीं जमीन धंसने की घटनाएं अब यह इशारा कर रही हैं कि पहाड़ों पर सब ठीक नहीं है. जोशीमठ की त्रासदी से सबक लेने की जरूरत पड़ रही है. दशकों पहले जो वैज्ञानिकों ने आशंका जाहिर की थी, वह सच हो रहा है. उत्तराखंड से लेकर हिमाचल प्रदेश तक, जमीनों के दरकने की खबरें सामने आ रही हैं. ऐसा लगता है कि पहाड़ी राज्यों का अंधाधुंध विकास, वहां विनाश की पटकथा लिख रहा है. 

वैज्ञानिकों का कहना है कि पहाड़ी राज्यों में तेजी से हो रहे विकास और निर्माण गतिविधियों ने जमीन का संतुलन बिगाड़ दिया है. पेड़ काटे जा रहे हैं, पहाड़ तोड़े जा रहे हैं. टनल बनाए जा रहे हैं. मानव निर्मित हस्तक्षेप की वजह से न केवल जलवायु परिवर्तन पर असर पड़ा है, बल्कि प्रकृति का संतुलन तक बिगड़ गया है. जोशीमठ की त्रासदी, इसी ओर इशारा कर रही है.

जोशीमठ के बाद अब हिमाचल प्रदेश में भी ऐसा ही हाल नजर आ रहा है. मंडी में भी कुछ ऐसा ही हुआ है. मंडी जिले के तीन गांवों के लोग इस कड़ाके की ठंड में डर के साये में जीने को मजबूर हैं. दरंग विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले विकासखंड बालीचौकी ग्राम पंचायत भटवाड़ी में कुछ घरों में दरारें पड़ी हैं.

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पहाड़ों पर अनियंत्रित निर्माण बर्बादी के लिए जिम्मेदार कौन?

स्थानीय लोगों का आरोप है कि शालानल गांव में फोर लेन सड़क निर्माण के लिए पहाड़ काटे जाने की वजह से आसपास के घरों में दरारें आ गई हैं. गांव को मुख्य सड़क से जोड़ने वाली राह बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई है. मनाली-चंडीगढ़ रोड को चौड़ा करने के लिए पहाड़ को काटा जा रहा है. अब यहां भी जोशीमठ जैसी त्रासदी नजर आ रही है.

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हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने हाल ही में कहा था कि किन्नौर और लाहौल स्पीति जिलों में लगभग 30 प्रतिशत क्षेत्रों में बादल फटने की घटनाएं बढ़ी हैं. जमीनों में दरारें बढ़ रही हैं. लैंड स्लाइड की खबरें भी सामने आई है्ं. जोशीमठ जैसा हाल इन जगहों का भी है. केंद्र से उन्होंने मांग की है कि आपदा राहत कोष को बढ़ा दिया जाए.

अब टिहरी गढ़वाल इलाके में शुरू भूस्खलन

उत्तराखंड का टिहरी गढ़वाल क्षेत्र में भी भूस्खलन की खबरें सामने आ रही हैं. स्थानीय लोगों ने गुहार लगाई है कि भूस्खलन की गतिविधियों पर नजर रखी जाए और जरूरी एक्शन समय रहते लिया जाए. टिहरी झील से सटे गांवों में भूस्खलन हो रहा है. चंबा सुरंग के ऊपर और नजदीक के घरों में दरारें बढ़ गई हैं. 10 से ज्यादा घर इसकी चपेट में आए हैं. ऑल वेदर प्रोजेक्ट के तहत चंबा में 440 मीटर लंबी सुरंग का निर्माण किया गया है. सुरंग बनने के बाद चंबा मुख्य बाजार के घरों में दरारें दिखाई देने लगी हैं. इन दरारों की वजह से लोग बेहद डरे हुए हैं. यहां भी जोशीमठ जैसी स्थिति बन रही है. अलीगढ़ के कांवरीगंज इलाके में अचानक कुछ मकानों में दरारें आने से स्थानीय लोगों में दहशत का माहौल है.

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क्यों पहाड़ी राज्यों में दरक रही हैं जमीनें? जान लीजिए

वैज्ञानिकों ने करीब 4 दशक पहले ही आशंका जाहिर की थी कि अगर जोशीमठ इलाके में अंधाधुंध निर्माण नहीं रुका तो यहां तबाही आ सकती है. अलग-अलग रिपोर्ट्स में वैज्ञानिक बार-बार दोहरा चुके हैं कि पहाड़ी इलाके अनियंत्रित निर्माण सहने के अभ्यस्त नहीं हैं. समतल जमीनों की तरह वहां की जमीनें मजबूत नहीं हैं. अगर ऐसे ही निर्माण चलता रहा तो भूस्खलन और भू धंसाव तेजी से बढ़ेगा. ज्यादातर हिमालयी राज्यों की जमीनें भूस्खलन की नींव पर तैयार हुई हैं. लगातार बारिश, जल-जमाव और अनियंत्रित निर्माण यहां की जमीन को कमजोर कर रहा है. 

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सड़क चौड़ीकरण के नाम पर पहाडों की कटान, हाइड्रोपॉवर प्रोजेक्ट के नाम पर हो रहा कंस्ट्रक्शन वर्क और होटलों का निर्माण यहां की त्रासदी की असली वजह है. वैज्ञानिकों का कहना है कि कहीं भी निर्माण से पहले वहां की जमीन की स्थिति पर रिसर्च होनी चाहिए. किसी भी निर्माण गतिविधि का क्या असर हो सकता है, क्या वहां की जमीन ऐसे निर्माण सह सह सकती है, वहां की पारिस्थितिकी पर क्या असर पड़ेगा, अगर इन बातों का ख्याल रखा जाए तो ऐसे विध्वंस से बच सकते हैं.

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यह सच है कि अधिकांश पर्वतीय क्षेत्रों में आए दिन भूस्खलन की खबरें सामने आती हैं. यह संयोग नहीं है. वहां के पारिस्थितिकी तंत्र को विकास के जरिए बदला जा रहा है. विकास के नाम पर बेतहाशा पेड़ काटे जा रहे हैं, पहाड़ तोड़े जा रहे हैं. जलवायु परिवर्तन की वजह से अनियमित बारिश भी पहाड़ों के लिए मुसीबत से कम नहीं है. तमाम ऐसे कारण हैं जिन पर वैज्ञानिक चिंता जाहिर कर रहे हैं. अगर समय रहते ध्यान नहीं दिया गया तो पर्वतीय राज्यों में कई शहरों के अस्तित्व पर जोशीमठ की तरह संकट छा सकता है.

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Land Subsidence Crisis Hill states sitting on shaky ground Uttarakhand Himachal Pradesh Joshimath like crisis
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उत्तराखंड से लेकर हिमाचल प्रदेश तक, पहाड़ी राज्यों में धंस रही जमीन, वजह क्या है
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Joshimath Sinking: जोशीमठ की तरह भूस्खलन की मुहाने पर खड़े हैं कई राज्य. (तस्वीर-PTI)
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Joshimath Sinking: जोशीमठ की तरह भूस्खलन की मुहाने पर खड़े हैं कई राज्य. (तस्वीर-PTI)

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उत्तराखंड से लेकर हिमाचल प्रदेश तक, पहाड़ी राज्यों में धंस रही जमीन, वजह क्या है