डीएनए हिंदी: महाराष्ट्र (Maharashtra) के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadanvis) ने कैबिनेट बैठक के बाद अपने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि जलयुक्त शिवार योजना (Jalyukt Shivar Abhiyan) को दोबारा शुरू किया जाए. जल संरक्षण अभियान (Water conservation project) के इस पहल की शुरुआत साल 2015 में हुई थी, जिसे महाविकास अघाड़ी (MVA) सरकार ने बंद कर दिया था. उस समय देवेंद्र फडणवीस महाराष्ट्र के मुख्यंमत्री थे.
साल 2014 से 2019 के बीच महाराष्ट्र में जल संरक्षण की मांग ने जोर पकड़ा था. तत्कालीन भारतीय जनता पार्टी (BJP) सरकार ने निर्देश दिया था कि इस योजना पर तेजी से काम शुरू किया जाए. जब शिवसेना और बीजेपी का गठबंधन टूटा और महाविकास अघाड़ी सरकार सत्ता में आई तो सीएम उद्धव ठाकरे ने इस योजना पर जांच बिठाई.
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क्यों उद्धव ठाकरे ने योजना को किया था बंद?
उद्धव ठाकरे सरकार ने इस योजना में अनियमितताओं का आरोप लगाया. सरकार की ओर से कहा गया कि जलयुक्त शिवार योजना के तहत पूरे किए गए 71 प्रतिशत कार्यों में वित्तीय और प्रशासनिक अनियमितताएं थीं. तत्कालीन उद्धव ठाकरे सरकार ने साल 2021 में इस योजना को बंद कर दिया.
क्या है जलयुक्त शिवार योजना?
महाराष्ट्र के कई हिस्से भीषण जलसंकट से जूझते रहे हैं. एक-एक बूंद पानी के लिए लोगों को तरसना पड़ता है. राज्य की एक बड़ी आबादी पानी के लिए संघर्ष करती है. कई ग्रामीण इलाके सूखे की मार झेलते हैं. जलयुक्त शिवार योजना के तहत इन गावों तक पानी की उपलब्धता तय करने का खाका तैयार किया गया था. इस योजना के तहत हर साल राज्य के 5,000 गांवों को पानी की निजात दिलाने की योजना बनाई गई थी.
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देवेंद्र फडणवीस की इस महत्वाकांक्षी योजना के तहत दावा किया गया था कि साल 2019 तक राज्य का एक बड़ा हिस्सा जल संकट से मुक्त हो जाएगा. यही वजह है कि इस योजना का नाम जलयुक्त शिवार योजना रखा गया. इसका सामान्य भाषा में खेती के लिए जल योजना अर्थ है.
महाराष्ट्र ऐसा राज्य है जहां किसान आत्महत्या अभी तक एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है. किसानों को फसल सींचने के लिए जल संकट का सामना करना पड़ता है. योजना के तहत इन्हीं किसानों की भलाई की योजना तैयार की गई थी. पानी संकट से उबारने के लिए बॉलीवुड से लेकर दिग्गज हस्तियां और एनजीओ तक उतर आए थे.
करोड़ों खर्च लेकिन क्या निकला नतीजा?
रिपोर्ट्स के मुताबिक जलयुक्त शिवार योजना पर राज्य सरकार ने करीब 96,337 करोड़ रुपये खर्च किए थे. कई सामाजिक संस्थाओं ने भी अनुदान दिया था. इस योजना के तहत राज्य सरकार ने उन इलाकों को चुना था जहां पानी की किल्लत सबसे बड़ी समस्या बनकर उभरी थी. ये वही इलाके थे जहां किसान सबसे ज्यादा आत्महत्या कर रहे थे. संकटग्रस्त क्षेत्रों में पहले एक निचले हिस्से को चुना जाता था. वहां गहरी खुदाई की जाती थी जिससे 'वर्षा जल' को संरक्षित किया जा सके.
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कैसे जल संरक्षण योजना पर हो रहा था काम?
जिस जगह पर गड्ढे तैयार किए जा रहे थे उनकी हर तरफ गहराई बढ़ाई जाती थी. पूरे क्षेत्र को ऐसे तैयार किया जाता था कि खेतों और जमीनों से पानी लुढककर जलाशयों तक पहुंचे. बारिश के पानी को ज्यादा से ज्यादा संरक्षित किया जाए जिससे भूजल स्तर दुरुस्त हो. सरकार की योजना थी कि अगर भूजल स्तर सुधर जाता है बोरवेल और नलों में भी आसानी से पानी आए. एक-एक बूंद पानी के लिए दुर्गम इलाकों की सैर न करनी पड़े.
बड़ी योजना लेकिन नहीं हुआ मनचाहा फायदा
जल शिवार योजना के जरिए नाले और नहरों को एकीकृत करने का भी प्लान तैयार किया गया था. योजना थी कि किसान एक साल के भीतर कई फसलों को अपने कृषि योग्य जमीनों में उगा सकेंगे जिससे उनकी आर्थिक स्थिति बेहतर होगी. किसानों आत्महत्या के मामले थमने लगेंगे. योजना बेहतर थी लेकिन सही तरीके क्रियान्वित नहीं हो सकी.
क्यों चली थी योजना पर कैंची?
महाविकास अघाड़ी सरकार (MVA Government) ने इस अभियान पर रोक लगा दी थी. महाराष्ट्र विधानसभा में पेश कैग की रिपोर्ट के मुताबिक इस योजना पर बीते 5 वर्षों में 96,337 करोड़ रुपए खर्च हुए लेकिन योजना असफल रही. योजना में पारदर्शिता की कमी थी और कई अनियमितताएं सामने आईं थीं. राज्य जल संरक्षण विभाग सही स्थिति पर नजर रखने में असफल रहा था. ठाकरे सरकार ने इस योजना पर रोक लगा दी थी. महाराष्ट्र में नई सरकार के गठन के बाद एक बार फिर इस योजना पर काम शुरू होने वाला है.
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जलयुक्त शिवार योजना क्या थी जिसे देवेंद्र फडणवीस ने शुरू किया और उद्धव ठाकरे ने बंद?