डीएनए हिंदी: भारत और चीन के बीच सीमा विवाद सुलझने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं. लद्दाख दोनों सेनाओं के बीच कुरुक्षेत्र बन रहा है. लद्दाख से सटे सीमाई इलाकों में चीन लगातार निर्माण कर रहा है. चीन अपनी सेना की स्थिति लगातार सीमाई इलाकों में मजबूत कर रहा है. स्थाई निर्माणों की वजह से चीन की स्थिति लद्दाख सीमा पर मजबूत होती जा रही है. रॉयटर्स की एक नई रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है.
रॉयटर्स की यह रिपोर्ट कथित तौर पर लद्दाख पुलिस के एक कॉन्फिडेंशियल रिसर्च पेपर पर आधारित है. यह रिपोर्ट उन इलाकों को ध्यान में रखते हुए तैयार की गई है, जहां तारबंदी नहीं है और जहां की सुरक्षा हमेशा सुरक्षाबलों के लिए एक चुनौती की तरह रही है. इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) ने इस मामले पर 20 से 22 जनवरी के बीच अहम बैठक की थी, जिसमें गृहमंत्री अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी हिस्सा ले चुके हैं.
लद्दाख में और बढ़ेगा सैन्य घमासान
स्थानीय पुलिस, लद्दाख सीमा पर सक्रिय है. खुफिया जानकारी के मुताबिक अब तक जैसी गतिविधियां सामने आ रही हैं, आने वाले दिनों में दोनों देशों के बीच झड़पें बढ़ सकती हैं. लद्दाख में दोनों देशों के बीच टकराव और बढ़ने वाला है. 2020 में लद्दाख में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच झड़प में कम से कम 24 सैनिक मारे गए थे लेकिन सैन्य और कूटनीतिक वार्ता के बाद तनाव कम हुआ था. दिसंबर में अरुणाचल प्रदेश में दोनों पक्षों के बीच एक ताजा झड़प हुई, लेकिन कोई मौत नहीं हुई. बॉर्डर के हालात लगातार इशारा कर रहे हैं कि चीन और भारत में भिडंत तेज हो सकती है.
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क्यों सीमाई इलाके में सैन्य ढांचे बढ़ा रहा है चीन?
चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी अपने आर्थिक हितों को साधने के लिए सीमाई इलाकों में लगातार निर्माण कर रहा है. यही वजह है कि आने वाले दिनों में भारत के साथ टकराव बढ़ेगा. भारत प्रतिरोध करना जारी रखेगा. ऐसे में सीमा पर टकराव थमेगा नहीं. चीन अपनी सीमा में बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचे को मजबूत कर रहा है. चीन चाहता है कि सेना सीमाई इलाकों में संसाधनविहीन न हो. सेना के पास युद्ध की स्थिति में मजबूत बेस हो. चीन इन इलाकों में मजबूत स्थति में है. सैन्य अभ्यास भी लगातार किया जा रहा है. भारत भी इस क्षेत्र में आने वाली हर चुनौती से निपटने के लिए तैयार है. अगर दोनों सेनाओं के बीच हुए तनाव पर नजर डालें तो साल 2013 और 14 के बाद से ही हर 2 या 3 साल पर एक न एक बार झड़प की स्थिति पैदा हो जाती है.
LAC के 26 पॉइंट्स पर नहीं हो रही है पेट्रोलिंग
भारतीय सेना करीब 26 पेट्रोलिंग पॉइंट्स पर गश्त नहीं कर रही है. भारत ने अब 65 पेट्रोलिंग पॉइंट्स में 26 पेट्रोलिंग पॉइंट्स पर अपना अधिकार खो दिया है. मई 2020 से पहले भारत सभी 65 पेट्रोलिंग पॉइंट्स पर पेट्रोलिंग करता था. काराकोरम दर्रे से लेकर चुमार तक 65 पेट्रोलिंग पॉइंट्स हैं, जिन्हें जिनकी गश्ती भारतीय सुरक्षा बल करता है.
दावा किया जा रहा है कि इन इलाकों में भारत पेट्रोलिंग नहीं कर रहा है. यहां भारतीय नागरिक और भारतीय सुरक्षा बल (ISF) नजर नहीं आए हैं. इन इलाकों में चीन के लोग मौजूद हैं. यह भारतीय सेना की स्थिति में बदलाव है. चीन ऐसे इलाकों को बफर जोन कहता है. इंच दर इंच जमीन हड़पने की पीएलए की यही चाल 'सलामी स्लाइसिंग' है. अहम बात यह है कि अबसेना इसे एडमिट भी कर रही है.
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चीन बफर जोन का इस्तेमाल बाखूबी जानता है. चीन इन इलाकों से भारतीय सेना पर नजर रखता है. पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) ने सबसे ऊंची चोटियों पर कैमरे इंस्टाल किया है, इससे बफर क्षेत्रों में लागतार चीन की स्थिति मजबूत हो रही है. चीन की हर नजर भारतीय सेना पर है. यह डीस्केलेशन वार्ता का उल्लंघन है लेकिन चीन को कोई फर्क नहीं पड़ रहा है.
कहां-कहां चीन की स्थिति है मजबूत?
रिपोर्ट्स के मुताबिक चुशुल में ब्लैक टॉप, हेलमेट टॉप, डेमचोक, काकजंग, हॉट स्प्रिंग्स में गोगरा हिल्स और चिप चाप नदी के पास देपसांग एरिया में चीन की स्थिति मजबूत है. रिसर्च पेपर में दावा किया गया है कि सितंबर 2021 तक, जिला प्रशासन और सुरक्षा बलों के वरिष्ठ अधिकारी डीबीओ सेक्टर में काराकोरम दर्रे तक आसानी से गश्त कर पा रहे थे. यह दौलत बेग ओल्डी से 35 किमी दूर तक है. धीरे-धीरे इन क्षेत्रों में स्थितियां खराब होती गईं. दिसंबर 2021 में भारतीय सेना ने डीबीओ पर चेक पोस्ट पर रोक लगाई थी, जिससे काराकोरम पास तक कोई न जा सके.
क्यों बेनतीजा रह रही हैं सेनाओं की वार्ता?
भारत-चीन के बीच हो रही बातचीत का सबसे बुरा पक्ष यह है कि भारत सहमति के बिंदुओं को मानने के लिए तैयार हो जाता है लेकिन चीन ऐसा नहीं करता है. चीन पर संधि का उल्लंघन करता है. दिसंबर में भी पूर्वी लद्दाख बॉर्डर पर भारत-चीन के बीच बातचीत हुई थी लेकिन चीन मद्दे का हल नहीं चाहता है. दोनों देशों की ओर से कहा गया था कि इस विवाद का हल बातचीत से ही होगा, जिससे सुरक्षा और स्थाई शांति बहाल हो. 11 दिनों में 17 राउंड उच्चस्तरीय वार्ता हुई है लेकिन स्थाई समाधान मिलता नजर नहीं आ रहा है.
क्या है भारत की तैयारी?
भारत सीमावर्ती इलाकों में अपने सैन्य मौजूदगी बढ़ा रहा है. लद्दाख का हर इलाका अब भारतीय सेना की रडार में है. सीमाओं पर सड़कें ऐसी बना ली गई हैं, जिससे किसी भी युद्धजन्य स्थिति में विरोधियों पर भारी पड़ा जा सके. फिर भी देश को विवादों के शांतिपूर्ण समाधान की जरूरत है. भारत चीन के साथ सीमाई विवाद का शांतिपूर्ण हल चाहता है.
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चीन के साथ लद्दाख में और बढ़ेगा भारत का टकराव, चुनौतियों से कैसे निपटेगी सेना, क्या है तैयारी?