डीएनए हिंदी: गरीब किसान परिवार से आने वाले सिद्धारमैया एक बार फिर से कर्नाटक के मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं. 20 मई को शपथ ग्रहण समारोह होगा और सिद्धारमैया दूसरी बार कर्नाटक के सीएम बन जाएंगे. उन्हें सीएम बनाने के फैसले पर कई दिनों तक चर्चा हुई. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से राहुल गांधी और सोनिया गांधी तक को तमाम दांव-पेंच लगाने पड़े. तब जाकर कहीं सिद्धारमैया का नाम फाइनल हो सका.

सिद्धारमैया को सीएम बनाने की कई वजहें हैं और उन्हें ये बड़ी जिम्मेदारी सिर्फ उनकी वरिष्ठता को देखते हुए नहीं दी गई. सिद्धारमैया ने अपने जीवन में कई चुनावी जंग लड़ी और जीतीं, जिसे देखते हुए ही उन्हें दोबारा सीएम बनाने का फैसला किया गया. क्यों सिद्धारमैया ही चुने गए इसके लिए आपका उनके जीवन को समझना बेहद जरूरी है. तो बिना देरी किए आइए जानते हैं उनके बारे में हर छोटी-बड़ी बात...

ये भी पढ़ें: सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार में कौन क्या करेगा इस पर लग चुकी है मुहर, पढ़ें दोनों नेताओं की कमियां और खूबियांsiddaramaiah

गरीब परिवार से आने वाला किसानों का वकील

सिद्धारमैया को किसानों के वकील के रूप में जाना जाता है. किसानों की आवाज उठाने के मामले में कर्नाटक में शायद ही कोई उनके मुकाबले का नेता रहा होगा. खुद सिद्धारमैया सिद्धारमनहुंडी नाम के छोटे से गांव के एक गरीब किसान परिवार से आते हैं. उन्होंने मैसूर यूनिवर्सिटी से बीएससी की पढ़ाई की और लॉ की डिग्री भी हासिल की. कुछ समय तक वो वकील भी रहे. 

सिद्धारमैया जनता दल (सेक्युलर) का हिस्सा थे और उन्होंने कर्नाटक विधानसभा चुनाव में पहली बार 1983 में जीत हासिल की थी. जनता पार्टी के अध्यक्ष एचडी देवगौड़ा कभी भी उनके साथ नहीं थे और यही वजह थी कि सिद्धारमैया को टिकट भी नहीं दिया गया. वो निर्दलीय लड़े और जीते भी. जीत के बाद उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री रामकृष्ण हेगड़े की जनता पार्टी की सरकार को अपना समर्थन दिया. हेगड़े ने भी सिद्धारमैया को उस कमेटी का चेयरमैन बनाया, जिसे 1983 में कन्नड़ को कर्नाटक की ऑफिशियल भाषा घोषित करने के लिए बनाया गया था.

ये भी पढ़ें: कर्नाटक: लिंगायतों को भाया कांग्रेस का साथ, BJP का छोड़ा हाथ, 2024 में कैसे डैमेज कंट्रोल करेगी भगवा पार्टी?

चामुंडेश्वरी सीट जीतने से पहले ही सिद्धारमैया मैसूर इलाके में किसानों की आवाज के रूप में जाने जाते थे. उन्हें 'किसानों का वकील' कहा जाता रहा है.    

कौन है सिद्धारमैया का गुरू

बताया जाता है कि टिकट न मिलने से दुखी सिद्धारमैया मदद और मार्गदर्शन के लिए अब्दुल नजीर साब के पास पहुंचे. अब्दुल नजीर साब वो शख्स थे जिन्हें कर्नाटक में पंचायती राज लाने का श्रेय जाता है. नजीर साब को सिद्धारमैया का राजनीतिक गुरू भी माना जाता है.siddaramaiah

नजीर साब की सलाह के बाद ही सिद्धारमैया ने 1983 के कर्नाटक विधानसभा चुनाव में हिस्सा लिया और भारतीय लोक दल के टिकट पर उन्होंने चुनाव लड़ा था. इस चुनाव में जीत के साथ ही उन्होंने खुद के दम पर राजनीतिक करियर की शुरुआत की.

सिद्धारमैया का निजी जीवन

वो कुरुबा नाम की कम्युनिटी से हैं, जिसे चरवाहों की कम्युनिटी कहा जाता है. इस कम्युनिटी का सेंटर और नॉर्थ कर्नाटक में बड़ा प्रभाव है. उनके दो बच्चे हैं, जिसमें बड़े बेटे का नाम राकेश है और छोटे का यतींद्र. राकेश की 2016 में मौत हो गई थी और यतींद्र पेशे से डॉक्टर हैं.

देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर

Url Title
Karnataka new CM Siddaramaiah who was called farmers lawyers and won multiple election battles for congress
Short Title
किसानों का वकील और कई चुनावी जंग लड़ने वाला 'योद्धा', करीब से जानें कर्नाटक के न
Article Type
Language
Hindi
Authors
Updated by
Published by
Page views
1
Embargo
Off
Image
Image
Karnataka new CM Siddaramaiah
Caption

Karnataka new CM Siddaramaiah

Date updated
Date published
Home Title

किसानों का वकील और चुनावी 'योद्धा', करीब से जानें कर्नाटक के नए मुख्यमंत्री के बारे में