डीएनए हिंदीः भारत आज अपनी आजादी के 75 साल (75th Independence Day) पूरे होने का जश्न मना रहा है. अंग्रेजों के करीब 200 साल तक शासन के बाद भारत को 15 अगस्त 1947 को आजादी मिली थी. आज हम जैसा भारत देखते हैं असल में सदियों पहले भारत ऐसा नहीं था. भारत का सामान्य काफी दूर तक था. कई पड़ोसी देश तब भारत का ही हिस्सा होते थे. समय के साथ यह धीरे-धीरे अलग होते गए. अंग्रेजों के शासनकाल में भारत सबसे अधिक विभाजित हुआ.
इतिहास की बात करें तो भारतवर्ष संसार का सबसे प्राचीन देश कहा जाता है. यह देश ऋषियों, मुनियों, गुरुओं का देश माना जाता है. 2500 साल पहले हमारे देश पर विदेशियों ने आक्रमण किए. इसमें विशेष रूप से फ्रैंच, डच, कुशाण, शक हूण, यवन यूनानी और अंग्रेज आक्रमणकारियों ने भारत को खंडित किया. भारत अब तक 24 बार विभाजित हो चुका है. यानी भारत से 24 देश अलग हुए हैं.
पुराणों में क्या है वर्णन
पुराणों की बात करें तो धरती 7 द्वीपों की है- जम्बू, प्लक्ष, शाल्म, कुश, क्रौंच, शाक और पुष्कर. इसमें बीचोंबीच जम्बूद्वीप है जिसके नौ खंड है- नाभि, किम्पुरुष, हरिवर्ष, इलावृत, रम्य, हिरण्यमय, कुरु, भद्राश्व और केतुमाल. इन 9 खंडों में नाभिखंड को अजनाभखंड और बाद में भारतवर्ष बोला जाने लगा. भारतवर्ष का नाम महाराज नाभि के पुत्र ऋषभदेव थे जिनके पुत्र चक्रवर्ती सम्राट भरत के नाम पर माना जाता है. प्राचीन काल में भारत की सीमा ईरान, अफगानिस्तान के हिन्दूकुश से लेकर अरुणाचल तक और कश्मीर से लेकर श्रीलंका, म्यांमार, थाईलैंड और इंडोनेशिया तक बताई जाती है.
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इस तरह हुआ खंड-खंड हुआ भारत
ईरान और अफगानिस्तान : एक समय ईरान और अफगानिस्तान भारत के ही हिस्सा थे. इतिहासकारों के मुताबिक ईरान पहले पारस्य देश था जो कि आर्यों की एक शाखा ने ही स्थापित किया था. प्राचीन गांधार और कंबोज के हिस्सों को ही आज अफगानिस्तान कहा जाता है. महाभारत काल में गांधार शकुनी का शासन था. इस पूरे क्षेत्र में हिन्दूशाही और पारसी राजवंश का ही शासन था. 7वीं सदी के बाद यहां पर अरब और तुर्क के मुसलमानों ने आक्रमण करना शुरू कर दिया. 870 ई. में अरब सेनापति याकूब एलेस ने अफगानिस्तान को पूरी तरह से अपने अधिकार में कर लिया था. भारत तब जब अंग्रेजों ने कब्जा किया तब भी अफगानिस्तान भारत का ही हिस्सा था. ब्रिटिश काल में 1834 में अफगानिस्तान को एक बफर स्टेट बनाया और 18 अगस्त 1919 को इससे भारत से अलग कर दिया गया.
नेपाल : पड़ोसी देश नेपाल का भारत से खास रिश्ता रहा है. इसका वर्णन पौराणिक मान्यताओं में भी मिलता है. इसके अनुसार नेपाल को देवघर कहा जाता था. भगवान श्रीराम की पत्नी सीता का जन्म स्थल मिथिला नेपाल में है. नेपाल में 1500 ईसा पूर्व से ही हिन्दू आर्य लोगों का शासन रहा है. 250 ईसा पूर्व यह मौर्यों के साम्राज्य का एक हिस्सा था. इसके बाद चौथी शताब्दी में गुप्त वंश का एक जनपद रहा. 7वीं शताब्दी आते-आते यहां तिब्बत का आधिपत्य हो गया था. 11वीं शताब्दी में नेपाल में ठाकुरी वंश के राजा राज्य करते थे. इसके बाद और भी कई राजवंश हुए. इतिहासकारों के मुताबिक पृथ्वी नारायण शाह ने 1765 में नेपाल की एकता की मुहिम शुरू की और मध्य हिमालय के 46 से अधिक छोटे-बड़े राज्यों को संगठित कर 1768 तक इसमें सफल हो गए. इसी को आज से समय का नेपाल कहा जाता है. 1904 में नेपाल को एक आजाद देश का दर्जा मिला.
भूटान : पड़ोसी देश भूटान भी किसी समय भारत का ही हिस्सा था. कहा जाता है कि यह विदेही जनपद का हिस्सा था. भूटान नाम को संस्कृत के भू-उत्थान से बना हुआ बताया जाता है. ब्रिटिश शासनकाल में यहां 1907 में राजशाही की स्थापना हुई. 1947 में भारत आजाद हुआ. आजादी के दो साल बाद 1949 में भारत-भूटान के बीच एक समझौता किया गया. इस समझौते के तहत भारत ने भूटान की वो सारी जमीन उसे लौटा दी, जो अंग्रेजों के अधीन थी.
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तिब्बत : तिब्बत का इलाका हाल के दिनों भले ही विवादित हो लेकिन भारत के साथ इसका सदियों पुराना रिश्ता रहा है. इस हिस्से को भारतवर्ष का ही अंग माना जाता है. प्राचीनकाल में इसे त्रिविष्टप कहा जाता था. यहां रिशिका (Rishika) और तुशारा (East Tushara) नामक राज्य थे. उस समय यह देवलोक का हिस्सा था. ऐसी मान्यता है कि आर्य यहीं के मूल निवासी थे. यहां पहले हिंदू धर्म था. बाद में अधिकांश लोग बौद्ध धर्म को मानने लगे. पहले इस इलाके पर शाक्यवंशियों का शासन रहा जो 1207 ईस्वी में प्रांरभ हुआ. इसके बाद चीन का इस इलाके पर कब्जा हो गया. 19वीं शताब्दी तक तिब्बत ने अपनी स्वतंत्र सत्ता बनाए रखी. हालांकि 1907 को चीन और ब्रिटिश भारत के बीच एक बैठक के बाद इसे दो भागों में बांट दिया गया. इसमें से पूर्वी हिस्सा चीन के पास चला गया वहीं दक्षिणी हिस्सा लामा के पास रहा. 1951 में इसे स्वतंत्र राज्य घोषित कर दिया गया.
बांग्लादेश : पड़ोसी देश बांग्लादेश भी भारत का ही हिस्सा था. इस पर कई बाद विदेशी आक्रांताओं ने हमला किया. सिंध पर ईस्वी सन् 638 से लेकर 711 ई. तक के 74 वर्षों के काल में बांग्लादेश पर 9 खलीफाओं ने 15 बार आक्रमण किया. लगातार हो रहे हमलों के बाद हिन्दू राजा राजा दाहिर (679 ईस्वी) के कत्ल के बाद इसे इस्लामिक क्षेत्र बना दिया. इतना ही नहीं बलूचिस्तान, मुल्तान, पंजाब और कश्मीर पर आक्रमण करके इसका भी इस्लामिकरण कर दिया गया. जब भारत आजाद हुआ तो यह हिस्सा पाकिस्तान के कब्जे में चला गया. इस हिस्से को पूर्वी पाकिस्तान कहा जाता था. बाद में 1971 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुई लड़ाई में पाकिस्तान को मुंह की खानी पड़ी. 26 मार्च 1971 में पूर्वी पाकिस्तान को पश्चिमी पाकिस्तान के अलग कर नया देश बांग्लादेश बना दिया गया.
म्यांमार : भारत के पड़ोसी देश म्यांमार को बर्मा के नाम से भी जाना जाता है. इसे पहले ब्रह्मदेश कहा जाता था. अशोक के काल में म्यांमार बौद्ध धर्म और संस्कृति का पूर्वी केंद्र बन गया था. हालांकि जैसे-जैसे भारत में ब्रिटिश साम्राज्य का शासन बढ़ता गया तो यह भी 1886 ई. में पूरा देश ब्रिटिश भारतीय साम्राज्य के अंतर्गत आ गया किंतु ब्रिटिशों ने 1935 ई. के भारतीय शासन विधान के अंतर्गत म्यांमार को भारत से अलग कर दिया. हालांकि भारत से इस देश के साथ आज भी बेहतर रिश्ते हैं.
मलेशिया : मलेशिया दरअसल भारत के मलय प्रायद्वीर के अंतर्गत आता था. मलय में चार बड़े देश आते थे जिनमें मलेशिया, थाईलैंड, इंडोनेशिया, वियतनाम और कंबोडिया आते थे. अंग्रेज मलेशिया को भारत का हिस्सा नहीं मानते थे. देश जब आजाद हुआ तो मलेशिया को अंग्रेजों ने अपने पास रख लिया. हालांकि 1957 में इसे एक अलग आजाद देश बना दिया.
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सिंगापुर : सिंगापुर मलय महाद्वीप के दक्षिण सिरे के पास छोटा-सा द्वीप है. यह पहले मलेशिया का ही हिस्सा था. हालांकि मलेशिया की आजादी के बाद इसे हिस्से में काफी विवाद रहे. लंबे संघर्ष के बाद इसे 9 अगस्त 1965 को एक अलग देश घोषित कर दिया गया.
थाईलैंड : थाईलैंड भी पहले मलय का ही हिस्सा था. हालांकि प्राचीनकाल में यह भारत के अंतर्गत आता था. प्राचीनकाल में थाईलैंड को श्यामदेश के रूप में जाना जाता था. सन् 1238 में सुखोथाई राज्य की स्थापना हुई जिसे पहला बौद्ध थाई राज्य माना जाता है. इसके बाद 1782 में बैंकॉक में चक्री राजवंश की स्थापना हुई जिसे आधुनिक थाईलैंड का आरंभ माना जाता है. यूरोपीय देशों के साथ इसकी लंबी लड़ाई चली. 1992 में हुए सत्तापलट में थाईलैंड एक नया संवैधानिक राजतंत्र घोषित कर दिया गया.
श्रीलंका : रामायणकाल में इस देश का नाम रावण से जुड़ा है. श्रीलंका तब भारतवर्ष का ही हिस्सा होता था. एक मान्यता के अनुसार ईसा पूर्व 5076 साल पहले भगवान राम ने रावण का संहार कर श्रीलंका को भारतवर्ष का एक जनपद बना दिया था. हालांकि इसके बाद कई और वर्णन सामने आते हैं. अशोक के काल में श्रीलंका सनातन धर्म से बौद्धधर्मी बना. इस क्षेत्र कभी भारत के चोल और पांडय जनपद के अंतर्गत भी आता था. ब्रिटिश शासनकाल में अंग्रेजों ने 1818 में इसे अपने पूर्ण अधिकार में ले लिया. हालांकि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद 4 फरवरी 1948 को श्रीलंका को भारत से अलग करके एक आजाद देश बना दिया गया.
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इंडोनेशिया : इंडोनेशिया की खास बात बात यह है कि यहां मुस्लिमों की आबादी सबसे ज्यादा है लेकिन इसी के एक द्वीप बाली के लोग आज भी हिंदू धर्म का पालन करते हैं. कहा जाता है कि रामायण काल के बाली का यहां शासन रहा है. इंडोनेशिया में 7वीं, 8वीं सदी तक पूरी तरह हिन्दू वैदिक संस्कृति ही विद्यमान थी. इसके बाद यहां बौद्ध धर्म प्रचलन में रहा, जो कि 13वीं सदी तक विद्यमान था. इस देश में श्रीविजय राजवंश, शैलेन्द्र राजवंश, संजय राजवंश, माताराम राजवंश, केदिरि राजवंश, सिंहश्री, मजापहित साम्राज्य का शासन रहा. इसके बाद धीरे-धीरे इंडोनेशिया पर अरब के व्यापारियों ने आना जाना शुरू किया जिसके बाद यहां इस्लाम तेजी से फैसने लगा. यह देश पहले डच के उपनिवेशवाद का हिस्सा रहा है. 350 साल के शासन के बाद 17 अगस्त 1945 को इंडोनेशिया को नीदरलैंड्स से आजादी मिल गई.
कंबोडिया : कम ही लोग जाने होंगे कि कंबोडिया में भी भारत का ही एक उपनिवेश था. प्राचीनकाल के कंबोज देश को पहले कंपूचिया और बाद में कंबोडिया कहा जाने लगा. इस देश की स्थापना एक ब्राह्मण ने की थी. ऐसी मान्यता है कि प्रथम शताब्दी में कौंडिन्य नामक एक ब्राह्मण ने हिन्द-चीन में हिन्दू राज्य की स्थापना की थी. कंबोडिया को 1953 में फ्रांस से आजादी मिली.
वियतनाम : वियतनाम को पहले चम्पा के नाम से जाना जाता था. यहां रहने वाले लोग चाम कहलाते थे. हालांकि समय से साथ ही इन लोगों की संख्या भी कम होती चली गई गई. वर्तमान में चाम लोग वियतनाम और कंबोडिया के सबसे बड़े अल्पसंख्यक हैं. यहां रहने वाले लोग शैव होते थे. हालांकि बाद में मुस्लिमों का शासन हुआ तो चाम भी मुस्लिम हो गए. 1825 में चम्पा के महान हिन्दू राज्य का अंत हुआ. बाद में इस हिस्से पर फ्रांस का उपनिवेश हो गया.
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