डीएनए हिंदीः उत्तर प्रदेश में इलाहाबाद और फैजाबाद का नाम बदलने के बाद अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) ने आजमगढ़ (Azamgarh) जिले का नाम बदलने के संकेत दिए हैं. योगी आदित्यनाथ सरकार के दूसरे कार्यकाल में आजमगढ़ का नाम आर्यमगढ़ हो सकता है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आजमगढ़ में रविवार को आजमगढ़ लोकसभा उप चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ के पक्ष में चुनाव सभा को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने जनसभा में कहा कि आजमगढ़ को आर्यमगढ़ बनाने की प्रक्रिया के साथ जुड़ने का अवसर आपके पास आया है. तो आइये समझते हैं कि आखिर किसी शहर का नाम आखिर कैसे बदला जाता है.
अपनानी पड़ती है पूरी प्रक्रिया
अगर आप सोच रहे हैं कि किसी भी शहर का नाम बदलने के ऐलान के साथ ही उसका नाम बदल जाता है तो आप गलत हैं. किसी भी शहर का नाम बदलने के लिए एक प्रक्रिया का पालन किया जाता है. बिना यह प्रक्रिया अपनाए कोई सरकार किसी भी शहर या जिले का नाम नहीं बदल सकती है. केंद्र सरकार की ओर से इसके लिए गाइडलाइन जारी की गई है. किसी भी राज्य का नाम बदलने के लिए भी सरकार को इसी प्रक्रिया से होकर गुजरना पड़ता है लेकिन इसके लिए केंद्र की सहमति जरूरी होती है.
ये भी पढ़ेंः Agneepath Scheme का विरोध क्यों कर रहे हैं किसान, क्या छात्रों की लड़ाई अब अन्नदाता लड़ेंगे?
कैसे बदला जाता है शहर/जिले का नाम
- किसी भी शहर या जिले का नाम बदलने के लिए सबसे पहले यह जरूरी है कि कोई विधायक या एमएलसी इसके लिए सरकार से मांग करे. बिना मांग के सरकार आगे कदम नहीं बढ़ाती है.
- विधायक जब इस बाबत कोई मांग करता है तो सरकार इस संबंध में जनता क्या चाहती है यह भी जानने की कोशिश करती है. प्रशासन नाम बदलने के संबंध में पूरा डिटेल मांगता है. इतना ही नहीं शहर के नाम का इतिहास खंगाला जाता है.
-इसके बाद शहर/ जिले का नाम बदलने का प्रस्ताव कैबिनेट में रखा जाता है. कैबिनेट में प्रस्ताव पास होने के बाद शहर के बदले नाम पर मुहर लग जाती है.
- कैबिनेट में नाम बदलने का निर्णय पास होने के बाद फिर से नए नाम का गजट कराया जाता है.
- गजट कराने के बाद सरकारी दस्तावेजों से नए नाम लिखे जाने की शुरूआत हो जाती है और इस तरह किसी शहर या जिले का नया नामकरण हो जाता है.
राज्य का नाम बदला होता है थोड़ा मुश्किल
शहर की तरह सरकारें किसी राज्य का नाम भी बदल सकती हैं. भारत के किसी भी राज्य का नाम बदलने का जिक्र संविधान के आर्टिकल तीन व चार में है. किसी भी राज्य का नाम बदलने के लिए सबसे पहले संसद या राज्य की विधानसभा से इस प्रक्रिया की शुरूआत की जाती है. इसके बिना यह प्रक्रिया प्रारंभ भी नहीं की जा सकती.
- राज्य का नाम बदलने संबंधी बिल संसद में लाया जाता है. इसके लिए राष्ट्रपति की सहमति भी जरूरी होती है.
- बिल लाने के पहले राष्ट्रपति द्वारा बिल को संबंधित राज्य की असेंबली को भेजकर राय मांगते हैं. इसके लिए एक समयसीमा निर्धारित होती है. हालांकि, राज्य का राय राष्ट्रपति या संसद के लिए बाध्यकारी नहीं होता.
- इस बिल को संसद के दोनों सदनों से पास कराने के बाद राष्ट्रपति के पास एप्रुवल के लिए भेज दिया जाता है.
- राष्ट्रपति के एप्रुवल के बाद राज्य का नाम बदल जाता है, फिर समस्त दस्तावेजों में नए नामकरण को दर्ज किया जाने लगता है.
ये भी पढ़ेंः कैसे होता है राष्ट्रपति चुनाव? कौन कर सकता है नामांकन और वोटिंग में कौन-कौन होते हैं शामिल, जानें सबकुछ
आम लोगों पर क्या पड़ता है असर?
किसी भी शहर का नाम बदलने पर उसका सीधा असर आम लोगों पर ही पड़ता है. जब किसी भी शहर का नाम बदला जाता है तो वहां मौजूद सभी बैंक, रेलवे स्टेशन, ट्रेनों, थानों, बस अड्डों, स्कूलों-कॉलेजों को अपनी स्टेशनरी व बोर्ड में लिखे पतों पर जिले का नाम बदलना पड़ता है. इन संस्थानों से जुड़ी वेबसाइट के नाम भी बदलने पड़ते हैं. इसके साथ ही आम लोगों को अपने दस्तावेज बदलने पड़ते हैं.
इन शहरों के बदले जा सकते हैं नाम
- अलीगढ़ का नाम बदलकर हरिगढ़ या आर्यगढ़
- फर्रुखाबाद को पांचाल नगर
- सुल्तानपुर को कुशभवनपुर
- बदायूं को वेद मऊ
- फिरोजाबाद को चंद्र नगर
- और शाहजहांपुर को शाजीपुर किया जाएगा.
देश-दुनिया की ताज़ा खबरों पर अलग नज़रिया, फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी गूगल, फ़ेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर.
- Log in to post comments
आखिर कैसे बदला जाता है किसी शहर का नाम, आम लोगों पर क्या पड़ता है असर?